पश्चिम बंगाल के मायापुर में बनाया जा रहा एक मंदिर, जो वेटिकन स्थित सेंट पॉल कैथेड्रल और आगरा के ताजमहल से भी बड़ा है, जल्द ही दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक स्मारक होगा.
कोविड -19 महामारी के कारण इसके निर्माण में हुई दो साल की देरी के बाद साल 2024 में उद्घाटन के लिए तैयार होने वाला पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में स्थित ‘टेम्पल ऑफ़ वैदिक प्लैनेटेरियम (वैदिक तारामंडल का मंदिर)’ कथित तौर पर दुनिया की सबसे बड़ी धार्मिक संरचना के रूप में कंबोडिया के 12 वीं शताब्दी में निर्मित उस अंगकोरवाट मंदिर परिसर की जगह लेगा, जो 400 एकड़ भूमि में फैला हुआ है.
इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) की एक परियोजना के तहत गंगा नदी के किनारे बनाए जा रहे मायापुर मंदिर का उद्देश्य सदियों पुरानी वैदिक संस्कृति और परंपराओं को सभी के लिए सुलभ बनाना है.
इस्कॉन कोलकाता के उपाध्यक्ष और प्रवक्ता राधारमण दास ने कहा, ‘सारा प्रमुख काम पूरा हो चुका है और अब मंदिर के फर्श की फिनिशिंग (तराशी) का काम चल रहा है. यहां एक बार में 10,000 लोग एक साथ दर्शन के लिए खड़े हो सकते हैं. मंदिर का फर्श फुटबॉल के मैदान से सी बड़ा है.’
यह भी पढ़ेंः मुश्किलों को पार करते हुए राष्ट्रमंडल खेलों में अचिंता शूली ने कैसे जीता गोल्ड मेडल
करोड़ों डॉलर की लागत वाले इस मंदिर के पीछे है फोर्ड कंपनी का हाथ
महान व्यवसायी हेनरी फोर्ड के परपोते उनके द्वारा संस्थापित फोर्ड मोटर्स के उत्तराधिकारी अल्फ्रेड फोर्ड इस महत्वाकांक्षी परियोजना के अध्यक्ष हैं. अमेरिका के फ्लोरिडा से पश्चिम बंगाल स्थित मायापुर तक की अल्फ्रेड की आध्यात्मिक यात्रा वाकई दिलचस्प है.
साल 1975 में, वह एक इस्कॉन के भक्त सदस्य और इस संस्था के संस्थापक श्रील प्रभुपाद के शिष्य बन गए और फिर उन्होंने अपना नाम बदलकर अंबरीश दास कर लिया. इसके बाद वह मायापुर को इस्कॉन के वैश्विक मुख्यालय में बदलने के प्रभुपाद की दूरगामी योजना में पूरी तरह से रम गए और यहां के बुनियादी ढांचे के निर्माण लिए $30 मिलियन का दान दिया.
अल्फ्रेड उर्फ अंबरीश दास ने इस्कॉन भक्तों के नाम अपने संदेश में कहा, ‘पिछले नौ वर्षों के दौरान वैदिक तारामंडल मंदिर की टीम ने कई वर्षों पहले श्रील प्रभुपाद द्वारा निर्धारित किये गए मापदंडों के अनुसार इस परियोजना के लिए एक विजन तैयार किया है. इस प्रयास में कई सारे भक्तगण शामिल हुए हैं. ‘
फोर्ड परिवार के इस वंशज ने इस मंदिर के लिए चंदा इकट्ठा करने के लिए दुनिया भर की यात्रा की है. उन्होंने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि जैसे-जैसे आने वाले कुछ वर्षों में यह परियोजना पूरी तरह से सबके सामने आएगी, यहां तैयार किया गया विजन यहां आने वाले सभी लोगों को इस परियोजना में शामिल होने के लिए प्रेरित करेगा.’
यह भी पढ़ेंः ‘TMC बंगाल केंद्रित’ – 10 महीने बाद उपाध्यक्ष पवन वर्मा ने छोड़ी ममता बनर्जी की पार्टी
आधुनिक विज्ञान और भारतीय ज्ञान प्रणाली
‘टेम्पल ऑफ़ वैदिक’ प्लैनेटेरियम में आने वाले लोगों का स्वागत वैदिक कला, विज्ञान और संस्कृति के एक सूचनात्मक प्रदर्शन के साथ किया जाएगा. इस विशाल परिसर के केंद्र में एक वैदिक तारामंडल होगा, जिसमें पवित्र हिंदू ग्रंथों में वर्णित ग्रह प्रणाली का एक विशालकाय घूमता हुआ मॉडल होगा. यहां आने वाले दर्शनार्थी निचली मंजिल, जिसमें ग्रह दिखाई देंगे, से सबसे ऊपरी मंजिल – जहां भगवान कृष्ण का निवास होगा – तक पहुंचने के लिए एस्केलेटर की सवारी करेंगे.
इस पूरी परियोजना पर 400 करोड़ रुपये से भी अधिक की लागत आएगी और इसमें 700 एकड़ भूमि शामिल होगी. अकेले मंदिर का गर्भगृह ही 1.5 एकड़ भूमि में फैला हुआ है.
राधारमण दास ने कहा, ‘मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इतनी विस्तृत भूमि की खरीद के लिए बंगाल के लैंड सीलिंग कानून से छूट प्रदान कर हमारी बहुत मदद की है. एक बार तैयार होने के बाद यह मंदिर शानदार लगेगा.’
मायापुर के इस मंदिर में आधुनिक विज्ञान और भारतीय ज्ञान प्रणाली के बीच विचारों के परस्पर आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए उच्च अध्ययन संस्थान, अनुसंधान केंद्र और आध्यात्मिक संस्थान भी शामिल होंगे.
अब तक इस परियोजना के लिए लगभग 60 प्रतिशत धनराशि जुटाई जा चुकी है. इस्कॉन द्वारा 2024 तक इसके भव्य द्वारों को खोलने के लिए तैयार होने के साथ ही इसके लिए दान के माध्यम से अब तक 0.5 मिलियन डॉलर से अधिक की राशि जुटा ली गई है.
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)
यह भी पढ़ेंः पूर्व असिस्टेंट प्रोफेसर का आरोप- इंस्टा पर बिकिनी और जिम की तस्वीरे लगाने से कॉलेज ने जबरन निकाला