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सोमवार, 5 मई, 2025
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विश्व आदिवासी दिवस की भारत के लिए कोई प्रासंगिकता नहीं : आरएसएस से संबद्ध संगठन

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नयी दिल्ली, सात अगस्त (भाषा) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से संबद्ध अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम ने बुधवार को कहा कि आदिवासियों समेत सभी भारतीय देश के मूल निवासी हैं और हर साल नौ अगस्त को मनाये जाने वाले विश्व आदिवासी दिवस की भारत के लिए कोई प्रासंगिकता नहीं है।

आश्रम के अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह ने एक बयान में कहा कि नौ अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस के रूप में मनाने की संयुक्त राष्ट्र की घोषणा का उद्देश्य अमेरिका, अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और कनाडा जैसे अन्य महाद्वीपों और देशों के ‘‘संघर्षरत’’ आदिवासी लोगों को अधिकार और आत्मसम्मान प्रदान करना है।

उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक ​​भारत का सवाल है, इस दिन की कोई प्रासंगिकता नहीं है या इसका कोई सीधा संबंध नहीं है क्योंकि हमारे देश के सभी लोग इस भूमि के मूल निवासी हैं और हम अब औपनिवेशिक ताकतों के चंगुल से मुक्त हो गए हैं।’’

सिंह ने कहा कि भारत ने 2007 में संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र पर हस्ताक्षर करके स्पष्ट शब्दों में अपना विचार व्यक्त किया था कि सभी भारतवासी भारत के मूल निवासी हैं।

उन्होंने कहा कि अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड जैसे देशों और महाद्वीपों ने, जहां औपनिवेशिक ताकतें अभी भी सत्ता में हैं, ने घोषणापत्र पर हस्ताक्षर नहीं किए।

सिंह ने कहा, ‘‘जब हम मूल निवासियों की बात करते हैं, तो कल्याण आश्रम इस बात पर जोर देता है कि भारत के सभी लोग मूल निवासी हैं। हमारा मानना ​​है कि जनजाति समुदाय हमारे सनातन समाज का अभिन्न अंग हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि उनकी जीवनशैली, भाषा, वेशभूषा, परंपराओं में विविधताएं हैं, लेकिन सभी सनातन समाज का सांस्कृतिक दृष्टिकोण एक है।’’

सिंह ने आरोप लगाया कि ‘‘भारत में ‘‘कुछ बाहरी ताकतें और ईसाई मिशनरियां’’ इस दिवस के नाम पर समाज को विभाजित करने के लिए ‘‘बड़े पैमाने पर साजिश’’ रच रही हैं।

भाषा

देवेंद्र सुभाष

सुभाष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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