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Friday, 17 May, 2024
होमदेशसंसद में 'जुमलाजीवी' 'तानाशाही' सेक्सुअल हरासमेंट' जैसे शब्द हुए असंसदीय, ओवैसी ने पूछा- फूलों को भी करेंगे बैन?

संसद में ‘जुमलाजीवी’ ‘तानाशाही’ सेक्सुअल हरासमेंट’ जैसे शब्द हुए असंसदीय, ओवैसी ने पूछा- फूलों को भी करेंगे बैन?

लोकसभा सचिवालय ने 'असंसदीय शब्द 2021' शीर्षक के तहत ऐसे शब्दों और वाक्यों की नई लिस्ट तैयार की है जिन्हें ‘असंसदीय अभिव्यक्ति’ की श्रेणी में रखा गया है.

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नई दिल्ली: संसद के कई वरिष्ठ सदस्यों ने लोकसभा सचिवालय की उस रिपोर्ट की आलोचना की है, जिसमें उन शब्दों की सूची जारी की गई है जिन्हें ‘असंसदीय’ करार दिया गया है.

यह सूची 18 जुलाई से शुरू हो रहे संसद के मानसून सत्र से ठीक पहले आई है.

‘भ्रष्टाचार’, ‘भ्रष्ट’, ‘जुमलाजीवी’, ‘तनाशाह’, ‘तानाशाही’, ‘काला’ सेक्सुअल हरासमेंट संवेदनहीन, भ्रष्ट, दंगा और ‘खालिस्तानी’ जैसे कई शब्दों के इस्तेमाल पर बैन लगा दिया गया है.

संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान सदस्य अब चर्चा में हिस्सा लेते हुए जुमलाजीवी, बाल बुद्धि सांसद, शकुनी, जयचंद, लॉलीपॉप, चाण्डाल चौकड़ी, गुल खिलाए, पिठ्ठू जैसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे. ऐसे शब्दों के प्रयोग को अमर्यादित आचरण माना जायेगा और वे सदन की कार्यवाही का हिस्सा नहीं होंगे.

दरअसल, लोकसभा सचिवालय ने ‘असंसदीय शब्द 2021’ शीर्षक के तहत ऐसे शब्दों और वाक्यों की नई लिस्ट तैयार की है जिन्हें ‘असंसदीय अभिव्यक्ति’ की श्रेणी में रखा गया है.

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इस लिस्ट के अनुसार, असंसदीय शब्द, वाक्य या अमर्यादित अभिव्यक्ति की श्रेणी में रखे गए शब्दों में कमीना, काला सत्र, दलाल, खून की खेती, चिलम लेना, छोकरा, कोयला चोर, गोरू चोर, चरस पीते हैं, सांड जैसे शब्द शामिल हैं.

‘अध्यक्षीय पीठ पर आक्षेप’ को लेकर भी कई वाक्यों को असंसदीय अभिव्यक्ति की श्रेणी में रखा गया है। इसमें ‘आप मेरा समय खराब कर रहे हैं, आप हम लोगों का गला घोंट दीजिए, चेयर को कमजोर कर दिया है और यह चेयर अपने सदस्यों का संरक्षण नहीं कर पा रही है, आदि शामिल हैं.

अगर कोई सदस्य पीठ पर आक्षेप करते हुए यह कहते हैं कि ‘जब आप इस तरह से चिल्ला कर वेल में जाते थे, उस वक्त को याद करूं या आज जब आप इस आसन पर बैठें हैं तो इस वक्त को याद करूं’…तब ऐसी अभिव्यक्त को असंसदीय मानते हुए इन्हें रिकार्ड का हिस्सा नहीं माना जाएगा.

असंसदीय अभिव्यक्ति के लिस्ट में छत्तीसगढ़ विधानसभा में कार्यवाही से हटाए गए कुछ शब्द या वाक्यों को भी रखा गया है जिनमें बॉब कट हेयर, गरियाना, अंट-शंट, उच्चके, उल्टा चोर कोतवाल को डांटे आदि शामिल हैं.

इसमें राजस्थान विधानसभा में असंसदीय घोषित कुछ शब्दों को भी रखा गया है जिसमें कांव कांव करना, तलवे चाटना, तड़ीपार, तुर्रम खां और झारखंड विधानसभा में अससंदीय घोषित ‘कई घाट का पानी पीना, ठेंगा दिखाना आदि शामिल हैं.

इसमें अंग्रेजी के कुछ शब्दों और वाक्यों को भी शामिल किया गया है जिनमें ‘आई विल कर्स यू’, बिटेन विद शू’, बिट्रेड, ब्लडशेड, चिटेड, शेडिंग क्रोकोडाइल टियर्स, डंकी, गून्स, माफिया, रबिश, स्नेक चार्मर, टाउट, ट्रेटर, विच डाक्टर आदि शमिल हैं.

संसद के सदस्य कई बार सदन में ऐसे शब्दों, वाक्यों या अभिव्यक्ति का इस्तेमाल कर जाते हैं जिन्हें बाद में सभापति या अध्यक्ष के आदेश से रिकॉर्ड या कार्यवाही से बाहर निकाल दिया जाता है.

लोकसभा में कामकाज की प्रक्रिया और आचार के नियम 380 के मुताबिक, ‘अगर अध्यक्ष को लगता है कि चर्चा के दौरान अपमानजनक या असंसदीय या अभद्र या असंवेदनशील शब्दों का इस्तेमाल किया गया है तो वे सदन की कार्यवाही से उन्हें हटाने का आदेश दे सकते हैं.

उधर, संसद के वरिष्ठ सदस्यों ने इस तरह की अधिसूचना के पीछे की मंशा पर सवाल उठाया है.


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‘फूलों को भी बैन करेंगे क्या?’

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पूछा कि क्या ‘फूल’ को भी असंसदीय घोषित कर दिया जाएगा?

उन्होंने कहा, ‘असंसदीय भाषा अहम नहीं है वह किस संदर्भ कहा गया है वह महत्वपूर्ण है. अगर में संसद में बोलूं कि ‘मैं मोदी सरकार पर फूल फेंक कर मारुंगा क्योंकि उन्होंने देश के नौजवानों को बेरोज़गार बना दिया’ तो क्या वे ‘फूल’ को असंसदीय घोषित कर देंगे?’

कांग्रेस ने ‘जुमलाजीवी’ और कई अन्य शब्दों को ‘असंसदीय अभिव्यक्ति’ की श्रेणी में रखे जाने को लेकर गुरुवार को सरकार पर निशाना साधा और कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार की सच्चाई दिखाने के लिए विपक्ष द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सभी शब्द अब ‘असंसदीय’ माने जाएंगे.

पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘मोदी सरकार की सच्चाई दिखाने के लिए विपक्ष द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले सभी शब्द अब ‘असंसदीय’ माने जाएंगे। अब आगे क्या विषगुरु?’

आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि जुमलाजीवी कहना असंसदीय है लेकिन आंदोलनजीवी कहना असंसदीय नहीं हुआ है.

राघव चड्ढा ने कहा, ‘सरकार ने आदेश निकाला है कि संसद में सांसद कुछ शब्दों का प्रयोग नहीं कर सकते। उन शब्दों की सूची पढ़कर लगता है कि सरकार बखूबी जानती है कि उनके काम को कौन से शब्द परिभाषित करते हैं। जुमलाजीवी कहना असंसदीय हो गया है लेकिन आंदोलनजीवी कहना असंसदीय नहीं हुआ.’

टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने ट्वीट किया कि लोकसभा और राज्यसभा के लिए असंसदीय शब्दों की नई सूची में संघी शामिल नहीं हैं.

उन्होंन ट्वीट किया, ‘बैठ जाइए, बैठा जाइए, प्रेम से बोलिए.

लोकसभा और राज्यसभा के लिए असंसदीय शब्दों की नई सूची में संघी शब्द शामिल नहीं हैं.

मूल रूप से सरकार ने विपक्ष द्वारा इस्तेमाल किए गए सभी शब्दों को यह वर्णन करने के लिए लिया कि कैसे भाजपा भारत को नष्ट कर रही है उन पर प्रतिबंध लगा दिया है.’


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