नई दिल्लीः केंद्रीय रक्षा मंत्रालय (MoD) ने शॉर्ट सर्विस कमीशन (एसएससी) योजना के तहत सेना में भर्ती 246 महिला अधिकारियों के प्रमोशन पर विचार करने के लिए एक चयन बोर्ड का गठन किया है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर उन्हें बतौर स्थायी अधिकारी रख लिया लिया गया.
केंद्र ने यह बात शीर्ष अदालत के समक्ष मंगलवार को बताई, जब वह 34 महिला सैन्य अधिकारियों की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
इन अधिकारियों ने नरेंद्र मोदी सरकार पर अपने प्रमोशन के लिए दो बार उन्हें नज़रअंदाज़ करने का आरोप लगाया है, जबकि उनके जूनियर पुरुष अधिकारियों को प्रमोशन दिया गया है.
चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ की पीठ के समक्ष रक्षा मंत्रालय के वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता आर. बालासुब्रमण्यम ने कहा कि चयन बोर्ड 9 जनवरी से लेकर 22 जनवरी, 2023 तक 13 दिनों के लिए बैठेगा.
अदालत को सूचित किया गया है कि 1992 और 2006 के बीच सेना में भर्ती होने वालीं सभी महिला अधिकारी कर्नल रैंक में 150 अतिरिक्त खाली पदों पर भर्ती के लिए विचारनीय स्थिति में होंगी, जिन पदों को हाल ही में केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा स्वीकृत किया गया था.
बालासुब्रमण्यम ने पीठ को यह भी आश्वासन दिया कि जिन पुरुष अधिकारियों का प्रमोशन पिछले दो चयन बोर्ड में हुआ था, उन्हें तब तक नियुक्ति पत्र नहीं दिया जाएगा जब तक कि जनवरी में विशेष रूप से महिलाओं के लिए निर्धारित सूची को अंतिम रूप नहीं मिल जाता.
चंद्रचूड़ की पीठ ने इस घटनाक्रम को ध्यान में रखते हुए मंगलवार को याचिका की सुनवाई की तारीख 30 जनवरी तक के लिए टाल दी.
रक्षा मंत्रालय का यह फैसला महिला अधिकारियों द्वारा शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाने के कुछ दिनों बाद आया है,जिन्होंने 2020 में शीर्ष अदालत के निर्देश पर स्थायी कमीशन दिए जाने के बाद प्रमोशन में देरी का आरोप लगाया है
सुनवाई के दौरान, अदालत ने अपने आदेश की अवहेलना पर चिंता ज़ाहिर की और रक्षा मंत्रालय को परिणाम भुगतने की चेतावनी दी.
नौ दिसंबर को हुई इस मामले की आखिरी सुनवाई में पीठ ने कहा था कि मंत्रालय महिला अधिकारियों के प्रति निष्पक्ष नहीं है और अक्टूबर में प्रमोशन पाने वाले पुरुष अधिकारियों के प्लेसमेंट को रोकने का आदेश दिया था.
पीठ ने कहा, ‘हमें लगता है कि आप इन महिला अधिकारियों के साथ न्याय नहीं कर रहे है. हमें अस्थाई आदेश पारित करने होंगे. आपको चीज़ों को व्यवस्थित करना चाहिए.’
भारतीय सेना में इस समय 6,000 कर्नल पद हैं. स्वीकृत अतिरिक्त 150 नई सीटों के बाद यह संख्या बढ़कर 6,150 हो जाएगी.
महिला अधिकारियों ने मंगलवार को खंड पीठ के समक्ष एक और आशंका व्यक्त की.
उनके वकील वरिष्ठ अधिवक्ता वी. मोहना और वकील राकेश कुमार ने कहा कि अधिकारियों को डर था कि वे कमान की नियुक्ति की दौड़ में शामिल नहीं होंगीं क्योंकि उन्हें नई स्वीकृत रिक्तियों के खिलाफ माना जा रहा था.
उन्हें लगा कि उन्हें कर्मचारियों की नियुक्ति तक सीमित कर दिया जाएगा, जो कि एक निम्न पद है.
वकील ने कहा, यह सुप्रीम कोर्ट की ओर से पारित 2020 के फैसले की अवहेलना होगी जब उसने विशेष रूप से आदेश दिया था कि महिला अधिकारी भी कमांड नियुक्ति की हकदार होंगी.
दिप्रिंट से बात करते हुए, कुमार ने कहा, ‘इन महिला अधिकारियों के पुरुष समकक्षों को मौजूदा खाली पदों पर प्रमोट कर दिया गया था, जबकि महिलाओं को बहुत पहले पुरुष अधिकारियों की तर्ज पर प्रमोशन किया जाना चाहिए था. हालांकि, देरी ने उनकी वरिष्ठता को प्रभावित किया है क्योंकि न केवल उनके बैचमेट बल्कि जूनियर पुरुष अधिकारियों को भी प्रमोशन मिल गया है.’
पीठ ने महिला अधिकारियों को आश्वासन दिया कि चयन बोर्ड के समाप्त होने के बाद वह उनकी चिंताओं पर गौर करेगी.
पीठ ने अदालत में मौजूद महिला अधिकारियों से कहा, ‘इस प्रक्रिया को चलने दीजिए और हम मामले की जांच कर रहे हैं. एक बार परिणाम सामने आने के बाद, हम इस पर गौर करेंगे.
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