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Friday, 1 November, 2024
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अविवाहित महिलाओं और छात्राओं को यौन उत्पीड़न का अधिक खतरा: अध्ययन

अध्ययन में यह भी पाया गया है कि घूरना, पीछा करने, फब्तियां कसने और छूने जैसी घटनाएं बढ़ी हैं लेकिन इन्हें यौन उत्पीड़न जितना गंभीर नहीं माना जाता है. 

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नई दिल्ली: भोपाल, ग्वालियर और जोधपुर में करीब 90 फीसदी महिलाएं सुनसान और असुरक्षित इलाकों की वजह से वहां सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं. एक अध्ययन में बताया गया है कि अविवाहित महिलाओं और छात्राओं को यौन उत्पीड़न का अधिक खतरा है.

यह अध्ययन सामाजिक उद्यम ‘सेफ्टिपिन’, सरकारी संगठन केओआईसीए (कोरिया इंटरनेशनल कॉरपोरेशन एजेंसी) और एनजीओ एशिया फाउंडेशन ने किया है. इस अध्ययन में मध्य प्रदेश के भोपाल और ग्वालियर तथा राजस्थान के जोधपुर में किए गए 219 सर्वेक्षणों को शामिल किया गया है.

अध्ययन के मुताबिक, 89 फीसदी महिलाओं का कहना है कि उन्हें सुनसान इलाकों की वजह से असुरक्षित महसूस होता है. 63 प्रतिशत महिलाओं ने कहा है कि सार्वजनिक परिवहन की गाड़ियों के लगभग खाली होने की वजह से उन्हें डर लगता है, 86 फीसदी महिलाओं ने कहा है कि आसपास मादक पदार्थ और शराब की बिक्री की वजह से वे असुरक्षित महसूस करती हैं. 68 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि सुरक्षा की कमी से उन्हें असुरक्षा का अहसास होता है.

अध्ययन में बताया गया है कि महिलाओं को बस, शेयर्ड ऑटो और सार्वजनिक परिवहन के अन्य माध्यमों में सफर करने दौरान अनुचित व्यवहार का सामना करना पड़ता है. इस अध्ययन के मुताबिक, छात्राओं (57.1 प्रतिशत) और अविवाहित महिलाओं (50.1फीसदी) को यौन उत्पीड़न का अधिक खतरा है.

अध्ययन में यह भी पाया गया है कि घूरना, पीछा करने, फब्तियां कसने और छूने जैसी घटनाएं बढ़ी हैं लेकिन इन्हें यौन उत्पीड़न जितना गंभीर नहीं माना जाता है. इसमें बताया गया है कि भीड़-भाड़ वाले स्थानों पर उत्पीड़न की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं.

अध्ययन के मुताबिक, करीब 50 फीसदी में से 39 प्रतिशत महिलाओं ने सार्वजनिक परिवहन और बाजारों को ऐसे सार्वजनिक स्थलों के तौर पर बताया है जहां उत्पीड़न की काफी घटनाएं होती हैं. इसमें बताया गया है कि 26 फीसदी महिलाओं ने कहा है कि वे सड़क किनारे यौन उत्पीड़न का सामना करती हैं, जबकि 16 प्रतिशत महिलाओं ने कहा कि उन्हें सार्वजनिक परिवहन का इंतजार करने के दौरान यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है.

प्रियंका संग हुई अमानवीयत से हिला देश

आपको बता दें कि आंध्र प्रदेश से एक महिला पशु चिकित्सक का बलात्कार के बाद जलाए जाने का मामला सामने आया है. तेलंगाना के रंगा रेड्डी जिले के बाहरी इलाके शादनगर में महिला डॉक्टर का शरीर जला हुआ शव बरामद होने के बाद से पूरे देश में आक्रोश है. महिला की पहचान प्रियंका रेड्डी के रूप में हुई है. प्रथमदृष्टया पुलिस ने इस मामले को बलात्कार के बाद क्रूरता से जलाने का बताया है. एफआईआर रजिस्टर करने के बाद चार लोगों को गिरफ्तार किया गया है और मामले की जांच जारी है.

जानकारी के मुताबिक तेलंगाना के शादनगर में स्थित अपने घर से वह हॉस्पिटल काम पर गई थीं लौटते समय बीच रास्ते में उसकी स्कूटी पंचर हो गई जिससे वह रास्ते में ही फंस गई. शादनगर के एसीपी वी सुरेंद्र ने बताया, ‘शमशाबाद ग्रामीण पुलिस स्टेशन पर प्रियंका की बहन का फोन आया. प्रियंका कोल्लूर में पशु चिकित्सक हैं. और अस्पताल में इलाज कर वापस लौट रहीं थीं तभी उनकी गाड़ी पंचर हो गई. आज सुबह उनका शव बुरी तरह से जला हुआ प्राप्त हुआ है.’

पीड़ित की बहन ने बताया कि पिछली रात प्रियंका घर वापस लौटते समय डरी हुईं थीं लेकिन जब मैंने दोबारा फोन किया तो उनका फोन बंद था. हमने उसे खोजने की कोशिश की लेकिन हम नाका रहे. इसके बाद हमने पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की.

बता दें कि आज सुबह प्रियंका रेड्डी का शव उस जगह से 30 किमी दूर शादनगर में एक अंडरब्रिज के नीचे से बरामद किया गया. पुलिस ने बताया कि महिला ने अंतिम बार अपने फोन से रात सवा 9 बजे अपनी बहन से बात की थी. फोन कॉल ऑडियो से पता चला कि उसे किसी ने उसका टायर मरम्मत करने का ऑफर किया था. पुलिस ने पहली नजर में माना है कि महिला के साथ पहले बलात्कार किया गया है उसके बाद उसे जला दिया गया.

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