मुंबई, आठ जुलाई (भाषा) बिना किसी नागरिकता दस्तावेज या भारतीय पासपोर्ट के भारत में 50 साल से अधिक समय से रह रही 66 वर्षीय एक महिला ने शुक्रवार को बंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और केंद्र सरकार को उन्हें नागरिकता प्रदान करने का निर्देश देने का अनुरोध किया।
भारतीय मूल की महिला इला पोपट ने न्यायमूर्ति एस.वी. गंगापुरवाला की अगुवाई वाली पीठ के समक्ष दायर अपनी याचिका में दावा किया कि वह पूर्वी अफ्रीका के युगांडा में पैदा हुई थीं और 1956 में अपनी मां के भारतीय पासपोर्ट पर भारत आईं, उस समय वह दस साल की थीं।
याचिका के मुताबिक, इला ने 10 साल बाद एक भारतीय नागरिक से शादी की और अब उनके दो बच्चे और कई पोते-पोतियां हैं तथा वे सभी भारतीय नागरिक हैं। इला ने हालिया वर्षों के दौरान तीन बार भारतीय पासपोर्ट के लिए आवेदन किया, लेकिन दस्तावेजों की कमी के कारण हर बार उनका अनुरोध अस्वीकार कर दिया गया।
याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि वर्ष 2018-19 में अधिकारियों ने उनसे कहा था कि उन्हें भारतीय पासपोर्ट प्राप्त करने से पहले भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करना चाहिए। इसके अनुसार, 2019 में याचिकाकर्ता ने नागरिकता के लिए ऑनलाइन आवेदन किया था, लेकिन अधिकारियों ने उनके वीजा विवरण में एक ‘‘खामी’’ के कारण उसे खारिज कर दिया।
केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील अद्वैत सेठना ने उच्च न्यायालय से कहा कि इला को नागरिकता तभी दी जा सकती है, जब वह अपना जन्म प्रमाण पत्र या कोई अन्य ऐसा दस्तावेज जमा करें, जिससे उनके जन्मस्थान और वह भारत कैसे आईं, इसकी पुष्टि की जा सके।
सेठना ने सुझाव दिया कि याचिकाकर्ता युगांडा में दूतावास से संपर्क करके उनसे आवश्यक दस्तावेज प्राप्त कर सकती हैं।
उच्च न्यायालय ने अगली सुनवाई 22 अगस्त के लिए सूचीबद्ध की।
भाषा शफीक दिलीप
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