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Saturday, 30 August, 2025
होमदेशदूसरी नौकरी की तलाश कर रहे कर्मी के बकाये को रोकना नैसर्गिक न्याय के खिलाफ : कलकत्ता उच्च न्यायालय

दूसरी नौकरी की तलाश कर रहे कर्मी के बकाये को रोकना नैसर्गिक न्याय के खिलाफ : कलकत्ता उच्च न्यायालय

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कोलकाता, 30 अगस्त (भाषा) कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक मामले की सुनवाई करते हुए टिप्पणी की कि दूसरी नौकरी की तलाश करना, भले ही वह प्रतिद्वंद्वी कंपनी में बेहतर सुविधाओं और लाभों के साथ क्यों न हो, एक बुनियादी अधिकार है और यह नैतिक कदाचार नहीं है।

अदालत ने साथ ही कहा कि किसी कंपनी द्वारा इस आधार पर किसी कर्मचारी के बकाये का भुगतान न करना नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।

न्यायमूर्ति शम्पा दत्त (पॉल) की पीठ ने इसी के साथ भारत में एक खास तरीके की इंसुलेटर फिल्म बनाने की एकमात्र निर्माता होने का दावा करने वाली कंपनी के अनुशासनात्मक आदेश और दंड को खारिज करते हुए कर्मी को 1.37 लाख रुपये की ग्रेच्युटी राशि आठ प्रतिशत प्रति वर्ष के साधारण ब्याज की दर से भुगतान करने का आदेश दिया।

न्यायमूर्ति दत्त ने बृहस्पतिवार को दिए गए फैसले में कहा, ‘‘दूसरी नौकरी की तलाश करना, भले ही वह किसी प्रतिद्वंद्वी कंपनी में ही क्यों न हो (हालांकि इस मामले में यह साबित नहीं हुआ), जिसमें बेहतर सुविधाएं और लाभ हों एक बुनियादी अधिकार है और यह नैतिक कदाचार नहीं है, क्योंकि यह ईमानदारी, विनम्रता या अच्छे नैतिक मूल्यों के विपरीत नहीं है।’’

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता कंपनी यह साबित नहीं कर सकी कि नियोक्ता को कोई नुकसान या क्षति प्रतिवादी के किसी ऐसे कृत्य के कारण हुआ था, जो उपद्रवी, अव्यवस्थित या नैतिक कदाचार से संबंधित था।

न्यायमूर्ति दत्त ने कहा, ‘‘जांच प्राधिकारी का आचरण स्पष्ट रूप से अधिकार का दुरुपयोग है और पूरी तरह से नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों के विरुद्ध है, क्योंकि याचिकाकर्ता के खिलाफ अनुशासनात्मक प्राधिकारी का कोई स्वतंत्र, विशिष्ट निष्कर्ष नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘न तो किसी तर्क का और न ही नैसर्गिक न्याय के सिद्धांतों का पालन किया गया।’’

उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका नियंत्रक प्राधिकारी और अपीलीय प्राधिकारी द्वारा पारित आदेशों के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें कंपनी में तकनीशियन के रूप में काम करने वाले सुदीप सामंत को ग्रेच्युटी बकाया का भुगतान करने का निर्देश दिया गया था।

उच्च न्यायालय ने कंपनी की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि अपीलीय प्राधिकरण का आदेश तर्कसंगत है तथा ग्रेच्युटी भुगतान के प्रावधानों की सीमा तक क्षेत्राधिकार के भीतर है तथा स्पष्ट रूप से कानून के अनुरूप है।

कंपनी ने आरोप लगाया गया था कि सामंत एक प्रतिद्वंद्वी कंपनी के अधिकारियों के साथ नियमित संपर्क में थे, जो उसी उत्पाद के निर्माण के लिए एक समान इकाई स्थापित करने का प्रयास कर रहे थे। कंपनी के मुताबिक, सामंत इस उद्देश्य के लिए प्रक्रिया, रसीद और प्रौद्योगिकी से संबंधित गोपनीय जानकारी उन्हें दे रहे थे।

सामंत को 2012 में कंपनी में नौकरी मिली थी और आंतरिक जांच के आधार पर उन्हें 11 अक्टूबर, 2022 को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था।

भाषा धीरज दिलीप

दिलीप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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