नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच द्वारा पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती ‘घोटाले’ से जुड़े मामले की सुनवाई से हटाने के बाद कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय, जो इन मामलों की एकल-न्यायाधीश पीठ की अध्यक्षता कर रहे थे, ने कहा कि वह ‘भ्रष्टाचार’ के खिलाफ अपनी आवाज उठाते रहेंगे.
पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी सहित सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के कई दिग्गज नेता अभी राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती में कथित अनियमितताओं के आरोप में सलाखों के पीछे हैं. सैकड़ों इच्छुक शिक्षक कई महीनों से कोलकाता में यह दावा करते हुए धरना दे रहे हैं कि शिक्षक भर्ती परीक्षा पास करने के बावजूद उन्हें नौकरी नहीं मिली. उन्होंने आगे आरोप लगाया कि कई अयोग्य उम्मीदवारों ने रिश्वत के बदले परीक्षा में खराब प्रदर्शन के बावजूद नौकरी हासिल कर लिया.
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुक्रवार को एक स्थानीय समाचार चैनल को दिए एक साक्षात्कार का संज्ञान लेते हुए, जिसमें उन्होंने कथित रूप से शिक्षक भर्ती ‘घोटाले’ से संबंधित चल रहे मामलों में कार्यवाही का विवरण साझा किया था, यह आदेश जारी किया.
शीर्ष अदालत के आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए, न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने कहा, ‘यह मेरा निर्णय नहीं है. सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर मामले को मेरी पीठ से स्थानांतरित कर दिया गया है. सर्वोच्च न्यायालय देश में न्याय का सर्वोच्च कार्यालय है और हम सभी को इसकी आवश्यकता है. उनके आदेश का पालन करें.’
यह पूछे जाने पर कि क्या नौकरी की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे शिक्षकों के विरोध में यह आदेश एक झटके के रूप में आया है, न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने कहा, ‘यहां तक कि अगर कुछ लोग आदेश से निराश हैं, तो भी बहुत कुछ नहीं किया जा सकता है. जैसा कि हम सभी को पता है कि हमें सुप्रीम कोर्ट के निर्देश का सम्मान करना चाहिए.’
न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने संवाददाताओं से कहा, ‘जब तक मैं न्याय की सेवा में हूं, मैं अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी आवाज उठाता रहूंगा.’
नौकरी के लिए विरोध करने वाले को अपने संदेश पर, न्यायमूर्ति गांगुली ने कहा, ‘मैं उन्हें धैर्य रखने की सलाह दूंगा क्योंकि मामला अभी भी अदालत में है और इसे केवल एक अलग न्यायाधीश के पास स्थानांतरित कर दिया गया है.’
शीर्ष अदालत के आदेश को लेकर उन्होंने कहा, ‘मैंने अभी भी आदेश की जांच नहीं की है. वकीलों के आने और (मामले में) अपनी दलीलें देने के बाद मुझे इसकी उचित समझ आएगी.’
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