अलीपुरद्वार (प. बंगाल), सात जून (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कुछ नेताओं द्वारा पश्चिम बंगाल को काटकर अलग राज्य बनाने की मांग के मद्देनजर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को कहा कि राज्य को विभाजित करने की कोशिशों को विफल करने के वास्ते जरूरत पड़ने पर वह अपना खून तक बहाने के लिए भी तैयार हैं।
ममता ने भाजपा पर 2024 के आम चुनाव से पहले राज्य में ‘‘अलगाववाद’’ को बढ़ावा देने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उत्तर बंगाल में सभी समुदाय के लोग दशकों से एक-दूसरे के साथ मिलकर रह रहे हैं, लेकिन भाजपा लोगों को बांटने की कोशिश कर रही है।
तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ने पार्टी की एक बैठक को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘लोकसभा चुनाव करीब आने के साथ ही भाजपा अलग राज्य की मांग को हवा दे रही है। भाजपा कभी गोरखालैंड की मांग कर रही है, तो कभी अलग उत्तर बंगाल की मांग कर रही है। मैं जरूरत पड़ने पर अपना खून तक बहाने के लिए तैयार हूं, लेकिन राज्य को कभी विभाजित नहीं होने दूंगी।’’
तृणमूल ने ट्वीट किया, ‘‘ बंगाल एकजुट है। मैं अपना खून दे दूंगी, लेकिन मैं भाजपा को अपनी मनमर्जी से बंगाल को बांटने नहीं दूंगी। आप मुझे धमकी दे सकते हैं, मेरी छाती पर बंदूक तान सकते हैं , उसके बाद भी मैं एकजुट बंगाल के लिए संघर्ष करूंगी- अलीपुरद्वार में हमारी माननीय अध्यक्ष ममता।’’
लोगों से एकजुट रहने की अपील करते हुए तृणमूल प्रमुख ने विकास परियोनजाएं गिनायीं।
कामतापुर लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन के नेता जीवन सिंघा के उस कथित वीडियो के संदर्भ में, जिसमें कामतापुर की मांग नहीं मानने पर मुख्यमंत्री को ‘‘रक्तपात’’ की धमकी दी गई है, बनर्जी ने कहा कि वह इस तरह की धमकियों से नहीं डरती हैं।
विपक्ष के नेता के तौर पर अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए बनर्जी ने कहा कि वह जान की कई धमकियों का सामना कर चुकी हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोग मुझे धमकी दे रहे हैं। वे कह रहे हैं कि यदि मैंने बंगाल का विभाजन नहीं होने दिया तो मुझे मार डालेंगे । मुझे इसकी परवाह नहीं है। मैं इस तरह की धमकियों से नहीं डरती।’’
आठ जिलों का उत्तर बंगाल आर्थिक रूप से पश्चिम बंगाल के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यहां कमाऊ चाय उद्यान, इमारती लकड़ियां एवं पर्यटन उद्योग हैं। इस क्षेत्र की सीमा नेपाल, भूटान, एवं बांग्लादेश से मिलती है और यह अपनी सिलीगुड़ी गलियारे की वजह से रणनीतिक रूप से देश के महत्वपूर्ण है। यह गलियारा पूर्वोत्तर राज्यों को भारत की मुख्य भूमि से जोड़ता है एवं उसे ही ‘चिकेन नेक’ कहा जाता है। यहां 1980 के दशक से गोरखा, राजबंशियों, कोच, कामतापुरी समुदायों जैसे जातीय समूहों के कई पृथक राज्य हिंसक आंदोलन हुए हैं।
माटिगारा-नक्सलबारी निर्वाचन क्षेत्र के भाजपा विधायक आनंदमय बर्मन , दाबग्राम-फुलबारी सीट की भाजपा विधायक शिखा चटर्जी ने उत्तरी बंगाल को केंद्रशासित प्रदेश बनाने की तरफदारी की जबकि कुर्सियोंग के भाजपा विधायक विष्णुप्रसाद शर्मा ने बंगाल से दार्जिलंग का अलग करने की मांग की।
भाषा राजकुमार रंजन
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