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Friday, 22 November, 2024
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दलहन और तिलहन को इस साल धान, अनाज की तुलना में अधिक MSP क्यों मिला है

अधिकतम एमएसपी बढ़ोतरी तिलहन तिल के लिए 452 रुपये प्रति क्विंटल की गई है, जो पिछले साल की तुलना में 6.59 प्रतिशत अधिक है और इस साल सभी फसलों में सर्वाधिक है.

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नई दिल्ली: गर्मियों में बुआई वाली दलहन और तिलहन फसलों के लिए केंद्र की तरफ से निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोत्तरी इस साल कम घरेलू उत्पादन और उच्च अंतरराष्ट्रीय दरों के कारण धान जैसी अन्य फसलों की तुलना में अधिक रही है.

केंद्र सरकार ने बुधवार को आगामी महीनों में कटने वाली 14 खरीफ फसलों के लिए एमएसपी बढ़ा दिया है.

तिलहन और दलहन की कीमतों में वृद्धि खासकर उत्पादन बढ़ाने और आयात पर देश की निर्भरता घटाने के लिए की गई है. साथ ही मौजूदा परिस्थितियों के कारण मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए भी यह कदम उठाया गया है.

एक दलहन निकाय ने पिछले हफ्ते कहा था कि इस साल काटा गया अनाज शुरुआती अनुमानों के मुकाबले उत्पादन में कम रहा है. इंडियन पल्स एंड ग्रेन्स एसोसिएशन का कहना था, ‘इस वजह से इस साल कीमतें तब तक ऊंची बनी रहेंगी, जब तक कि हम प्रमुख उत्पादक देशों से पर्याप्त मात्रा में दालों का आयात नहीं करते.’

अधिकतम वृद्धि तिलहन तिल के लिए हुई है. यह घरेलू बाजारों में एक लोकप्रिय तेल है जो अपने पोषक तत्वों और स्वास्थ्य संबंधी लाभों के कारण काफी ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. तिल का एमएसपी 452 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 7,307 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया, जबकि पिछले साल यह 6,855 रुपये प्रति क्विंटल था. पिछले साल के मुकाबले यह वृद्धि 6.59 फीसदी की है, जो इस साल सभी फसलों में सबसे ज्यादा है.

एक अन्य लोकप्रिय खाद्य तेल के उत्पादन से जुड़ी फसल मूंगफली के एमएसपी में 5.21 प्रतिशत वृद्धि हुई है और 5,275 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 5,550 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है.

तूअर या अरहर और उड़द जैसी दालों के समर्थन मूल्य में भी ठीक-ठाक वृद्धि की गई है क्योंकि ये वस्तुएं भी हाल ही में महंगी हुई हैं. दोनों का एमएसपी 6000 रुपये प्रति क्विंटल की तुलना में पांच प्रतिशत बढ़ाकर 6300 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है.


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खुदरा मूल्य फैक्टर

दलहन और तिलहनों के एमएसपी में भारी वृद्धि पिछले कुछ महीनों में उनके खुदरा और थोक मूल्यों में वृद्धि के कारण की गई है.

उपभोक्ता मामलों के विभाग से मिले आंकड़े बताते हैं कि पिछले एक साल में मूंगफली तेल की खुदरा कीमत 30 रुपये से 80 रुपये प्रति किलो तक बढ़ी है. इसी तरह, सोयाबीन तेल, जो एक आगामी खरीफ फसल है, की कीमतों में 40 से 85 रुपये प्रति किलोग्राम की वृद्धि हुई है.

दिल्ली में मूंगफली तेल की कीमत 119 रुपये किलो से बढ़कर 202 रुपये किलो हो गई है. सोयाबीन की कीमत भी बढ़कर 174 रुपये किलो पर पहुंच गई है.

सरसों और पाम जैसे अन्य लोकप्रिय खाद्य तेलों में भी पिछले कुछ महीनों में तेजी से वृद्धि हुई है. अभी कुछ समय से कीमतें 150 रुपये प्रति किलोग्राम के आस-पास बनी हुई हैं.

दालों की कीमतें, जिसमें एमएसपी संशोधित किया गया है, भी 100 रुपये प्रति किलोग्राम से ऊपर चल रही हैं.

तूअर/अरहर दाल—जो देश में इस्तेमाल होने वाली प्रमुख दालों में है—का खुदरा मूल्य 19 प्रतिशत से अधिक बढ़कर 98 रुपये प्रति किलोग्राम से 123 रुपये प्रति किलोग्राम हो गया है. इसी तरह, लोकप्रिय दक्षिणी भोजन में इस्तेमाल होने वाली प्रमुख दाल उड़द की कीमत भी बढ़कर 145 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है.

हालांकि, संशोधित कीमतों में कुछ निराशा भी हाथ लगी है. सोयाबीन का एमएसपी महज 1.80 प्रतिशत बढ़ाकर 3,880 रुपये प्रति क्विंटल की तुलना में 3,950 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. पिछले साल सोयाबीन का एमएसपी 4.58 फीसदी बढ़ाया गया था.

एक अन्य प्रमुख दलहन फसल मूंग के मामले में एमएसपी 1.10 प्रतिशत बढ़ाया गया है, जो 7,196 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 7,275 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है. पिछले साल मूंग के एमएसपी में 2.07 फीसदी की वृद्धि हुई थी.

बाजार में इन दोनों जिंसों में पिछले साल की तुलना में खासा उछाला देखा गया है. सोयाबीन तेल के खुदरा मूल्य में 35 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि हुई गई है, जबकि मूंग में कम से कम 7-10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है.

मुख्य खरीफ फसल धान के लिए एमएसपी में मामूली वृद्धि ही की गई है, जो 72 रुपये की वृद्धि के साथ 1,868 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़कर 1,940 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया है.

इसका कारण पिछले साल अक्टूबर में अत्यधिक धान की खरीद होना भी है. फसल की खरीद करने वाले भारतीय खाद्य निगम को बंपर फसल के कारण भंडारण की समस्या का सामना करना पड़ रहा है.

कुल मिलाकर, आगामी 2021-22 फसल चक्र के लिए एमएसपी में वृद्धि 1.08 प्रतिशत से 6.6 प्रतिशत के बीच रही है. पिछले वर्ष की तुलना में औसत वृद्धि 3.7 प्रतिशत है.

मोटे अनाज ज्वार और बाजरा की दरें क्रमश: 118 रुपये और 100 रुपये बढ़ाकर क्रमश: 2,738 रुपये प्रति क्विंटल और 2,250 रुपये क्विंटल कर दी गई हैं.

बाजरे के एमएसपी में 4.65 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है, जो पिछले साल के 7 फीसदी के मुकाबले बहुत कम है.

इस बीच, एमएसपी में सबसे कम वृद्धि—सिर्फ 20 रुपये प्रति क्विंटल—मक्का में हुई है जो 1,850 रुपये से बढ़कर 1,870 रुपये हुआ है. पिछले साल फसल में कुल वृद्धि की बात करें तो यह 4.86 प्रतिशत थी.

मीडियम-स्टेपल कॉटन का एमएसपी 2021-22 के लिए 211 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 5,726 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है. लॉन्ग स्टेपल कॉटन की कीमत 200 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाकर 6025 रुपये प्रति क्विंटल कर दी गई है.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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