प्रयागराज: प्रयागराज के सुलेम सराय इलाके में शुक्रवार की एक सुनसान शाम में गोलियों और धमाकों की आवाज सुनाई दी, जिसमें बीजेपी सदस्य उमेश पाल की उनके घर से चंद कदमों की दूरी पर मौत हो गई. पूर्व लोकसभा सांसद और कथित गैंगस्टर अतीक अहमद को जल्द ही मुख्य संदिग्ध के रूप में नामित किया गया था. उमेश अतीक के खिलाफ एक हाई-प्रोफाइल हत्या के मामले में एक प्रमुख गवाह था, लेकिन पुलिस का कहना है कि 24 फरवरी की हत्या के पीछे की मंशा अधिक जटिल हो सकती है.
प्रयागराज के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के अनुसार, अतीक के साथ उमेश की बढ़ती प्रतिद्वंद्विता, बदलते सत्ता समीकरण और “विश्वासघात” करने का शक इस हत्या के पीछे का कारण हो सकता है. इसके अतिरिक्त, उमेश ने अतीक के खिलाफ जो मामला दर्ज कराया था, वह मुकदमे के अंतिम चरण में पहुंच रहा था, और इसके परिणामस्वरूप सजा हो सकती थी. अतीक पिछले चार दशकों में करीब 100 मामलों में नामजद है लेकिन उसे कभी सजा नहीं हुई.
अब तक, उमेश के साथ अतीक का जो संबंध बताया जा रहा है वह यह है कि उमेश 2005 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के विधायक राजू पाल की हत्या का गवाह था.
अतीक और उनके भाई अशरफ इस मामले में मुख्य अभियुक्त हैं. वर्तमान में सीबीआई अदालत में मुकदमा चल रहा है. अतीक उस वक्त समाजवादी पार्टी में थे.
लेकिन इस मामले के दौरान और उसके बाद की घटनाएं न तो सरल रही हैं और न ही सीधी.
राजू पाल मामले में उमेश 2006 में मुकर गया था और उसने अतीक के खिलाफ गवाही नहीं दी थी. हालांकि, 2007 में, जब बसपा उत्तर प्रदेश में सत्ता में थी, उमेश ने अतीक और अन्य पर 2006 में उनका अपहरण करने का आरोप लगाया.
अपहरण के इस मामले में सभी गवाहों की कोर्ट में गवाही हो चुकी है. यदि दोष सिद्ध हो जाता है, तो यह अतीक के कभी भी दोषी नहीं ठहराए जाने के ‘पूरे’ ट्रैक रिकॉर्ड के लिए एक झटका होगा, हालांकि वह जेल में कई बार समय बिता चुका है और वर्तमान में गुजरात जेल में बंद है.
इसके अलावा, उमेश, जो 2019 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हुए थे, माना जाता है कि उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में अतीक के खिलाफ संपत्ति संबंधी कई मामले दर्ज किए हैं. कहा जाता है कि उमेश ने पुलिस को गैंगस्टर से नेता बने अतीक और उसके परिवार की करोड़ों रुपये की संपत्ति जब्त करने के लिए कानूनी और अवैध संपत्ति के बारे में सूचना दी थी.
सूत्रों ने बताया कि जिस एंगल से पुलिस जांच कर रही है, उसमें इस बात की भी संभावना है कि अतीक ने पैसे का ऑफर देकर उमेश के साथ “संबंध” को बेहतर बनाने की कोशिश की, और जब उमेश, अतीक के खिलाफ काम करता रहा तो उसने संभवतः इसे “विश्वासघात” के रूप में देखा.
जबकि इन सिद्धांतों की अभी भी जांच चल रही है, पुलिस सूत्रों के साथ-साथ उमेश पाल के सहयोगियों ने प्रयागराज में सामूहिक हिंसा, बदलती वफादारी और राजनीति के एक जटिल जाल पर प्रकाश डाला.
इस बीच, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को संबोधित एक पत्र में, अतीक अहमद की पत्नी शाइस्ता परवीन – जिनका खुद का नाम भी एक आरोपी के रूप में है – ने दावा किया है कि उनके पति और परिवार के अन्य सदस्यों के खिलाफ आरोप “आधारहीन” और “राजनीतिक षड्यंत्र” का हिस्सा हैं.”
दिप्रिंट ने जो पत्र देखा है, उसमें कहा गया है, “उमेश पाल की पत्नी ने मेरे पति अतीक अहमद, मेरे बहनोई खालिद अजीम उर्फ अशरफ, मेरे और मेरे बेटों व नौ अज्ञात लोगों सहित नौ लोगों को नामजद करते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई है.”
“इस प्राथमिकी में, मेरे पति, देवर और बेटों पर साजिश का आरोप लगाया गया है और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर मेरे बेटे को शूटर के रूप में नामित किया गया है. यह आरोप पूरी तरह निराधार है.’
दिप्रिंट ने शाइस्ता परवीन के वकील सौलत हनीफ को कॉल किया और व्हाट्सएप संदेश भेजे, लेकिन इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने तक उनकी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली.
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‘गवाही से मुकरने’ से लेकर अतीक पर आरोप लगाने तक
रुआबदार मूंछ और भेदक दृष्टि वाले थुलथुल और नाटे कद वाला आदमी और जिसने कथित तौर पर जेल अधिकारियों में भी डर पैदा कर दिया था, वह अतीक अहमद, जिसकी उम्र अब 60 साल है, अपनी किशोरावस्था के बाद से ही अधिकारियों के रडार पर था.
दिप्रिंट के पास उत्तर प्रदेश पुलिस के रिकॉर्ड में उसे “अंतर-राज्य गिरोह 227” के अगुवा के रूप में दर्ज किया गया है और हत्या व हत्या के प्रयास से लेकर जबरन वसूली और आपराधिक धमकी जैसे लगभग 100 मामलों में उसका नाम है. उस पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तीन मामलों में भी केस दर्ज किया गया है.
फिर भी, जेल में रहने के बावजूद, अतीक को पिछले 44 वर्षों में एक बार भी दोषी नहीं ठहराया गया है.
इसके बजाय, उसने अलग-अलग पार्टियों में रहते हुए एक के बाद एक बढ़ते राजनीतिक करियर का लुत्फ उठाया. उसे 1989 में इलाहाबाद (पश्चिम) से विधायक के रूप में चुना गया, जहां से वह लगातार पांच बार विधायक के रूप में चुना गया. 2004 में, अतीक ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा और फूलपुर से सांसद के रूप में जीत दर्ज की.
2005 में बसपा नेता राजू पाल की हत्या के मामले में अतीक और उसके भाई को मुख्य आरोपी के रूप में नामजद किए जाने के बाद उसका राजनीतिक उत्थान रुक गया.
उस समय राजू पाल ने अतीक के भाई अशरफ अहमद उर्फ खालिद अजीम को हराकर इलाहाबाद (पश्चिम) सीट पर 2005 का उपचुनाव जीता था.
फिर भी यह मामला, अतीक के खिलाफ अधिकांश मामलों की तरह, खिंचता ही चला गया. 2019 से सीबीआई कोर्ट में ट्रायल चल रहा है.
यूपी के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा,“अतीक अहमद के खिलाफ वर्तमान में उत्तर प्रदेश के विभिन्न पुलिस स्टेशनों में कुल 100 मामले दर्ज हैं, लेकिन उन्हें अभी तक एक भी मामले में दोषी नहीं ठहराया गया है. यह अभियोजन पक्ष और न्यायिक प्रक्रिया पर एक प्रश्न चिह्न बना हुआ है.”
मुख्य मुद्दा जो कथित तौर पर दोषसिद्धि के रास्ते में आया, वह गवाहों का मुकरना था. इसी तरह से एक बार राजू पाल मामले में उमेश पाल भी मुकर गए थे, जो मारे गए बसपा नेता के करीबी सहयोगी थे.
दिप्रिंट से बात करते हुए, उमेश की पत्नी जया पाल ने दावा किया कि उनके पति पर अतीक के पक्ष में गवाही देने के लिए दबाव डाला गया था. जया पाल ने कहा, “उसे प्रलोभन की पेशकश की गई थी, लेकिन उसके जीवन के लिए भी खतरा था. उन्हें अतीक के खिलाफ पेश नहीं होने के लिए कहा गया था.”
उमेश पाल के पुराने मित्र राजपाल यादव ने भी इसी तरह के आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा, “अतीक और उसका गिरोह यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी गवाह रिश्वत या धमकी देकर उनके खिलाफ गवाही नहीं दे सके. अदालतें उसे बरी कर देंगी क्योंकि गवाह गवाही नहीं देंगे.”
हालांकि, 2007 में उमेश ने अतीक, अशरफ और कई अन्य लोगों के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज कराया. यह मामला प्रयागराज की एक अदालत में चल रहा है और फैसले के करीब है.
पुलिस सूत्रों ने कहा कि वे इस बात की जांच कर रहे हैं कि क्या संभवतः अतीक को होने वाली सजा उमेश पाल की हत्या का एक कारक हो सकती है, लेकिन साथ ही कहा कि दोनों के बीच अन्य खटास भी हो सकती है.
एक ‘समझ’ और एक ‘विश्वासघात’?
राजू पाल की पत्नी पूजा, जो अब समाजवादी पार्टी की विधायक हैं, ने मीडियाकर्मियों से दावा किया है कि उन्होंने 2017 में उमेश से नाता तोड़ लिया था, जब उन्हें पता चला कि उमेश अतीक अहमद और उनके सहयोगियों के साथ मिल रहे थे. उसने अपने आरोपों को वापस लेने के लिए “नार्को टेस्ट” कराने की भी पेशकश की.
दिप्रिंट ने पूजा पाल से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला.
इस बीच, पुलिस इस थ्योरी की पड़ताल कर रही है कि उमेश ने अतीक के द्वारा किसी तरह का प्रलोभन स्वीकार कर लिया हो, लेकिन उसने इस संभावित सौदेबाजी की शर्तों पर अमल नहीं किया.
जांच से जुड़े प्रयागराज के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने दावा किया कि माना जाता है कि उमेश ने अपहरण के मामले में गवाही नहीं देने के बदले में “अतीक के गिरोह के सदस्यों से 5 करोड़ रुपये” लिए थे, लेकिन फिर भी वह रुका नहीं. अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘इससे संभावना है कि अतीक को गुस्सा आ गया होगा.’
शाइस्ता परवीन के पत्र में लिखा है कि उस मामले में उमेश की गवाही अगस्त 2016 में दर्ज की गई थी.
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जमीन, राजनीति और बढ़ता दबदबा
जांच से जुड़े पुलिस अधिकारी ने कहा कि प्रयागराज के धूमनगंज और आसपास के इलाकों में उमेश पाल का संपत्ति कारोबार हाल के वर्षों में बढ़ा है.
उमेश कुछ राजनीतिक कद भी विकसित कर रहा था. भाजपा में शामिल होने के बाद, उसे कथित तौर पर यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल सहित शीर्ष नेताओं के साथ देखा गया था.
इस बीच, अतीक अहमद, प्रयागराज विश्वविद्यालय के कर्मचारियों पर कथित हमले के आरोप में 2017 की गिरफ्तारी के बाद से ही जेल में बंद था.
अधिकारी ने कहा कि उमेश द्वारा अतीक को टारगेट किए जाने का सिलसिला संभवतः इसी अवधि के आसपास शुरू हो रहा था.
“उमेश की उस एरिया में प्रॉपर्टीज़ में जैसे जैसे रुचि बढ़ती गई वैसे-वैसे क्षेत्र में उसका प्रभाव भी बढ़ता गया. अतीक के जेल जाने (2017 में) के बाद उसके गैंग के खिलाफ धूमनगंज, खुल्दाबाद, करेली और पुरामुफ्ती थानों में आपराधिक धमकी, जबरन वसूली आदि के कई मामले दर्ज किए गए थे. उनके लोगों को मामलों के पीछे उमेश की भूमिका की भनक लग गई थी.’
अधिकारी ने कहा कि उमेश ने कथित तौर पर अतीक की संपत्तियों के बारे में पुलिस को “सिनाख्त” कर दी.
“अतीक की संपत्तियों का विवरण पुलिस को लीक कर दिया गया था, जिसके बाद संपत्ति की जब्ती और अतीक के गिरोह द्वारा नियंत्रित संपत्तियों का ढहाया जाना उसे कमजोर कर रहा था. इससे उसका गिरोह खासकर अतीक का भाई अशरफ की हताशा और गुस्सा बढ़ता जा रहा था.’
यूपी सरकार अब तक अतीक और उसके परिवार की 11,684 करोड़ रुपये की संपत्ति को या तो जब्त कर चुकी है या ढहा चुकी है.
अक्टूबर 2022 को एक पुलिस वैन में अदालत में लाए जाने के दौरान, अतीक ने अप्रत्याशित रूप से टिप्पणी की कि आदित्यनाथ एक “बहादुर, ईमानदार और मेहनती” मुख्यमंत्री हैं. पुलिस सूत्रों ने कहा कि अतीक और उसके सहयोगी उमेश द्वारा कथित “पीठ में छुरा घोंपने” से अधिक परेशान थे.
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक वरिष्ठ अधिवक्ता के.के. रॉय, जिन्होंने उन लोगों के लिए मुकदमे लड़े हैं जिनकी संपत्ति प्रयागराज विकास प्राधिकरण द्वारा ध्वस्त कर दी गई है, ने दावा किया कि अतीक और उमेश के बीच धूमनगंज, पिपरी और कौशाम्बी जिले के कुछ हिस्सों में कई एकड़ जमीन को लेकर झगड़ा था.
पिपरी और कौशांबी जिले के बड़े हिस्से की जमीन पर भू-माफियाओं की नजर थी. यह संपत्ति की लड़ाई है और इसके राजनीतिक संबंध भी हैं.
प्रयागराज जिला प्रशासन वर्तमान में अतीक अहमद और उसके गिरोह के नियंत्रण में बाढ़ प्रभावित क्षेत्र और अन्य जगहों पर भूमि की पहचान कर रहा है.
जिला मजिस्ट्रेट संजय कुमार खत्री ने अतीक के गिरोह के नियंत्रण वाले भूखंडों की संख्या के बारे में जानकारी देने से इनकार करते हुए दिप्रिंट को बताया, “एक प्रक्रिया शुरू की गई है. ऐसी गुप्त बातें हैं जिनका इस बिंदु पर खुलासा नहीं किया जा सकता है.”
उमेश पाल हत्याकांड
यूपी के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने कहा कि उमेश पाल की हत्या कैसे हुई, इसमें कोई रहस्य नहीं है.
उन्होंने दिप्रिंट को बताया, “हमलावरों को कैमरे में बम फेंकते और गोलियां चलाते हुए देखा गया है. उनकी पहचान करना कोई बड़ी बात नहीं और उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा. अब तक हर एक चिन्हित व्यक्ति के नाम पर ढाई-ढाई लाख रुपये का इनाम घोषित किया गया है. यदि आवश्यक हुआ, तो इसे और बढ़ा दिया जाएगा.”
जैसा कि दिप्रिंट ने पहले बताया था, 24 फरवरी की हत्या के आरोपियों में अतीक अहमद, पत्नी शाइस्ता परवीन, बेटे असद और उनके भाई अशरफ शामिल हैं. गुड्डू नाम का एक “बम विशेषज्ञ” और भाजपा अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के सदस्य राहिल हसन (जो घटना के बाद अपने पद से हटा दिए गए थे) के भाई मोहम्मद गुलाम का भी नाम लिया गया है.
अतीक और अशरफ अलग-अलग मामलों में पहले से ही जेल में हैं. कथित पुलिस मुठभेड़ों में मारे गए दो लोगों को छोड़कर अन्य संदिग्ध फरार हैं. हमलावरों के वाहन के कथित चालक अरबाज की 27 फरवरी को गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. 3 मार्च को, विजय चौधरी, जिसके बारे में पुलिस ने कहा कि उसने पहली गोली चलाई थी, कथित जवाबी गोलीबारी में मारा गया.
पुलिस सूत्रों को संदेह है कि अशरफ ने उमेश को खत्म करने की योजना की देखरेख की और कथित तौर पर हमलावरों को चुना.
बरेली जेल के अंदर अपने साले सद्दाम और अन्य के साथ अशरफ की मुलाकातों को सुविधाजनक बनाने में जेल अधिकारियों की भूमिका की जांच के लिए एक विशेष जांच दल द्वारा जांच की जा रही है. जेल में सब्जी सप्लाई करने वाले एक गार्ड और एक वेंडर को अब तक गिरफ्तार किया जा चुका है.
इस बीच, अतीक की पत्नी शाइस्ता परवीन ने सीएम आदित्यनाथ को एक खुला पत्र लिखा है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि प्रयागराज के मेयर चुनाव में उन्हें लड़ने से दूर रखने के लिए परिवार के खिलाफ आरोप एक “राजनीतिक साजिश” का हिस्सा है. परवीन जनवरी 2023 में बसपा में शामिल हुई थीं.
इस चिट्ठी में कहा गया है कि उमेश पाल केस को सीबीआई को ट्रांसफर करने की मांग की गई है.
उन्होंने लिखा था, “मेरे बेटे को एक फुटेज के आधार पर शूटर करार दिया गया है जो पूरी तरह से निराधार है. हकीकत यह है कि आपकी सरकार में एक कैबिनेट मंत्री महापौर का पद अपने पास रखना चाहता था और हमें चुनाव से दूर रखना चाहता था और इसलिए षड़यंत्र के तहत ऐसे व्यक्ति की हत्या की गई जिसका जिम्मेदार मेरे पति को माने जाने की संभावना थी.”
पत्र में मंत्री नंद गोपाल गुप्ता ‘नंदी’ की ओर संकेत किया गया है, जिनकी पत्नी अभिलाषा गुप्ता वर्तमान में प्रयागराज की मेयर हैं. नंदी ने परवीन के आरोपों को ‘हास्यास्पद’ बताया है.
(संपादनः शिव पाण्डेय)
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