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Thursday, 5 December, 2024
होमदेशपुलिस के मुखिया को पद से हटाए जाने के 9 महीने बाद भी क्यों एक अस्थायी DGP के भरोसे है UP पुलिस ?

पुलिस के मुखिया को पद से हटाए जाने के 9 महीने बाद भी क्यों एक अस्थायी DGP के भरोसे है UP पुलिस ?

कार्यवाहक डीजीपी डीएस चौहान 31 मार्च को सेवानिवृत्त होने वाले हैं. नए डीजीपी की नियुक्ति की प्रक्रिया में कोई हलचल नहीं होने के कारण विपक्ष ने बार-बार इस मुद्दे को उठाया है.

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लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस बल के पास महीनों से स्थायी महानिदेशक नहीं है. दुनिया का सबसे बड़ा पुलिस बल जिसमें 3 लाख से अधिक लोग कार्यरत हैं, नौ महीने से अधिक समय से एक कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) के नेतृत्व में काम कर रहा है.

स्थायी डीजीपी की नियुक्ति की प्रक्रिया में कोई हलचल नहीं होने के कारण विपक्ष ने भी इस मुद्दे को बार-बार उठाया है. यूपी विधानसभा में विपक्ष के नेता अखिलेश यादव ने हाल ही में सरकार से पूछा था कि वह राज्य में अपराध को कैसे नियंत्रित करेगी जब वह एक स्थायी डीजीपी नियुक्त करने में विफल रही है.

राज्य सरकार और संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के बीच डीजीपी की नियुक्ति को लेकर तब से काफी खींचतान चल रहा है जब 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी मुकुल गोयल को कथित तौर पर, ‘सरकारी कर्तव्य की अवहेलना,’ ‘विभागीय कार्यों में रुचि की कमी’ और ‘आलस्य’ के आरोप में पिछले साल मई में पद से हटा दिया था. कार्यवाहक डीजीपी डीएस चौहान 31 मार्च को सेवानिवृत्त होने वाले हैं, इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुसार, सरकार को उसके बाद एक स्थायी डीजीपी नियुक्त करना होगा.

यदि यह सरकार ऐसा करने में विफल रहती है, तो नई नियुक्ति होने तक एक और कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त किया जा सकता है या किसी वरिष्ठ अधिकारी को प्रभार सौंपा जा सकता है. हालांकि, हाल की समाचार रिपोर्टों ने अनुमान लगाया है कि कार्यवाहक डीजीपी को ही सेवा विस्तार दिया जा सकता है.

राज्य सरकार द्वारा यूपीएससी को पद के लिए पात्र आईपीएस अधिकारियों के नाम भेजे जाने के बाद यूपी पुलिस को एक स्थायी डीजीपी मिल सकता है, जिसका चुनाव तीन लोगों की पैनल द्वारा किया जाना है.

गृह मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार, एक अधिकारी को डीजीपी के पद पर विचार करने के लिए 30 साल की सेवा पूरी करनी होती है.

पिछले साल सितंबर में सरकार ने करीब 38 आईपीएस अधिकारियों की सूची यूपीएससी को विचार के लिए भेजी थी. हालांकि, यूपीएससी ने यूपी सरकार को एक पत्र लिखा था जिसमें पूछा गया था कि गोयल को पद से क्यों हटाया गया और साथ ही उन सभी अधिकारियों की सूची मांगी गई जो मई 2022 तक पद के लिए पात्र थे. यूपीएससी ने पत्र डीजीपी के हटाए जाने के बाद लिखा था.

इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट से बात करते हुए कहा कि जब सरकार ने नामों की सिफारिश की, तो उसने उन सभी आईपीएस अधिकारियों की सूची भेजी, जिन्होंने सेवा में 30 साल पूरे कर लिए थे और 1 सितंबर 2022 तक छह महीने की सेवा बाकी थी.

‘जनवरी, फरवरी 2023 में सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारियों की सूची’

सरकारी सूत्रों ने दिप्रिंट को बताया, ‘हालांकि, इसमें गोपाल मीणा और राजेंद्र पाल सिंह जैसे कुछ वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी शामिल नहीं थे, जो क्रमशः जनवरी और फरवरी 2023 में सेवानिवृत्त हुए थे.’

एक अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा, ‘यूपीएससी ने सरकार से उन सभी अधिकारियों के नाम भेजने के लिए कहा, जिन्होंने मई 2022 तक सेवा में 30 साल पूरे कर लिए थे, यह कहते हुए कि कट-ऑफ का महीना (पद के लिए विचार के लिए) मई 2022 होगा, जब गोयल को पद से हटा दिया गया था.’

जबकि समाचार रिपोर्टों में कहा गया था कि सरकार ने यूपीएससी को गोयल को हटाने के कारणों के बारे में जवाब भेजा था, लेकिन अभी तक यूपीएससी को इस पद के लिए पात्र पुलिस अधिकारियों के नाम नहीं भेजे गए हैं.

दिप्रिंट से बात करते हुए, एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस मुद्दे पर और पत्राचार किया जाना बाकी है.


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31 मार्च को सेवानिवृत्त होंगे चौहान

यूपी पुलिस के हलकों में कार्यवाहक डीजीपी चौहान को सेवा विस्तार मिलने की अटकलों से बाजार गर्म है. दिप्रिंट से बात करने वाले कुछ पूर्व डीजीपी ने कहा कि आईपीएस अधिकारियों को एक्सटेंशन दिया जा सकता है, लेकिन कार्यवाहक डीजीपी का सेवा विस्तार ‘अनसुना’ सा है.

दिप्रिंट से बात करते हुए, यूपी के पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने दोहराया कि स्थायी या कार्यवाहक डीजीपी का विस्तार केंद्र सरकार द्वारा दिया जा जाता है और ऐसे कई उदाहरण हमारे पास हैं.

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘विस्तार का पोस्ट से कोई लेना-देना नहीं है. एक आईपीएस अधिकारी को एक्सटेंशन दिया जा सकता है और पहले भी ऐसा कई बार किया जा चुका है. राज्य सरकार केंद्र से सिफारिश करती है जिसके बाद केंद्र सरकार अंतिम आदेश जारी करती है. वास्तव में, केंद्र सरकार राज्य सरकार की किसी सिफारिश के बिना भी अपने दम पर सेवा विस्तार दे सकती है.’

यूपी और असम के पूर्व डीजीपी और बीएसएफ के पूर्व डीजी प्रकाश सिंह, जिनकी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी की नियुक्ति के लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए थे, ने दिप्रिंट को बताया कि डीजीपी के विस्तार, चाहे स्थायी हों या कार्यकारी, को केंद्र सरकार की मंजूरी की जरूरत होती है. हालांकि उन्होंने कहा कि एक कार्यवाहक डीजीपी की अवधारणा को प्रकाश सिंह के फैसले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अस्वीकार कर दिया गया है, और एक कार्यवाहक डीजीपी का सेवा विस्तार थोड़ा अनसुना सा लगता है.

उन्होंने कहा, ‘मैंने कार्यवाहक डीजीपी को कोई विस्तार दिए जाने के बारे में पहले नहीं सुना है, हालांकि कई स्थायी डीजीपी को विस्तार दिया गया है. एक डीजीपी का सेवा विस्तार केंद्र सरकार के फैसले के अधीन है. यूपी के वर्तमान कार्यवाहक डीजीपी के सेवा विस्तार के बारे में ये रिपोर्टें ज्यादातर अटकलें लग रही हैं और सख्ती से कहें तो सरकार को डीजीपी पद पर पदोन्नति के लिए यूपीएससी को अधिकारियों का एक नया पैनल भेजना चाहिए.’

सिंह ने कहा कि पिछले साल डीजीपी की नियुक्ति पर विवाद इसलिए हुआ क्योंकि सरकार कार्यवाहक डीजीपी को नियमित करना चाहती थी और यूपीएससी ने कुछ मुद्दों को उठाया और इस मुद्दे पर राज्य से स्पष्टीकरण मांगा.

सरकार के पास विकल्प

कार्यवाहक डीजीपी के विस्तार की अटकलों के बीच, कुछ सूत्रों ने कहा कि यह असंभव नहीं है और अगर केंद्र सरकार चाहे तो आईपीएस अधिकारी को सेवा विस्तार दिया जा सकता है.

राज्य सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट से कहा, ‘यह केंद्र सरकार पर निर्भर करता है. यदि केंद्र सरकार राज्य के ऐसे किसी प्रस्ताव पर सहमत हो जाती है, तो सेवा विस्तार दिया जा सकता है. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि इस आशय का प्रस्ताव यूपी सरकार द्वारा केंद्र सरकार को भेजा गया है या नहीं.’

एक अन्य पूर्व डीजीपी ने कहा कि अगर यूपी सरकार नियमों के अनुसार चलती है, तो उसे उन सभी आईपीएस अधिकारियों की एक नई सूची भेजनी होगी, जिनकी सेवा के 30 साल पूरे हो चुके हैं और छह महीने का कार्यकाल बाकी है. यह यूपी सरकार को 31 मार्च से पहले भेजना होगा क्योंकि 31 मार्च को वर्तमान डीजीपी चौहान सेवानिवृत हो रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘यूपीएससी तब सूची से तीन व्यक्तियों का चयन करेगा और इसे सरकार को भेजेगा और राज्य को उस पैनल से चयन करना होगा.’

यदि सरकार मार्च में यूपीएससी को पद के लिए पात्र अधिकारियों की सूची भेजती है, तो पूर्व डीजीपी गोयल, डीजी (जेल) आनंद कुमार और आईपीएस विजय कुमार अपनी वरिष्ठता के अनुसार पद के लिए सबसे आगे चलेंगे.

हालांकि, सरकारी सूत्रों ने दिप्रिंट से कहा कि गोयल के विस्तार की संभावना वास्तव में कमजोर है, यह देखते हुए कि पिछले साल उन्हें उनके पद से कैसे हटा दिया गया था. उन्होंने कहा कि अगर 31 मार्च तक कोई फैसला नहीं होता है तो सरकार को किसी वरिष्ठ अधिकारी को प्रभार सौंपना होगा या किसी अन्य कार्यवाहक डीजीपी को नियुक्त करना होगा. स्थिति को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए प्रकाश सिंह ने कहा कि सरकार को इस प्रक्रिया में तेजी लाने की कोशिश करनी चाहिए ताकि चौहान की सेवानिवृत्ति से पहले नियुक्ति की जा सके.

(संपादन: ऋषभ राज)

(इस ख़बर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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