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Saturday, 21 December, 2024
होमदेशथर्मल पावर कंपनी NTPC हिमालय में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का निर्माण क्यों कर रही है

थर्मल पावर कंपनी NTPC हिमालय में हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट का निर्माण क्यों कर रही है

एनटीपीसी इस समय सुर्खियों में है क्योंकि उत्तराखंड के चमोली जिले में धौलीगंगा नदी पर उसकी एक जल विद्युत परियोजना तपोवन विष्णुगढ़ बाढ़ के कारण क्षतिग्रस्त हो गई है.

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नई दिल्ली: उत्तराखंड में भारी तबाही मचाने वाली और कई जिंदगियां लील लेने वाली बाढ़ ने सरकारी स्वामित्व वाली ‘महारत्न’ कंपनी एनटीपीसी को भी खासी क्षति पहुंचाई है.

कंपनी उत्तराखंड के चमोली जिले में धौलीगंगा नदी पर एक जल विद्युत परियोजना तपोवन विष्णुगढ़ का निर्माण कर रही है, जिसे काफी नुकसान पहुंचा है. यही नहीं परियोजना स्थल पर मौजूद कर्मचारियों और मजदूरों की स्थिति को लेकर भी अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है.

दिप्रिंट आपको बता रहा है कि एनटीपीसी, जिसे नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन के नाम से जाना जाता है, जलविद्युत परियोजनाएं क्यों चला रही है?

एनटीपीसी का मुख्य काम क्या है?

एनटीपीसी भारत की सबसे बड़ी पॉवर जेनरेटर है. बिजली उत्पादन का इसका मुख्य स्रोत थर्मल पॉवर से है या कोयले का इस्तेमाल करके बिजली उत्पादन. एनटीपीसी और उसकी सहायक कंपनियों की स्थापित क्षमता वाले लगभग 63,000 मेगावाट के उत्पादन का 82 प्रतिशत से अधिक कोयले के माध्यम से होता है. कंपनी ने 2019-20 में 10,000 करोड़ रुपये से अधिक का लाभ कमाया है.


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जल विद्युत परियोजना के क्षेत्र में क्यों उतरी?

एनटीपीसी का जलविद्युत परियोजनाओं की ओर मुड़ना अन्य पर्यावरण अनुकूल स्रोतों के इस्तेमाल के साथ कंपनी के विविध क्षेत्रों में प्रसार के निगम के प्रयासों का हिस्सा था.

इसने पहली बार लगभग दो दशक पहले हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में सतलुज नदी पर स्थित कोल्डम हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट के जरिये इस क्षेत्र में कदम रखा था.

मौजूदा समय में 800 मेगावाट की यह परियोजना ही अब तक कंपनी की एकमात्र चालू जलविद्युत परियोजना है.

एनटीपीसी की कुछ और परियोजनाएं निर्माणाधीन हैं. 520 मेगावाट की तपोवन विष्णुगढ़ परियोजना के अलावा कंपनी के पास उत्तराखंड के चमोली जिले में एक और पनबिजली परियोजना है— लता तपोवन. हालांकि, यह उन परियोजनाओं में से एक है जिसे शुरू करने के लिए कंपनी को सुप्रीम कोर्ट से मंजूरी का इंतजार है.

एनटीपीसी की पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में निर्माणाधीन— रम्मम परियोजना 120 मेगावाट की है.

कैसे दो कंपनियों के अधिग्रहण ने एनटीपीसी के हाइड्रो पॉवर पोर्टफोलियो का विस्तार किया है?

पिछले साल मार्च में एनटीपीसी ने सरकारी स्वामित्व वाली दो कंपनियों टीएचडीसी इंडिया और नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पॉवर कॉरपोरेशन (नीपको) में पूरी सरकारी हिस्सेदारी खरीद ली थी. दोनों मुख्य रूप से पनबिजली उत्पादन कंपनियां हैं. इनके अधिग्रहण ने एनटीपीसी के पोर्टफोलियो में कुछ पनबिजली परियोजनाओं— टीएचडीसी की विष्णुगढ़ पीपलकोटी परियोजना और टिहरी पंप्ड स्टोरेज प्लांट और नीपको की कामेंग परियोजना को जोड़ दिया. पीपलकोटी परियोजना को भी बाढ़ में कुछ नुकसान होने की सूचना है.

एनटीपीसी के लिए गैर-कोयला बिजली उत्पादन कितना महत्वपूर्ण है?

एनटीपीसी का लक्ष्य 2032 तक 130 गीगावाट क्षमता वाली कंपनी बनना है. इसकी परिकल्पना के मुताबिक इस क्षमता का 65 फीसदी से ज्यादा बिजली उत्पादन कोयला आधारित होगा, शेष 35 प्रतिशत अन्य स्रोतों जैसे हाइड्रो, सोलर, न्यूक्लियर और गैस आदि से तैयार होगा. इसकी परिकल्पना के मुताबिक, जलविद्युत का हिस्सा 3.8 प्रतिशत, सौर का 23.2 प्रतिशत और गैस आधारित उत्पादन 4.6 प्रतिशत होगा.


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