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Thursday, 25 April, 2024
होमदेश‘कंपनी के लोगों ने कहा भागो नहीं तो मर जाओगे’- उत्तराखंड की बाढ़ में बचे NTPC कर्मचारी की आपबीती

‘कंपनी के लोगों ने कहा भागो नहीं तो मर जाओगे’- उत्तराखंड की बाढ़ में बचे NTPC कर्मचारी की आपबीती

एनटीपीसी के एक निर्माणाधीन प्लांट में सुरंग के एक छोर पर फंसे 12 मजदूरों को बचा लिया गया है, जबकि दूसरी तरफ 34 लोग फंसे हुए हैं.

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चमोली: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर का रहने वाला एक मजदूर मंगरे रविवार को उस समय उत्तराखंड के तपोवन में निर्माणाधीन नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन (एटीपीसी) के प्लांट में ही फंस गया था जब वहां बाढ़ का पानी भर गया.

मंगरे ने सोमवार को दिप्रिंट को बताया, ‘सुबह 10.20 बजे अचानक जल प्रलय सामने आई और हम भागने लगे. कंपनी के लोगों ने कहा कि ‘भागो वरना तुम मारे जाओगे’.’

मंगरे के मुताबिक, वह एक केबल रोप के सहारे से बैराज से एक पहाड़ी की चोटी पर चढ़ने में सफल रहा. वह अब सुरक्षित है पर जो कुछ हुआ उसे याद करके कांप जाता है. उसने कहा, ‘मैं अपने साथी मजदूरों का पता नहीं लगा पा रहा हूं, हमें उनको ढूंढना होगा. लेकिन मैं कुछ भी नहीं कर पा रहा हूं.’

उत्तराखंड में रविवार को धौलीगंगा और अलकनंदा नदियों में अचानक आई बाढ़ से परियोजना स्थल पर काम कर रहे लगभग 150 मजदूर बह गए थे. कई अन्य अंदर एक ढाई किलोमीटर लंबी सुरंग में फंस गए. 12 मजदूरों को सुरंग के एक छोर से बचा लिया गया लेकिन 34 अन्य सोमवार शाम तक दूसरे छोर पर फंसे हुए थे. परियोजना स्थल पूरी तरह मिट्टी और मलबे के ढेर में दबा है.

कुल मिलाकर, फ्लैश फ्लड के बाद राज्य में 197 लोग लापता हो गए थे, जिसमें अब तक 26 के शव बरामद हुए हैं.

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लापता होने वालों में प्रोजेक्ट साइट के सुपरवाइजर पद्मिंदर बिष्ट भी शामिल हैं जो रविवार सुबह सुरंग के अंदर थे और अभी तक उनका कोई अता-पता नहीं है. उनकी 34 वर्षीय बहन सती नेगी उनके बारे में जानकारी के लिए सुरंग से थोड़ी दूरी पर बेसब्री से इंतजार कर रही हैं.

Sati Negi waits for word about her brother | Suraj Singh Bisht | ThePrint
सती नेगी अपने भाई का इंतजार करते हुए | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट

उन्होंने कहा, ‘मेरा भाई पिछले 7 वर्षों से यहां काम कर रहा था. जबसे यह घटना हुई है मैं यहीं पर इंतजार कर रही हूं और कोई अधिकारी मदद नहीं कर रहा है.’

प्लांट में काम करने वाला एक 37 वर्षीय श्रमिक सोहन लाल रविवार को यूपी के लखीमपुर खीरी जिले स्थित अपने घर से लौटकर आया है. एक दिन बाद वह अपने भतीजे और दो भाइयों की खोज में जुटा है जो इसी साइट पर काम कर रहे थे.

साइट पर लौटने के बाद उसने कहा, ‘अधिकारियों ने हमें कुछ भी नहीं बताया कि क्या करना है, क्या नहीं. हमारी किसी से बात भी नहीं हुई है. हम सिर्फ यही सोच रहे हैं कि कोई तो आकर इसे साफ करे (बैराज के पास भरा पानी जहां उसके परिजन काम कर रहे थे). कोई तो हमें कुछ बताए और कोई सलाह दे कि क्या करें.’

‘इसमें एक-दो दिन लगेंगे’

भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आटीबीपी), राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) और सेना की टीमों के नेतृत्व में उत्तराखंड में बचाव अभियान पूरे जोरशोर से चल रहा है.

सुरंग के पास तीन जेसीबी मशीनें लगाई गई हैं जो फंसे मजदूरों को खोजने के लिए मलबे को गहराई से निकाल रही हैं. उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को घटना स्थल का दौरा किया.

Rescue efforts at the tunnel continued Monday evening | Suraj Singh Bisht | ThePrint
रेस्क्यू ऑपरेशन जारी | सूरज सिंह बिष्ट | दिप्रिंट

आईटीबीपी के डिप्टी कमांडेंट नितेश शर्मा ने कहा, ‘बचाव कार्य चल रहा है. मशीनें मलबे को सुरंग से बाहर निकाल रही हैं…अब तक मशीनों के जरिये इस सुरंग के 100 मीटर हिस्से से मलबा निकाला जा चुका है. 180 मीटर के बाद सुरंग में दाईं ओर एक दीवार है. यही हमारी एकमात्र उम्मीद है. उसके बाद यदि मलबा नहीं हुआ तो हम वहां फंसे लोगों को ट्रैक करने में सक्षम होंगे.’

आईटीबीपी के अधिकारियों के मुताबिक, शुरुआती जानकारी देने वाले लोगों के मुताबिक ये 34 लोग सुरंग के ‘दूसरे हिस्से’ में फंसे हैं और वहा तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है.’

अभी तक अंदर फंसे लोगों से कोई संपर्क नहीं हो पाया है. बचाए गए 12 मजदूर सुरंग के दूसरे छोर पर फंसे थे. टीम का नेतृत्व कर रहे शर्मा ने बचाव अभियान के बारे में बात करते हुए कहा, ‘हमें जानकारी मिली कि लगभग 12 से 16 कर्मचारी दूसरी सुरंग के अंदर फंसे हुए हैं, जिसकी लंबाई लगभग 1.5 किलोमीटर है.

शर्मा ने बताया, ‘मेरे साथ पहली बटालियन तैयार थी, हम उस स्थान पर गए और उस क्षेत्र को खोदा. सुरंग मलबे से भरी हुई थी. इसलिए, हमने इसे खोदा और सभी को निकाल लिया. सभी सुरक्षित थे, लेकिन वे ठंड के कारण एकदम अकड़ गए थे और बहुत ही ज्याद डरे हुए थे. जब उन्होंने हमें देखा, तो उनकी जान में जान आई.’

शर्मा ने कहा कि टीम 12 लोगों का पता लगा सकी क्योंकि उनमें से एक फोन के जरिए संपर्क स्थापित करने में सफल रहा था.

उन्होंने आगे कहा कि लेकिन सुरंग के दूसरे हिस्से की स्थिति अलग है. क्योंकि उन्हें यह पता नहीं लग पा रहा है कि मजदूर कहां पर फंसे हुए हैं. उन्होंने कहा, ‘इसमें एक या इससे ज्यादा दिन का समय लग सकता है.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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