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Thursday, 25 April, 2024
होमदेशयौन शोषण के आरोपों के सहारे क्यों चल रही है हेमंत सोरेन और बाबूलाल की राजनीति

यौन शोषण के आरोपों के सहारे क्यों चल रही है हेमंत सोरेन और बाबूलाल की राजनीति

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा सीएम और सुनील तिवारी पर लगे यौन शोषण के आरोपों की जांच सीबीआई से होनी चाहिए.दोनों ही मामले संगीन हैं, शर्मनाक हैं. राज्य के चेहरे पर कालिख पोतने जैसा है.

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रांची: बीते साल 28 जुलाई को गोड्डा के बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने एक ट्वीट किया जिसने झारखंड की राजनीति में खलबली मचा दी. मुंबई हाईकोर्ट के एक डॉक्यूमेंट का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि सीएम हेमंत सोरेन पर साल 2013 में मुंबई की एक मॉडल ने रेप और अपहरण का केस दर्ज किया था, आखिर उस मामले में क्या हुआ?

उन्होंने लिखा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक समझौते से भी यह आरोप बंद नहीं हो सकता. महाराष्ट्र पुलिस को इस मामले में दुबारा जांच करनी चाहिए.

इसके बाद उस मॉडल का वीडियो (वीडियो दी प्रिंट के पास मौजूद है.) सामने आया जिसमें उसने बताया कि निशिकांत दुबे, बाबूलाल मरांडी और सुनील तिवारी से उसकी जान को खतरा है. सुनील तिवारी पूर्व पत्रकार और वर्तमान में नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी के राजनीतिक सलाहकार हैं. पूरे मसले पर बीजेपी ने उस वक्त हेमंत पर हमलावर होते हुए इस्तीफे की मांग की थी.

इस पूरे मामले में सुनील तिवारी मुंबई हाईकोर्ट में इंटरवेनर हैं. बीते पांच अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले को लेकर रिट याचिका 326/2021 दायर की है.

जानकारी के मुताबिक (डॉक्यूमेंट मौजूद हैं) हेमंत सोरेन पर आईपीसी की धारा-190 (कानूनी कार्रवाई से रोकने का प्रयास), 376 (रेप), 366 (अपहरण), 354 (इज्जत से छेड़छाड़), 323 (मारपीट का आरोप), 506 (धमकी देना), 120-बी (मिलकर षड्यंत्र करना), 34 (कई लोग मिलकर घटना को अंजाम देना) के तहत मुकदमा दर्ज था.

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कहां से पलटा पासा, सुनील तिवारी पर लगाया रेप का आरोप

इसके ठीक 13 महीने बाद बीते 16 अगस्त को रांची के अरगोड़ा थाने में एफआईआर (कॉपी मौजूद है) दर्ज कराई गई. दर्ज एफआईआर में पीड़िता ने कहा है, वह गरीब परिवार की है. उसके गांव की लक्ष्मी बाखला ने उसे सुनील तिवारी के यहां कंप्यूटर से संबंधित काम देने का वादा किया था. लेकिन वहां उससे घर का काम कराया जाने लगा.

पीड़िता ने आगे लिखा है, ‘इस दौरान वह मेरे साथ छेड़खानी करने लगे. पिछले साल मार्च महीने में एक दिन सुनील तिवारी ने शराब के नशे में उसके साथ यौन शोषण किया. उसके अगले दिन उन्होंने पैर पकड़ कर माफी मांगी. बाद में उन्होंने किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी भी दी.’ (एफआईआर की कॉपी दिप्रिंट के पास मौजूद है. )

सुनील तिवारी के ऊपर दर्ज धाराओं के बारे में हाईकोर्ट की वकील सोनल तिवारी ने बताया कि उन पर आईपीसी 376(1) रेप, 354ए (यौन हिंसा), 354बी (डरा धमका कर नंगा करना), 504 (धमकी देना), 506 (जाने से मारने की धमकी), एससी-एसटी एक्ट 3/2, 5ए (अनुसूचित जाति-जनजाति के खिलाफ किसी तरह के आरोप साबित होने पर आजीवन कारावास) लगाया गया है.

दिप्रिंट से उन्होंने कहा, ‘हेमंत सोरेन के मुंबई मॉडल रेप मामले को मैंने नहीं उठाया है. उस महिला ने बीते दिसम्बर 2020 में प्रधानमंत्री, गृह मंत्री समेत बाबूलाल मरांडी को भी मेल कर मदद मांगी थी. तब मैनें मरांडी जी के निर्देश पर उस महिला को 2013 के रेप मामले में क़ानूनी सहायता दिलवाने में मदद की.’

तिवारी ने कहा, ‘मेरे ऊपर जो मुक़दमा करवाया गया है वो हेमंत सोरेन मुंबई रेप कांड की प्रतिक्रिया में की गई कार्रवाई है. मुझ पर एफआईआर करने वाले पर किनका दवाब है ये मैं कैसे बता सकता हूं? हां इतना चाहता हूं कि मुंबई रेप कांड के साथ ही मुझ पर भी जो आरोप लगे हैं, दोनों की सीबीआई जांच हो.’

इससे एक दिन पहले यानी 15 अगस्त को सुनील तिवारी के खिलाफ एक और मामला दर्ज किया गया. रांची के अरगोड़ा थाने में ही उनके खिलाफ मामला दर्ज किया गया और बच्ची को रांची के ही एक शेल्टर होम में भेज दिया गया.

रांची जिला मुख्यालय से 22 किलोमीटर दूर अनगड़ा थाने के एक गांव से एक नाबालिग को जब्त किया गया. आरोप लगा कि वो बच्ची उनके यहां बाल मजदूरी करती थी.

उसी दिन बच्ची के परिवार के सभी सदस्यों को पुलिस उठाकर ले गई. मीडिया को दिए बयान में बच्ची की भाभी ने बताया  कि पुलिस जबरन कह रही है कि सुनील तिवारी के खिलाफ बयान दो. जबकि मेरा एक बेटा उन्हीं के यहां रहकर पढ़ाई किया है, दूसरा बेटा और बेटी वहीं रहती थी. सुनील तिवारी ही पढ़ाई-लिखाई का खर्चा उठाते हैं.

हालांकि अगले ही दिन यानी 16 अगस्त को बच्ची के भाई राहुल बेदिया ने ऑनलाइन शिकायत दर्ज कराई. दिप्रिंट से उसने कहा, उसके परिवार को रांची पुलिस बेवजह परेशान कर रही है.

‘सुनील तिवारी हमारे अभिभावक की तरह हैं, उन्होंने हमारे परिवार को नई जिंदगी दी है.’


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बाबूलाल के आरोप पर बोली JMM बाबूलाल विदेश यात्रा का विवरण दें

एफआईआर की खबर मीडिया में आने के बाद 19 अगस्त को बीजेपी विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी अपने राजनीतिक सलाहकार के बचाव में आगे आए. प्रेस कॉन्फ्रेंस कर उन्होंने कहा कि मुंबई मामले में जब से सुनील तिवारी इंटरवेनर बने हैं उस समय से लगातार उन्हें बर्बाद किए जाने की धमकी दी जा रही है. उन पर दबाव बनाया जा रहा है कि पुलिस घर से नाबालिग को उठा कर आधी रात तक थाने में रख रही है. उन्होंने कहा कि पुलिस राज्य सरकार का टूल बन कर काम कर रही है.

इस पूरे मामले पर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने कहा ‘सीएम और सुनील तिवारी पर लगे यौन शोषण के आरोपों की जांच सीबीआई से होनी चाहिए.

दिप्रिंट से उन्होंने कहा, ‘दोनों ही मामले संगीन हैं, शर्मनाक हैं. राज्य के चेहरे पर कालिख पोतने जैसा है. मेरा साफ कहना है कि अगर सीबीआई पर भी भरोसा नहीं है तो हाईकोर्ट के किसी सिटिंग जज से इसकी जांच करा लें.’

दीपक प्रकाश ने यह भी कहा, ‘बीजेपी ऐसे मुद्दों के सहारे राजनीति नहीं करती है. हम रोजगार, कानून व्यवस्था, खनीज तस्करी, ट्रांसफर-पोस्टिंग पर सरकार को घेरते हैं. बदले में हेमंत सोरेन बीजेपी के 172 कार्यकर्ताओं पर फर्जी मुकदमें दर्ज करा चुके हैं. मेरे ऊपर भी राजद्रोह का मुकदमा लगाया गया है.’

वो ये भी कहते हैं, ‘पूरे प्रकरण में बीजेपी कहीं नहीं शामिल थी. लेकिन जब हेमंत पर रेप का केस करनेवाली महिला ने बीजेपी नेताओं पर आरोप लगाए तो पार्टी को सामने आना पड़ा.’

‘सुनील तिवारी बीजेपी कार्यकर्ता नहीं हैं, वह पत्रकार हैं. वैसे भी बीजेपी केवल पार्टी के कार्यकर्ताओं की नहीं है, वह पूरे राज्य की जनता के लिए लड़ती है.’

जवाब में जेएमएम ने कहा कि बाबूलाल अपनी विदेश यात्राओं और सहयात्रियों का विवरण मीडिया को दें. महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा, ‘अगर वह मुंह खोल देंगे तो बाबूलाल मुंह दिखाने के लायक नहीं रहेंगे.’

दिप्रिंट से बातचीत में उन्होंने कहा, ‘राजनीति का ये स्तर दुर्भाग्यपूर्ण है ही, लेकिन शुरुआत बीजेपी ने ही की है. अगर हेमंत पर रेप के आरोप थे, तो कोर्ट इसका निबटारा करेगी, पुलिस जांच करेगी.’

वो आगे कहते हैं, ‘बीजेपी ने ट्वीट क्यों किया. पर्सनल अटैक की राजनीति जितनी जल्दी हो सके, बंद होनी चाहिए. वैसे भी दोनों ही मामले अब कोर्ट में है, वो देखेगी कि क्या करना है.’

ट्राइब टीवी के रेजिडेंट एडिटर सुरेंद्र सोरेन कहते हैं, ‘पहली तो यह जनहित की राजनीति नहीं है, इसका जनता से कोई सरोकार नहीं है. एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश रहती है. रघुवर और हेमंत दोनों ही सरकार के दौरान इस तरह की चीजें देखने को मिल रही है.’

‘रघुवर सरकार में भी टारगेट ओरिएंटेड कार्रवाई की गई, ये सरकार भी उसी का अनुकरण कर रही है, ऐसा मुझे लग रहा है. आनेवाली सरकार में इसकी फ्रिक्वेंसी और बढ़ेगी. हाल ही में बाबूलाल ने कहा है कि हमारी सरकार आएगी तो अधिकारियों को सबक सिखाएंगे.’

वो आगे कहते हैं, ‘इसमें सबसे प्रमुख भूमिका सरकार के आसपास रहनेवाले लोगों की होती है. कई बार वो आपसी रंजिश निकालने के लिए ऐसा करवाते हैं, कई बार इसके पीछे व्यवसायिक हित जुड़े होते हैं.’

पूरे प्रकरण पर बीजेपी के कई नेता ऑन रिकॉर्ड बात करने से मना कर रहे हैं. जेएमएम के कई विधायकों ने कुछ भी कहने से इंकार कर दिया.

हालांकि दोनों पक्षों के कई नेताओं ने माना कि राजनीति का ये घिनौना स्तर है. चूंकि मामला अब कोर्ट में है, जाहिर है बयानबाजी का स्तर और नीचे ही जाएगा.


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