नयी दिल्ली, आठ अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को एअर इंडिया की सुरक्षा व्यवस्था सहित अन्य पहलुओं की जांच के लिए शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की नियुक्ति का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। न्यायालय ने याचिकाकर्ता से पूछा कि सिर्फ उस एयरलाइन को ही निशाना क्यों बनाया जा रहा है, जो एक “दुर्भाग्यपूर्ण त्रासदी” का शिकार हुई है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने याचिकाकर्ता नरेन्द्र कुमार गोस्वामी से कहा कि वह अपनी जनहित याचिका वापस ले लें और अगर कोई शिकायत है, तो उचित मंच पर जाएं।
गोस्वामी एक वकील हैं।
पीठ ने कहा, “ऐसी धारणा न बने कि आप आप दूसरी एयरलाइन के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। सिर्फ एअर इंडिया को ही क्यों निशाना बनाया जा रहा है, जो हाल ही में एक दुर्भाग्यपूर्ण त्रासदी का शिकार हुई है? अगर आप कोई नियामक व्यवस्था चाहते हैं, तो आपने अपनी याचिका में दूसरी एयरलाइन को पक्ष क्यों नहीं बनाया? सिर्फ एअर इंडिया को ही क्यों?”
याचिकाकर्ता ने दावा किया कि वह एयरलाइन के साथ हुई “किसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना” का पीड़ित है।
इसके बाद न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने उनसे कहा, “हम भी हर हफ्ते यात्रा करते हैं और जानते हैं कि स्थिति क्या है। एक त्रासदी हुई, जो बहुत दुर्भाग्यपूर्ण। यह किसी एयरलाइन की आलोचना करने का समय नहीं है।”
गोस्वामी ने जुलाई में दायर अपनी जनहित याचिका में एअर इंडिया की सुरक्षा व्यवस्था, रखरखाव प्रक्रियाओं और परिचालन प्रोटोकॉल की जांच के लिए उच्चतम न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक स्वतंत्र समिति गठित करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था, जिसे तीन महीने के भीतर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होती।
उन्होंने अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईसीएओ) द्वारा मान्यता प्राप्त एक अंतरराष्ट्रीय विमानन सुरक्षा एजेंसी द्वारा एअर इंडिया के संपूर्ण बेड़े का व्यापक सुरक्षा ऑडिट कराने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया, जिसमें 2024 आईसीएओ ऑडिट रिपोर्ट में पहचानी गई कमियों को दूर किया जाए और इस ऑडिट को छह महीने के भीतर पूरा किया जाए।
भाषा प्रशांत दिलीप
दिलीप
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