नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को राज्य निर्वाचन आयोग से पूछा कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के आगामी चुनावों के लिए वीवीपैट वाली ईवीएम का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा सकता.
न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने राज्य निर्वाचन आयोग के वकील से इस मुद्दे पर निर्देश लेने के लिए कहा और मामले को 22 मार्च को आगे की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया.
उच्च न्यायालय आम आदमी पार्टी (आप) की एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था. यह याचिका विधायक सौरभ भारद्वाज के माध्यम से दायर की गई है. इस याचिका में दिल्ली के राज्य निर्वाचन आयोग को आगामी एमसीडी चुनाव ऐसे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के साथ कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था जो मतदान मिलान पर्ची (वीवीपैट) के साथ हों और उसके बिना नहीं हों.
आप की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा और अधिवक्ता राकेश कुमार सिन्हा पेश हुए थे. आप ने कहा कि वीवीपैट मशीनों के बिना ईवीएम मशीनों की सटीकता का पता लगाना और उसमें किसी भी तरह की छेड़छाड़ को खारिज करना लगभग असंभव हो जाता है.
याचिका में कहा गया है, ‘बिना वीवीपैट के पुराने एम-2 ईवीएम का इस्तेमाल सुब्रमण्यम स्वामी बनाम भारत के चुनाव आयोग, (2013) में उच्चतम न्यायालय द्वारा जारी निर्देशों का उल्लंघन है, जिसमें यह माना गया था कि ईवीएम में मतदान मिलान पर्ची प्रणाली का समावेश और कार्यान्वयन एक स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए एक अनिवार्य आवश्यकता है.’
इसमें आरोप लगाया गया कि राज्य निर्वाचन आयोग का एमसीडी चुनाव 2022 को एम -2 ईवीएम के साथ वीवीपैट के बिना कराने का निर्णय स्पष्ट रूप से गलत है और अधिकारों के दुरुपयोग के समान है.
इसमें कहा गया, ‘यह पूरी चुनावी प्रक्रिया की शुचिता के बारे में वास्तविक आशंका उत्पन्न करता है.’’ इसमें कहा गया है कि यह निर्णय पार्टी के 2 मार्च, 2022 के उस प्रतिवेदन के जवाब में बताया गया है जो उसने अधिकारियों को वीवीपीएटी के साथ संगत ईवीएम का उपयोग करने के लिए दिया था.
इसमें आरोप लगाया गया है, ‘इस तरह प्रतिवादी नं. 1 (राज्य निर्वाचन आयोग) ने स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की संवैधानिक गारंटी का स्पष्ट रूप से उल्लंघन किया है.’
भाषा अमित अनूप
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