नई दिल्ली: मध्य प्रदेश भाजपा अनुशासन समिति के अध्यक्ष बाबू सिंह रघुवंशी ने पीएम नरेंद्र मोदी के बयान के ही सबूत मांग लिए है. उनका कहना है कि क्या संसदीय दल की बैठक में पीएम मोदी के बयान का कोई वीडियों सामने आया है या कोई बयान की कॉपी सामने आई है. जब तक कोई जानकारी नहीं हो तो कैसे माना जाए और इस पर कुछ कहा जाए.
दरअसल, पीएम ने मंगलवार को भाजपा सांसदों की समिति की बैठक में कहा था कि कोई जन-प्रतिनिधि ऐसा आचरण कैसे कर सकता है. यह मनमानी नहीं चलेगी. यह अहंकार, घमंड, दुर्व्यहवार स्वीकार नहीं किया जा सकता. ऐसे लोगों को पार्टी से निकाल देना चाहिए. फिर वह चाहे किसी का भी बेटा हो. साथ ही ऐसे लोगों का समर्थन करने वालों पर भी कार्रवाई होना चाहिए.
दिप्रिंट हिंदी से बातचीत में अनुशासन समिति के अध्यक्ष रघुवंशी ने कहा कि पीएम ने किस संदर्भ में क्या कहा है. कई बार बातों के मायने बदल जाते है. अंदर क्या बोला इसकी जानकारी हमें तो अखबारों के माध्यम से मिली है. मुझे कोई सूचना नहीं मिल जाती. तब तक कुछ कहना या करना उचित नहीं होगा. संसदीय दल की बैठक में प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह भी मौजूद होंगे. वह भी सांसद है. अगर कुछ कहा है तो वह मुझे कहेंगे. अब तक मेरे पास कोई केस नहीं आया है. यह केवल सुना है.
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मैं प्रदेश का अनुशासन समिति का अध्यक्ष हूं. अभी तक मुझे कोई केस नहीं भेजा है. जब पार्टी भेजेगी तब बात होगी. हमारी यहां प्रक्रिया है कि प्रदेश अध्यक्ष पहले यह केस मेरे पास भेजेंगे. इसके बाद हम दोनों पक्षों की बातों को सुनेंगे. इसके बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा.
रघुवंशी ने कहा कि विधायक आकाश को गुस्सा दिलाया गया, उन्हें उत्तेजित किया गया है. इसलिए उन्होंने आवेश में आकर ऐसा किया है.
भाजपा नेता बाबू सिंह रघुवंशी मध्य प्रदेश में पार्टी के कई अहम पदों कि जिम्मेदारी संभाल चुके हैं.
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साध्वी प्रज्ञा का मामला भी ठंडे बस्ते में
भोपाल से भाजपा की सांसद और मालेगांव धमाके की अभियुक्त साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर पर प्रस्तावित अनुशासनात्मक कार्रवाई को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया है. ठाकुर ने महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को राष्ट्रभक्त बताया था. जिससे देशभर में बवाल मच गया था. 17 मई को मामले का तूल पकड़ता देख, भाजपा ने इसे अनुशासन समिति को सौंप दिया था. नाराजगी जताते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि वो प्रज्ञा को कभी दिल से माफ नहीं कर पाएंगे. अनुशासन समिति को 10 दिन में इस मामले पर फैसला सुनाना था. इस पर अब तक कोई फैसला नहीं हो सका है. पार्टी की तीन सदस्यीय समिति निष्क्रिय पड़ी हुई है. उसके अध्यक्ष राज्यपाल बना दिए गये हैं और उसके एक सदस्य ने इस्तीफा दे दिया है.