बेंगलुरु: कोरोनावायरस वैक्सीन के उत्पादन में जितनी तेजी, जितना गहन और व्यापक स्तर पर सहयोग चल रहा है उतना दुनिया ने किसी स्वास्थ्य आपातकाल और यहां तक कि वैक्सीन विकसित किए जाने के दौरान पहली बार देखा है.
सैकड़ों कैंडीडेट वैक्सीन मौजूदा समय में प्री-क्लीनिकल ट्रायल के चरण में है. इसमें कई चरण 1 और चरण 2 ट्रायल के दौर में हैं जबकि नौ पर चरण 3 का ट्रायल जारी है. चरण 3 में मिली सफलता से पता चलेगा कि वैक्सीन कितनी प्रभावकारी है और इसके बाद ही इसे आम लोगों को दिया जा सकेगा.
स्पष्ट तौर पर सबसे आशाजनक वैक्सीन के परीक्षणों के साथ स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं बढ़ने के बीच दिप्रिंट ने एक नजर डाली उन पर जो कोविड वैक्सीन बनाने की होड़ में अग्रणी बने हुए हैं.
ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका
अब तक सबसे आशाजनक कैंडीडेट ऑक्सफोर्ड एस्ट्राजेनेका और जेनर इंस्टीट्यूट के सहयोग से ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की तरफ से उत्पादित की जा रही एडेनोवायरस वैक्सीन सीएचएडीओएक्स1 है.
टीके ने सुरक्षात्मक अध्ययन के दौरान मजबूत एंटीबॉडी और टी सेल प्रतिक्रिया दिखाई थी, और मौजूदा समय में इस पर 10,000 से अधिक वालंटियर के साथ दक्षिण अफ्रीका, ब्राजील और अमेरिका सहित कई देशों में चरण-2 और 3 का संयुक्त और कहीं-कहीं चरण 3 का ट्रायल चल रहा है.
ब्रिटेन और भारत में चल रहे चरण 3 के ट्रायल को इस सप्ताह के शुरू में रोक दिया गया था, जब एक प्रतिभागी की रीढ़ की हड्डी में सूजन की समस्या आ गई. भारत में ट्रायल की अगुआई कर रहे सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से चरण 2 और 3 के ट्रायल के लिए वालंटियर भर्ती करने से रोकने के लिए भी कहा गया है. हालांकि, एस्ट्राजेनेका ने शनिवार को घोषणा की कि उसे ब्रिटेन में ट्रायल फिर शुरू करने के लिए वहां के स्वास्थ्य नियामक से मंजूरी मिल गई है.
मॉडर्ना-एनआईएच
मैसेंजर आरएनए (एमआरएनए) पर आधारित मॉडर्ना की वैक्सीन, जिसे एमआरएनए-1273 कहा जाता है, को अमेरिकन नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के सहयोग से विकसित किया जा रहा है. अमेरिका में चरण 3 के ट्रायल में 30,000 लोगों को शामिल किया गया था और यह जुलाई के अंत में शुरू हुआ. इसके महीने के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है, और कंपनी पहले से ही टीका बाजार में उतारने के लिए कई देशों के साथ बातचीत कर रही है.
पहले चरण के शुरुआती नतीजों में स्वस्थ प्रतिभागियों, बुजुर्गों समेत, में एंटीबॉडी और टी सेल रिस्पांस दिखा था. मॉडर्ना का कहना है कि वह 2021 में बाजार में आने वाले टीके की 50 करोड़ खुराक का उत्पादन हर साल करेगी.
यह भी पढ़ें: कोविड के इलाज में प्लाज्मा थेरेपी पर भरोसा जताया जा रहा है लेकिन इस पर वैज्ञानिक अब भी स्टडी कर रहे हैं
बायोएनटेक-फाइजर
जर्मन कंपनी बायोएनटेक, न्यूयॉर्क स्थित फाइजर और चीन स्थित फोसुन फार्मा के साथ मिलकर एमआरएनए आधारित बीएनटी162बी2 टीका विकसित कर रही है. सुरक्षात्मक अध्ययन के दौरान टीके ने टी सेल रिस्पांस और एंटीबॉडी का उत्पादन किया.
जुलाई के अंत में अमेरिका, अर्जेंटीना, ब्राजील और जर्मनी में 30,000 वालंटियर के साथ चरण 2 और 3 का संयुक्त ट्रायल शुरू किया गया था. फाइजर ने वैक्सीन की मंजूरी मिलने की स्थिति में दिसंबर 2020 तक 10 करोड़ खुराक मुहैया कराने के लिए अमेरिकी सरकार के साथ दो बिलियन डॉलर का करार किया है.
कैनसिनो बायो
चीनी कंपनी कैनसिनो बायोलॉजिक्स देश की सैन्य विज्ञान अकादमी के साथ मिलकर एडेनोवायरस वैक्सीन एडी5-एनसीओवी विकसित कर रही है. कंपनी ने चरण 2 के ट्रायल के दौरान मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया दिखने की जानकारी दी थी, और चीनी सेना ने विशेष तौर पर आवश्यक दवा के रूप में वैक्सीन के उपयोग को मंजूरी दी है. पाकिस्तान और सऊदी अरब में इसके तीसरे चरण के ट्रायल की शुरुआत हो चुकी है. अगस्त में रूसी कंपनी पेत्रोवैक्स ने भी तीसरे चरण के ट्रायल का ऐलान किया.
सिनोफार्म-वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल के उत्पाद
सिनोफार्मा वैक्सीन वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स के साथ मिलकर दो प्रारंभिक रैंडम ट्रायल कर चुका है जिसमें एंटीबॉडी प्रतिक्रिया दिखने की जानकारी दी गई है. यह एकमात्र ऐसा वैक्सीन कैंडीडेट है जिसमें पूरी तरह निष्क्रिय वायरस का इस्तेमाल किया गया है.
यह एकमात्र ऐसी वैक्सीन भी है जिसका स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और अन्य ज्यादा जोखिम वाले समूहों पर इस्तेमाल किया गया है. इसके तीसरे चरण की शुरुआत सबसे पहले संयुक्त अरब अमीरात में 15,000 प्रतिभागियों के साथ हुई है.
अन्य टीकों पर भी परीक्षण जारी
चीन में दो वैक्सीन- सिनोवैक बायोटेक की तरफ से एक इनएक्टिवेटेड वैक्सीन (जिसे कोरोनावैक कहा जाता है) और बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स द्वारा विकसित किया जा रहा एक और सिनोफार्म इनएक्टिवेटेड टीका—पर तीसरे चरण का परीक्षण चल रहा है.
रूस ने व्यावसायिक तौर पर स्पूतनिक-5 के नाम से जाने जाने वाले गैम-कोविड-वैक के तीसरे चरण का ट्रायल शुरू किया है, जिसे रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत आने वाला गैमलेया रिसर्च इंस्टीट्यूट विकसित कर रहा है. रूसी वैज्ञानिकों का दावा है कि स्पूतनिक-5 वैक्सीन ने चरण 1 और 2 के ट्रायल के दौरान अच्छे नतीजे दिए हैं, हालांकि निष्कर्षों की पड़ताल की जा रही है.
जायडस कैडिला की जेडवाईकोव-डी वैक्सीन भी शुरुआती दौर के सुरक्षात्मक अध्ययनों के बाद चरण 1 और 2 के ट्रायल के दौर में है.
ऑस्ट्रेलिया स्थित मर्डोक चिल्ड्रन्स रिसर्च इंस्टीट्यूट भी इम्यून रिस्पांस के टेस्ट के लिए बीसीजी ट्यूबकुलोसिस वैक्सीन पर तीसरे चरण का बीआरएसीई ट्रायल कर रहा है. इस बात के सीमित साक्ष्य ही हैं कि बीसीजी वैक्सीन ट्यूबरकुलोसिस वैक्टीरिया के अलावा किसी अन्य पैथोजेन के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया उत्पन्न करने में सक्षम है. इस ट्रायल में लगभग 10,000 प्रतिभागियों को शामिल किया जाएगा.
चरण 2 के ट्रॉयल में ही कुछ वैक्सीन ने प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया विकसित करने के संकेत दिए हैं.
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के सहयोग से भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे द्वारा संयुक्त रूप से विकसित की जा रही होमग्रोन कोवाक्सिन पर दूसरे चरण का ट्रायल इसी महीने शुरू होगा.
(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
यह भी पढ़ें: इम्यूनिटी बूस्टर मिथक है- कोविड को मात देने वाले वादों पर आपको क्यों भरोसा नहीं करना चाहिए