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Saturday, 21 December, 2024
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क्या है मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स और चीन क्यों इन लड़ाकों को लद्दाख सीमा पर तैनात कर सकता है

एमएमए फाइटर तिब्बत की राजधानी ल्हासा में भर्ती किए गए हैं और सीमावर्ती क्षेत्रों में निहत्थे लड़ने की चीनियों की ताकत बढ़ाने में मददगार हो सकते हैं.

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नई दिल्ली: वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत के साथ गतिरोध बढ़ने और झड़प में 20 भारतीय सैनिकों की मौत की घटना के बीच पिछले हफ्ते ही चीन ने मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स (एमएमए) के लड़ाकों का एक दल पीपुल्स लिबरेशन आर्मी में शामिल किया है.

हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि क्या एमएमए फाइटर को एलएसी में तैनात किया जाएगा लेकिन पीएलए में उनकी भर्ती को इसलिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि गलवान घाटी में हिंसक झड़प निहत्थे सैनिकों के बीच ही हुई थी.

कुछ रिपोर्ट में यह दावा भी किया जा रहा है कि चीन ने गलवान घाटी में हिंसक झड़प से पहले ही भारत से लगी सीमा पर तैनात अपनी सेना में एमएमए के लड़ाकों के साथ-साथ पर्वतारोही दस्ते को शामिल कर लिया था.

दिप्रिंट विश्लेषण कर रहा है कि एमएमए लड़ाके जंग के मैदान की सूरत कैसे बदल सकते हैं.


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शुरुआत

एमएमए या केज फाइटिंग, जैसा इसे कभी-कभी कहा जाता है, पूरे तौर पर संघर्ष से जुड़ा एक खेल है जिसमें स्ट्राइकिंग, ग्राउंड फाइटिंग और ग्रेपलिंग शामिल है. यह दुनिया भर के युद्धक खेलों और मार्शल आर्ट्स का सम्मिलित रूप है जिसमें ब्राजील के जिउ जित्सु, मुक्केबाजी, किक-बॉक्सिंग, जापानी और चीनी मार्शल आर्ट्स आदि के अलावा पारंपरिक ग्रैपल बेस्ड रेसलिंग शामिल है, यही इसे एकदम असाधारण बनाता है.

इस खेल की उत्पत्ति 19वीं शताब्दी में चीन और जापान में हुई. मूलत: इसे लड़ाई के एक निष्पक्ष तरीके के तौर पर देखा गया जिसमें एक पिंजरे में बंद किए गए विभिन्न शैलियों में सक्षम लड़ाकों के बीच निहत्थे मुकाबला होता था. लड़ाई की इस शैली के लिए वस्तुतः 1980 और 1990 के दशक, जब इसकी अमेरिका में अल्टीमेट फाइटिंग चैंपियनशिप (यूएफसी) के बैनर तले पेशेवर मुक्केबाजी और कुश्ती के साथ प्रतिस्पर्धा शुरू हुई, तक कोई नियम नहीं तय किए गए थे.

स्वीडन में पंजीकृत इंटरनेशनल मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स फेडरेशन इसकी अंतरराष्ट्रीय गवर्निंग बॉडी है. पहली एमएमए वर्ल्ड चैंपियनशिप 2014 में लास वेगास, अमेरिका में आयोजित की गई थी. यह केवल शौकिया एमएमए लड़ाकों के लिए है न कि पेशेवरों के लिए.

चीन में रानिक अल्टीमेट फाइटिंग फेडरेशन (आरयूएफएफ) जनरल फेडरेशन ऑफ स्पोर्ट की तरफ से स्वीकृत पहला चीनी एमएमए संगठन है. इसने 2011 में अपने पहले नेशनल एमएमए इवेंट की मेजबानी की, जो तब से नियमित तौर पर चल रहा है.

चीन में अन्य एमएमए चैंपियनशिप में रियल फाइट चैम्पियनशिप भी शामिल है, जिसके हेनान और बीजिंग में तीन इवेंट हुए हैं.

भारत में एक एमएमए गवर्निंग बॉडी को मान्यता 2018 में आकर ही मिली थी, जिसे एमएमए इंडिया- नेशनल स्पोर्ट्स फेडरेशन कहा जाता है. यह एमएमए से ही संबंधित है.

हालांकि, इससे पहले ही 2012 में अभिनेता संजय दत्त और व्यवसायी राज कुंद्रा द्वारा गठित सुपर फाइट लीग के लांच के साथ भारत ने एमएमए की दुनिया में कदम रखा था.

एमएमए अब भारत में बढ़ते आधार वाला एक खेल है– अकेले सुपर फाइट लीग में ही 67 लाइव टेलीविजन इवेंट हुए हैं, जिन्हें अब तक 10 करोड़ से अधिक बार देखा गया है. इस पर कलर्स, नियो प्राइम, ईएसपीएन स्टार स्पोर्ट्स, एमटीवी इंडिया और यूट्यूब जैसे विभिन्न चैनलों पर प्रसारण के लिए कम से कम 50 लाइव टीवी कार्यक्रमों निर्मित हुए हैं.


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एनबो फाइट क्लब

चीनी के सरकारी ब्रॉडकास्टर सीसीटीवी के अनुसार, सिचुआन प्रांत स्थित एनबो फाइट क्लब के 20 एमएमए फाइटर तिब्बत को राजधानी ल्हासा में ‘प्लेटू रेजिस्टेंस तिब्बती मास्टिफ्स’ के गठन के लिए भर्ती किया गया है.

द एनबो फाइट क्लब को अंतरराष्ट्रीय स्तर के विभिन्न टूर्नामेंट के लिए एमएमए फाइटर तैयार करने के लिए जाना जाता है, जिसमें यूएफसी काफी चर्चित है. यह इन प्रतियोगिताओं के लिए हर साल 400 से अधिक युवा फाइटर को प्रशिक्षित करता है और उनमें से कई अनाथ होते हैं.

2017 में इस ग्रुप ने खुद को विवादों में घिरा पाया जब एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म ने इसके कामकाज को विस्तार से दर्शाया. इसमें दिखाया गया कि कैसे 12 वर्ष से कम उम्र के कुछ लड़के भीड़भाड़ से घिरे एक पिंजरेनुमा अखाड़े में एक-दूसरे से लड़ रहे हैं.

क्लब के संस्थापक ने एक साक्षात्कार में कहा कि अनाथ और छोड़ दिए गए बच्चों को क्लब में एमएमए का प्रशिक्षण दिया जाता है. लेकिन जो लोग क्लब के उच्च मानकों को पूरा नहीं कर पाते उन्हें प्रशासनिक निगरानी में वापस भेज दिया जाता है.

डॉक्यूमेंट्री से इस बात पर बहस छिड़ गई दी थी कि क्या क्लब ने बच्चों के लिए अवसर बढ़ाए या फिर सिर्फ उनकी बेबसी का फायदा उठाया. पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने बाद में इस सिलसिले में क्लब में जांच शुरू की, जिसके बाद क्लब के कई युवा लड़कों ने यह कहते हुए वहीं बने रहने देने की अनुमति मांगी कि यहां उन्हें बेहतर जीवन का मौका मिलता है.


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पीएलए में एमएमए की भूमिका

पीएलए की तरफ से एमएमए फाइटर भर्ती करने का प्राथमिक उद्देश्य सीमा पर तैनात गश्ती सैनिकों और विशेष बलों को निहत्थे लड़ाई के प्रशिक्षण में मदद करना हो सकता है.

एनबो फाइट क्लब के एक मालिक ने कहा, ‘अगर देश को हमारी जरूरत है, तो एनबो फाइट क्लब और चुनौतीपूर्ण कार्यों को पूरे मनोयोग से अंजाम देने को तैयार हैं. जहां तक सवाल है कि क्या कुछ दिन पहले (गलवान घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ) संघर्ष में हिस्सा लिया था, तो यह मुझसे मत पूछो, मैंने भी नहीं पूछा’.

पीएलए के लेफ्टिनेंट जनरल वांग हैजियांग ने कथित तौर पर कहा है कि एनबो फाइट क्लब से की जाने वाली भर्ती ‘सैनिकों की सांगठनिक और सैन्यीकरण ताकत’ के साथ-साथ उनकी ‘त्वरित प्रतिक्रिया और मदद क्षमता’ को भी काफी बढ़ा देगी.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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