कोलकाता, छह नवंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) की प्रक्रिया शुरू हो गई है और इसी कड़ी में बूथ स्तर के अधिकारी (बीएलओ) मतदाताओं से गणना प्रपत्र भरवाने के लिए घर-घर जा रहे हैं लेकिन ‘‘उन्हें कब घर आएंगे, विदेश में रहने वाले लोगों की गणना कैसे की जा सकती है, 2002 के बाद पैदा हुए लोगों का क्या होगा’’ जैसे जटिल सवालों का सामना करना पड़ रहा है।
निर्वाचन आयोग ने बीएलओ को अपने निर्धारित क्षेत्रों में घर-घर जाकर मतदाताओं की पहचान की जांच का जिम्मा सौंपा है, जो 2002 की मतदाता सूची पर आधारित होगा, जब राज्य में अंतिम मतदाता सूचियों का एसआईआर किया गया था।
कोलकाता के टॉलीगंज विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत नाकतला-बैष्णबघाटा क्षेत्र में एसआईआर कार्य में शामिल बीएलओ का फोन लगातार बजता रहता है और वह मतदाताओं के सवालों का जवाब देने की कोशिश करते हैं।
बीएलओ को एक चिंतित निवासी से कहते सुना जा सकता था, ‘‘मैं आपके घर डेढ़ सप्ताह के बाद ही आ सकता हूं, क्योंकि आपका क्रम संख्या 1300 के बाद है। हम अभी क्रम संख्या 400 तक के मतदाताओं तक पहुंचे हैं। कृपया मुझे अगले सप्ताह के अंत में फोन करें।’’
बीएलओ ने उस मतदाता को शांत करने की कोशिश करते हुए कहा, ‘‘आपने तो सिर्फ दो साल पहले ही नामांकन कराया है। चिंता न करें, आपका नाम नहीं छूटेगा।’’ उक्त मतदाता का नाम मतदाता सूची में 2023 में जोड़ा गया था और उसने गत वर्ष लोकसभा चुनाव में मतदान किया था।
एक बीएलओ ने पहचान गुप्त रखते हुए बताया कि वह गलियों और उपनगरों की भूलभुलैया में घूमते हुए मतदाताओं से संपर्क कर रहे हैं। उन्होंने साथ चल रहे ‘पीटीआई-भाषा’ के संवाददाता को बताया कि चार नवंबर से वह लगभग 300 परिवारों को गणना प्रपत्र बांट चुके हैं।
एक घर में बीएलओ की मुलाकात 70 वर्षीय प्रबीर सेन से हुई, जिनके बेटे और बेटी विदेश में रहते हैं। उन्हें चिंता थी कि उनके कोई भी बच्चे चार दिसंबर तक, जो कि गणना प्रपत्र को वापस जमा करने की आखिरी तारीख है, वापस नहीं आ पाएंगे।
बीएलओ ने उन्हें आश्वस्त करते हुए कहा,‘‘वे इसे ऑनलाइन जमा कर सकते हैं। वे बूथ का पार्ट नंबर, मतदाता पहचान पत्र नंबर आदि विवरण भरने के बाद इसे निर्वाचन आयोग की वेबसाइट से डाउनलोड कर सकते हैं। मैं आपसे संपर्क करूंगा; कृपया मेरा मोबाइल नंबर नोट कर लें।’’
बैष्णबघाटा निवासी 50 वर्षीय बलराम पॉल और उनकी पत्नी मोनोबिना की समस्या अलग थी। उनका एक बच्चा 2002 के बाद पैदा हुआ था, और दूसरा उस वक्त बहुत छोटा था। माता-पिता इस बात को लेकर चिंतित थे कि कहीं उन्हें कोई समस्या तो नहीं होगी।
बीएलओ ने उन्हें आश्वासन दिया, ‘‘आपके बच्चों को किसी भी खतरे का सामना नहीं करना पड़ेगा। उन्होंने पिछले विधानसभा और लोकसभा चुनावों में मतदान किया था, और आपके नाम 2002 की मतदाता सूची में हैं।’’
डीपीपी रोड स्थित एक अन्य घर में 49 वर्षीय अनुशीला दासगुप्ता की अलग ही चिंता है। दासगुप्ता ने बताया कि उन्होंने 2002 के चुनावों में उत्तर कोलकाता के कमरहाटी में मतदान किया था और छह साल पहले दक्षिण कोलकाता के मोहल्ले में रहने आई हैं।
दासगुप्ता की समस्या यह है कि निर्वाचन आयोग की वेबसाइट पर लॉग इन करने के बाद उन्हें कमरहाटी विधानसभा सीट की 2002 की मतदाता सूची में अपना नाम नहीं मिल रहा है।
इस पर बीएलओ ने कहा, ‘‘हमें यह पता लगाना होगा कि कमरहाटी में 2002 की सूची अधूरी क्यों दिख रही है। लेकिन यह देखते हुए कि आपने कमरहाटी या टॉलीगंज में बाद के चुनावों में मतदान किया है। आपके माता-पिता के नाम 2002 की मतदाता सूची में हैं। इसलिए आपको चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।’’
विशेष गहन पुनरीक्षण ने विभिन्न तबकों के बीच समानता का भाव भी पैदा कर दिया है। सेना के सेवानिवृत्त कर्नल से लेकर टैक्सी चालक तक, गृहिणी से लेकर घरेलू सहायिका तक – सभी को तृणमूल कांग्रेस के एक शिविर में कतार में देखा जा सकता था, जो लोगों को इस प्रक्रिया की विस्तृत जानकारी देने के लिए लगाया गया था।
पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के एक कार्यकर्ता सब्यसाची बसु ने बताया, ‘‘लोग कई सवाल पूछ रहे हैं। कुछ लोगों ने पूछा कि क्या वरिष्ठ नागरिक कार्ड या स्वास्थ्य साथी (स्वास्थ्य बीमा) दस्तावेज़ पहचान प्रमाण के तौर पर काम आ सकते हैं। हम निर्वाचन आयोग द्वारा बताए गए 11 सूचीबद्ध दस्तावेज़ों की जानकारी दे रहे हैं।’’
पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) कार्यालय ने एक बयान में बताया कि पांच नवंबर को रात 8 बजे तक 1.1 करोड़ गणना प्रपत्र वितरित किए जा चुके हैं।
भाषा धीरज अविनाश
अविनाश
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