मैनपुरी: रूप देवी ने मैनपुरी में भोले बाबा के आश्रम के सामने सिर झुकाया और खूब रोईं. न तो बारिश, न कीचड़ और न ही लोगों की टिप्पणियां उन्हें रोक पाईं. “ये क्या हो गया बाबा! ये क्या हो गया!” वह चिल्लाती हैं और आधे घंटे तक रोती रहती हैं.
“परमात्मा ने मेरे कठिन समय में मेरा साथ दिया. इसलिए, अब मेरी बारी है कि मैं उनके लिए यहां रहूं,” वह अपनी आंखें पोंछते हुए कहती हैं.
देवी, सूरज पाल सिंह, या नारायण साकार हरि, या भोले बाबा के कई अनुयायियों में से एक हैं – जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के स्वयंभू भगवान हैं. हाथरस में मंगलवार को सत्संग में भाग लेने के दौरान भगदड़ में 120 से अधिक लोग मारे गए, जिनमें अधिकतर महिलाएं और बच्चे थे.
आश्रम के बाहर तैनात एक पुलिस अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि हाथरस में सभा से, सिंह मैनपुरी के पास बिछवां में अपने भव्य आश्रम में चले गए.
3 जुलाई को देर रात पुलिस ने आश्रम पर छापा मारा, लेकिन बाबा नहीं मिले. पुलिस अपनी जांच के बारे में चुप्पी साधे हुए है.
डीएसपी सुनील कुमार ने संवाददाताओं को बताया कि सूरज पाल सिंह आश्रम के अंदर नहीं थे. उन्होंने कहा, “अंदर 40-50 सेवक हैं. लेकिन बाबा वहां नहीं थे. न तो कल, न ही आज.”
इंस्पेक्टर और एक पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) समेत करीब एक दर्जन पुलिस अधिकारी लगातार आश्रम की सुरक्षा में लगे हैं, जबकि मीडिया और अनुयायियों का झुंड लगातार आश्रम को घेरे हुए है.
मामले में एफआईआर दर्ज की गई है. पुलिस ने कार्यक्रम के आयोजक देवप्रकाश माथुर पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या), 110 (हत्या), 126 (गलत तरीके से रोकना और गलत तरीके से बंधक बनाना), 223 (लोक सेवक द्वारा विधिवत आदेश की अवज्ञा) और 238 (साक्ष्यों को मिटाना) के तहत मामला दर्ज किया है. मंगलवार रात दर्ज एफआईआर में सूरजपाल सिंह का नाम नहीं है.
बाबा द्वारा जारी एक बयान में इस त्रासदी के लिए ‘असामाजिक तत्वों’ को जिम्मेदार ठहराया गया. बुधवार को हाथरस का दौरा करने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दुर्घटना के पीछे “साजिश” की संभावना से इनकार नहीं किया और मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए.
‘हमें बुलडोजर न्याय का डर था’
प्रेम चंद हाथरस से मैनपुरी की ओर भागे, जब उन्होंने यह अफवाह सुनी कि आश्रम को ध्वस्त किया जा रहा है.
बिछवां गांव में आश्रम के बाहर चंद ने दिप्रिंट से कहा, “मैंने सुना कि वे बुलडोजर से आश्रम को ध्वस्त करने जा रहे हैं. इसलिए, मैं इसे बचाने के लिए यहां आया हूं.”
चंद और अन्य लोगों को डर है कि हाथरस में भगदड़ के बाद उत्तर प्रदेश प्रशासन ‘बुलडोजर न्याय’ के तहत आश्रम को ध्वस्त कर देगा. आश्रम को सिर्फ़ चार साल पहले दो एकड़ खेत में बनाया गया था, पांच किलोमीटर के दायरे में कोई और इमारत या घर नहीं है, सिवाय एक दूधवाले के, जो वहां दो गायों के साथ रहता है. दूधवाले हरि कहते हैं, “मैं बाबाओं के पास जाने में विश्वास नहीं करता, लेकिन मैं आश्रम को हर दिन ताज़ा दूध देता हूं.”
फरीदाबाद निवासी चंद भी हाथरस में सत्संग में सेवादार के तौर पर मौजूद थे. वे कहते हैं, “परमात्मा (सिंह) ने कुछ भी गलत नहीं किया. वे दिल के साफ हैं.”
चंद कहते हैं, “लेकिन अगर उन्होंने कुछ गलत किया भी है, तो पुलिस उनकी जांच करेगी. वे भी इंसान हैं, गलतियों से परे नहीं.”
यह स्पष्ट है कि इलाके के दलितों में इस बाबा की लोकप्रियता बहुत ज्यादा है, जबकि अगड़ी जातियों के लोग उनके प्रति तिरस्कार का भाव रखते हैं. मैनपुरी निवासी कहते हैं, “वे सनातन विरोधी हैं. मुझे नहीं पता कि वे कहां से आए हैं या क्या बात करते हैं.”
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