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Sunday, 28 April, 2024
होमदेश‘हम हस्तक्षेप नहीं कर सकते’, पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में केंद्रीय बलों की तैनाती की याचिका पर SC

‘हम हस्तक्षेप नहीं कर सकते’, पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में केंद्रीय बलों की तैनाती की याचिका पर SC

अदालत पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों में केंद्रीय बलों की तैनाती के संबंध में कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को आगामी पंचायत चुनावों के लिए पश्चिम बंगाल में केंद्रीय बलों की तैनाती के संबंध में कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया और इसे चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी.

न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की अवकाश पीठ ने पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग और पश्चिम बंगाल राज्य द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया. शीर्ष अदालत ने कहा, “हमने पाया कि उच्च न्यायालय के आदेश में किसी हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं है. याचिका खारिज की जाती है.”

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी की कि चुनाव कराना हिंसा का लाइसेंस नहीं हो सकता.

अदालत पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों में केंद्रीय बलों की तैनाती के संबंध में कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

अदालत ने यह भी कहा कि एचसी ने जो सोचा हो सकता है वह यह है कि अन्य पड़ोसी राज्यों से सुरक्षा बलों की आवश्यकता के बजाय, केंद्रीय बलों को तैनात करना बेहतर होगा और खर्च केंद्र द्वारा वहन किया जाएगा.

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पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश एक वकील ने अदालत को राज्य की जमीनी स्थिति से अवगत कराया और कहा कि जरूरत पड़ने पर वे पड़ोसी राज्यों से बल तैनात कर सकते हैं. उन्होंने अदालत को बताया कि यह तैनाती हर जिले के लिए है, चाहे वह संवेदनशील हो या नहीं. उन्होंने अदालत से कहा कि राज्य इसे संभालने में सक्षम है. 

पश्चिम बंगाल राज्य की ओर से पेश एक वरिष्ठ अधिवक्ता ने भी सुप्रीम कोर्ट को यह भी बताया कि पिछली बार जब सीआरपीएफ अधिकारियों को तैनात किया गया था, उन्होंने गोलियां चलाई थीं और लोग मारे गए थे.

पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग ने कुछ भी नहीं किया है, यह उनका अवलोकन गलत है.

वरिष्ठ अधिवक्ता अरोड़ा ने कहा कि डब्ल्यूबी राज्य चुनाव आयोग किसी भी बल की मांग नहीं कर सकता है, लेकिन उन्हें राज्य से अनुरोध करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश इसके विपरीत है.

सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की जिम्मेदारी राज्य चुनाव आयोग की है.

मामले में एक प्रतिवादी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि राज्य में एक समस्या है. उन्होंने आगे कहा, “तैनाती के लिए एजेंडा वास्तविक चिंता नहीं है, एजेंडा यह है कि आपको केंद्रीय बल नहीं मिलते हैं.”

8 जुलाई को होने वाले पंचायत चुनावों से पहले, राज्य के विभिन्न हिस्सों में लगातार झड़पें देखी गईं, जिसमें बीरभूम के अहमदपुर में खंड विकास कार्यालय में हुई हिंसा भी शामिल है, जहां कच्चे बम फेंके गए थे. साथ ही मालदा जिले में एक टीएमसी कार्यकर्ता की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई.

चुनाव के लिए मतदान 8 जुलाई को एक ही चरण में होगा और मतगणना 11 जुलाई को होनी है. पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला होगा क्योंकि उन्हें इसे 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले एक लिटमस टेस्ट के रूप में देखा जाएगा.


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