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Sunday, 22 December, 2024
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झारखंड विधानसभा में ‘पुलिसिया दमन’ के खिलाफ उठी आवाज, हिरासत में हुई मौतों पर जांच आयोग बनाने की मांग

झारखंड में 'पुलिसिया दमन' को लेकर दिप्रिंट ने एक खबर छापी थी, जिसे लेकर झारखंड विधानसभा में सत्तारूढ़ पार्टी से सवाल किए गए.

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रांची: झारखंड विधानसभा के चालू बजट सत्र में बुधवार को राज्य के दो विधायक, भाजपा के अमर कुमार बाउरी और भाकपा माले विधायक विनोद सिंह ने हेमंत सोरेन सरकार में बढ़ते पुलिसिया दमन और प्रशासन के रवैये को लेकर सवाल उठाए.

हाल ही में दिप्रिंट ने ‘चोरी का आरोप और माओवादी समर्थक’: झारखंड में आदिवासियों के खिलाफ बदस्तूर जारी ‘पुलिसिया दमन ’  शीर्षक से 15 मार्च को एक खबर छापी थी जिसमें विस्तार से बताया गया था कि हेमंत सोरेन सरकार के कार्यकाल में पुलिस दमन कितना बढ़ा और इसके शिकार कौन लोग हो रहे हैं.

इस खबर के छपने के बाद ही झारखंड विधानसभा में ये मामला उठा है और सरकार से एक जांच आयोग बनाने की मांग की गई है.


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‘अनकंट्रोल्ड पुलिस, लॉ एंड ऑर्डर फेल’

झारखंड के पूर्व मंत्री और चंदनकियारी से बीजेपी विधायक अमर कुमार बाउरी ने सदन में कहा कि आज ये कहा जाता है कि आदिवासी, दलित जिनके लिए ये सरकार बनी है, उस सरकार में पुलिस की ज्यादती काफी बढ़ गई है.

उन्होंने दिप्रिंट की रिपोर्ट का हवाला देते हुए विधानसभा में कहा, ‘साल 2020-2022 तक कुल 33 लोगों के साथ पुलिस ने ज्यादती की है. इसमें 10 लोगों की मौत, 23 लोगों के साथ मारपीट हुई. इसमें आठ मामले साल 2022 में हुए हैं. पुलिस की ज्यादती में शिकार हुए लोगों में 23 आदिवासी और 4 मुस्लिम शामिल हैं. बाकि दलित और अन्य समुदाय के लोग हैं.’

आगे उन्होंने कहा, ‘ये पुलिस जो अनकंट्रोल्ड है, उसकी वजह से आज लॉ एंड ऑर्डर पूरी तरीके से फेल हो गया है.’

इस दौरान उन्होंने बंगाल के बीरभूम में हुई हिंसा का भी जिक्र करते हुए कहा, ‘क्या झारखंड सरकार भी यहां ऐसा ही कुछ करना चाह रही है.’ इसके अलावा उन्होंने मॉब लिंचिंग, रेप सहित कई अन्य मामलों पर राज्य सरकार के रवैये पर सवाल खड़ा किए.

इस पर जेएमएम नेता और गिरिडीह के विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने सदन में कहा, ‘अमर बाउरी दिप्रिंट की एक रिपोर्ट का जिक्र कर रहे थे जिसमें झारखंड में हुई विभिन्न दुर्भाग्यपूर्ण दुखद घटनाओं का जिक्र किया गया है. दिप्रिंट की एक खबर को तो उन्होंने उठा लिया, मैं दिप्रिंट की सौ खबरें दिखा सकता हूं जिसमें बीजेपी शासन काल में कानून व्यवस्था की जो धज्जियां उड़ी हैं, उनका जिक्र किया गया है.’


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जांच आयोग बनाने की मांग

बगोदर से भाकपा माले विधायक विनोद सिंह ने भी इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए सरकार पर सवाल उठाए और कहा कि संयोग से राज्य में इस वक्त ऐसी सरकार है जिसने राज्य में सबसे ज्यादा दमन, उत्पीड़न झेला है, लोग शहीद हुए हैं, इसलिए इस पार्टी (झारखंड मुक्ति मोर्चा) से उम्मीद बढ़ जाती है.

उन्होंने कहा, ‘ऐसी घटनाओं में मुआवजा दिया गया है लेकिन इससे बात नहीं बनेगी, दोषियों पर कार्रवाई होनी चाहिए. जबकि इस सरकार में अब तक जितनी घटनाएं हुई है, उसमें से किसी पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई है.’

उन्होंने कहा, ‘हम सबने देखा है कि बीते सालों में राज्य भर में खून की होली खेली गई है.’

विनोद सिंह ने सदन में कहा, ‘साल 2019 से लेकर अब तक 156 लोगों की मौत न्यायिक हिरासत में हुई है. इन मामलों की डिटेल स्टडी करनी होगी, तब जाकर ऐसे मामलों को रोका जा सकता है. सिंगल केस की जांच के बजाय सभी मामलों की जांच एक आयोग से करवाई जाए, उसके बात जो रिपोर्ट सामने आए, उस पर एक्शन लिया जाए.’

विनोद सिंह ने कहा कि चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष ने कहा कि उनके सरकार के आंकड़े पूर्व की सरकार के आंकड़ों से काफी कम है लेकिन आंकड़ों के कम होने का मतलब नहीं है, मतलब है ऐसी घटनाओं को गंभीरता से लेने की.

झारखंड पुलिस प्रवक्ता अमोल वी होमकर ने दिप्रिंट से कहा कि इसमें कुछ मामले अनुसंधान अंतर्गत है एवं कुछ मामलों में जांच चल रही है. उन्होंने कहा, ‘कुछ में सीआईडी जांच चल रही है. जांच के पश्चात उचित अग्रतर कार्रवाई की जाएगी.. अगर कोई दोषी पाया जाता है तो निश्चित रूप से न्यायसंगत कठोर कार्यवाही की जाएगी.’

(आनंद दत्त स्वतंत्र पत्रकार हैं. उनका ट्विटर हैंडल है @DuttaAnand. उनकी अन्य रिपोर्ट्स पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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