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Saturday, 21 December, 2024
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गाजियाबाद में नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन में हिंसा का आरोप- 65 लोग गिरफ्तार, 350 पर केस दर्ज

पुलिस के खिलाफ हिंसा और पत्थरबाजी करने में शामिल असमाजिक तत्वों को पकड़ने के लिए विशेष अभियान चलाया गया.

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गाजियाबाद : उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा करने के आरोप में 65 लोगों को गिरफ्तार किया गया है जबकि 350 अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है. पुलिस ने शनिवार को यह जानकारी दी.

उन्होंने बताया कि प्रदर्शन के दौरान पुलिस के खिलाफ हिंसा और पत्थरबाजी करने में शामिल असमाजिक तत्वों को पकड़ने के लिए विशेष अभियान चलाया गया है.

गाजियाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि 65 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 350 असमाजिक तत्वों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है.

उन्होंने बताया कि लोनी के पूर्व विधायक ज़ाकिर अली के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज किया गया है. सिंह के मुताबिक शरारती तत्वों की पहचान कर ली गई है और जल्द उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा.

जामिया ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट, पुलिस कार्रवाई की न्यायिक जांच की मांग

जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय ने विगत रविवार को परिसर में पुलिस के प्रवेश करने के मामले में अपनी रिपोर्ट मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय को सौंप दी है. इसमें घटना की न्यायिक जांच कराने की मांग की गई है.

विश्वविद्यालय ने इससे पहले इस संबंध में 15-16 दिसंबर को रिपोर्ट सौंपी थी.

मंत्रालय को 20 दिसंबर को सौंपी नयी रिपोर्ट में विश्वविद्यालय ने मामले की जांच के लिए समिति गठित करने या न्यायिक जांच कराने की मांग दोहराई है.

जामिया के रजिस्ट्रार की ओर से दाखिल रिपोर्ट में विश्वविद्यालय ने रेखांकित किया है कि पुलिस ने मथुरा रोड और जुलेना रोड पर भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठी चार्ज किया. इसके बाद प्रदर्शनकारी मौलाना मोहम्मद अली जौहर मार्ग पर पीछे हट गए जो विश्वविद्यालय परिसर से गुजरता है.

रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भीड़ को पीछे धकेलते हुए पुलिसकर्मियों ने द्वार संख्या चार और द्वार संख्या सात पर लगे तालों को तोड़ दिया तथा गार्डों की पिटाई करते हुए विश्वविद्यालय परिसर में घुस गए. उन्होंने पुस्तकालय में आंसू गैस के गोले छोड़े और वहां पढ़ रहे छात्रों की बर्बरता से पिटाई की.

रिपोर्ट में कहा गया कि विश्वविद्यालय प्रशासन से परिसर या पुस्तकालय में प्रवेश करने की पुलिस ने अनुमति नहीं ली थी.

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