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Sunday, 22 December, 2024
होमखेल‘विनेश हमारा सोना है’ — हरियाणा में फोगाट के गांव में अयोग्य ठहराए जाने और संन्यास लेने के बाद सन्नाटा

‘विनेश हमारा सोना है’ — हरियाणा में फोगाट के गांव में अयोग्य ठहराए जाने और संन्यास लेने के बाद सन्नाटा

पेरिस ओलंपिक से अयोग्य ठहराए जाने के बाद, फोगाट ने कुश्ती से संन्यास की घोषणा की. हालांकि, उनके गांव के लोग स्वर्ण पदक खोने का शोक मना रहे हैं, लेकिन वे चाहते हैं कि विनेश फिर से कुश्ती लड़ें.

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चरखी दादरी: हरियाणा के चरखी दादरी के बलाली गांव के लोग बुधवार को जश्न की तैयारी में जुटे थे कि तभी उन्हें पता चला कि पहलवान विनेश फोगाट को पेरिस ओलंपिक से अयोग्य घोषित कर दिया गया है. जिस कमरे में उनके चाचा पूर्व पहलवान महावीर सिंह फोगाट और अन्य लोगों ने पिछली रात सेमीफाइनल मैच देखा था, वहां अचानक से सन्नाटा पसर गया.

और अब, कुश्ती से संन्यास लेने के उनके (फोगाट) फैसले ने गांव वालों के दिल को और दुखा दिया है.

बलाली गांव के निवासी सूरज प्रकाश सांगवान ने कहा, “उन्हें संन्यास की घोषणा नहीं करनी चाहिए थी. हम चाहते थे कि वे लड़ें. इससे हमारा दिल टूट गया है. हम उन्हें अपना फैसला बदलने के लिए मनाने की कोशिश करेंगे. वे बेहद साहसी महिला हैं. उन्होंने यहां तक ​​पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत की थी. अब, जब वह सफलता के इतने करीब थीं, तो उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया.”

सूरज ने कहा कि पूरा गांव न केवल स्वर्ण पदक जीतने के अवसर को खोने का शोक मना रहा है, बल्कि इस बात का भी शोक मना रहा है कि विनेश की कड़ी मेहनत रंग नहीं लाई.

विनेश, जिनका वजन सामान्यतः 58 किलोग्राम रहता है, उन्होंने पेरिस ओलंपिक में 50 किलोग्राम फ्रीस्टाइल कुश्ती में शामिल होने के लिए अपना वजन कम किया था. मंगलवार रात सेमीफाइनल में जीत के बाद, उनका वजन 2 किलोग्राम अधिक पाया गया, लेकिन विनेश पूरी रात सोई नहीं. वे अपना वजन कंट्रोल रखने के लिए स्किपिंग, जंपिंग और व्यायाम करती रहीं.

लेकिन, बुधवार सुबह फाइनल मुकाबले से पहले उनका वजन सीमा (50 किग्रा) से 100 ग्राम अधिक था. बाद में, उन्होंने कोर्ट ऑफ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट में अयोग्यता के खिलाफ अपील कर संयुक्त रजत पदक की मांग की.

उनके चाचा महावीर “24 साल से ओलंपिक पदक का इंतज़ार कर रहे हैं”. एक खिलाड़ी के रूप में उनका खुद का सपना भारत के लिए ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतना था. बाद में उन्होंने अपनी बेटियों को भी इसके लिए ट्रेनिंग दी थी.

Vinesh's uncle Mahavir Phogat in Balali Wednesday | Suraj Singh Bisht | ThePrint
विनेश के चाचा महावीर फोगाट बुधवार को बलाली गांव में | फोटो: सूरज सिंह बिष्ट/दिप्रिंट

उन्होंने अपने आंसू रोकते हुए कहा, “जब भी वे वापस आएगी, हम उसे अगले ओलंपिक के लिए ट्रेनिंग लेने के लिए मना लेंगे. हम स्वर्ण से कम किसी चीज़ से संतुष्ट नहीं होंगे. वे बहुत करीब थीं और हमें यकीन था कि वो जीतेंगी. उन्होंने जापानी खिलाड़ी विश्व चैंपियन को भी हराया था. अब यह उनका वक्त था.”


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‘कोच और स्टाफ ज़िम्मेदार’

बलाली में महावीर फोगाट स्पोर्ट्स अकादमी में ग्रामीण, जो आमतौर पर कुश्ती मैच देखने या राजनीतिक मामलों पर चर्चा करने के लिए इकट्ठा होते हैं, वहां बैठकर विनेश की अयोग्यता के पीछे की साजिशों पर चर्चा कर रहे थे.

जबकि सभी ने विनेश के वजन के मुद्दे के लिए भारतीय दल के कोच, डॉक्टर और स्टाफ सदस्यों को दोषी ठहराया, उन्होंने इस स्थिति को टालने के कई तरीकों पर भी विचार-विमर्श किया.

कमरे में मौजूद एक ग्रामीण ने कहा, “कोच विनेश की चोट क्यों नहीं दिखा सका? उसे कम से कम रजत पदक तो मिल सकता था, जिसकी वे हकदार थीं. अब वे खाली हाथ लौटेंगी” अन्य ग्रामीणों ने भी सहमति में सिर हिलाया.

एक अन्य ग्रामीण शेर सिंह ने कहा कि कोच और डॉक्टर पहलवानों पर काम करने के लिए लाखों रुपये लेते हैं. सिंह ने कहा, “इस बात की जांच होनी चाहिए कि विनेश को क्या दिया गया जिससे उनका वजन बढ़ गया.”

बलाली में विनेश के घर में मातम पसरा है. उनकी मां उनके अयोग्य होने की खबर सुनकर बेहोश हो गईं. इसके तुरंत बाद वे अपने रिश्तेदारों के पास सोनीपत चली गईं.

उनसे मिलने आई एक महिला ने बताया, “उनके घर पर कोई नहीं है. उनका भाई उनके साथ पेरिस में है. मां सोनीपत में है. घर पर सिर्फ उनकी भाभी हैं और वे किसी से बात नहीं करना चाहतीं.”

Villagers gather to discuss Vinesh's disqualification | Suraj Singh Bisht | ThePrint
विनेश की अयोग्यता पर चर्चा करने के लिए एकत्र हुए ग्रामीण | फोटो: सूरज सिंह बिष्ट/दिप्रिंट

‘मुझे लगता है कि वे बहुत परेशान है’

बलाली निवासी 35-वर्षीय राहुल सांगवान को हैरानी है कि उन्हें इतनी सारी कठिनाइयों को सहने की ताकत कहां से मिलीं.

सांगवान ने कहा, “विनेश ने यह सुनिश्चित करने के लिए सभी मानवीय सीमाएं पार कर लीं कि वो कुश्की जीत जाए और फिर भी, उनके हाथ केवल निराशा ही लगी.”

राहुल ने याद किया कि विनेश ने पहलवानों के साथ कथित उत्पीड़न के खिलाफ कितनी बहादुरी से विरोध किया था, जब पिछले साल पहलवानों ने सड़कों पर उतरकर भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व प्रमुख और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता बृज भूषण शरण सिंह पर कई युवा महिला खिलाड़ियों का यौन शोषण करने का आरोप लगाया था.

उन्होंने कहा, “जब मैंने सुना कि वे संन्यास ले रही हैं, तो मुझे लगा कि भाजपा ने एक पल के लिए जीत हासिल कर ली है, लेकिन फिर मैंने खुद को याद दिलाया कि विनेश ने कितनी लड़ाइयां लड़ी हैं – सड़कों से लेकर डिप्रेशन और कुश्ती तक. मैं बेहद दुखी हूं. यह राज्य ही है जिसने उनके लिए इतनी मुसीबतें खड़ी की हैं. वे कितना लड़ सकती हैं और कितने समय तक? मुझे लगता है कि वे बहुत परेशान हैं, इसलिए उन्होंने संन्यास की घोषणा की. शायद, वे अपनी बात से मुकर जाएं.”

राहुल ने कहा, “हमारे लिए स्वर्ण पदक महत्वपूर्ण नहीं है. विनेश हमारा स्वर्ण पदक है. वे गोल्ड मेडल से भी बड़ी हैं. वे हमारी प्रेरणा हैं. वे हमारी लिजेंड हैं.”

दिन के अंत में, महावीर, जिन्होंने सुबह से ही मीडियाकर्मियों से बहादुरी से बात की थी, विनेश की अयोग्यता के बारे में कई राजनेताओं की टिप्पणी देखते रहे.

निराश और कांपती आवाज़ में, वे केवल इतना ही कह पाए: “म्हारी छोरियां छोरों से कम नहीं है. वे अगला स्वर्ण पदक लाएंगी.”

कमरे से बाहर निकलते समय एक और ग्रामीण ने कहा, “हम हरियाणा से हैं, इतनी जल्दी हार नहीं मानते.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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