कानपुर: कानपुर के रहने वाले 45 वर्षीय ई-रिक्शा चालक अफसर अहमद का कहना है कि उनकी बेटी पिछले बुधवार के बाद से मुस्कुराई नहीं है. यह वही दिन था जब अहमद के उपर कथित तौर पर शहर के बर्रा इलाके में एक भीड़ द्वारा हमला किया गया था और उन्हें सरेआम सड़कों पर घुमाया गया था.
इस घटना के बाद तेज़ी से वायरल हुए एक वीडियो में अफसर की बेटी रोते-बिलखते हुए अपने पिता से चिपकी हुई दिखाई दे रही है और पुरुषों का एक झुंड उन पर हमला कर रहा है.
इसी वीडियो के बाद वाले हिस्से में, पुलिस अफसर और उसकी बेटी को भीड़ से छुड़ा कर दूर ले जाती हुई दिखाई दे रही है. अफसर ने दिप्रिंट को बताया कि पुलिसवालों ने ही उसे हमलावरों से बचाया.
इस मामले में कानपुर पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार किया है – जिनकी पहचान अजय, राहुल कुमार और अमन गुप्ता के रूप में की गई है. अफसर की शिकायत पर दर्ज की गई एक प्राथमिकी के आधार पर उन पर दंगा करने, आपराधिक धमकी देने और जानबूझकर चोट पहुंचाने के आरोप लगाए गए हैं. इस प्राथमिकी में अजय सहित पांच लोग नामज़द किए गये हैं और इसके अलावा 8 से 10 अन्य अज्ञात लोगों को भी आरोपी के रूप में शामिल किया गया है.
कानपुर दक्षिण के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (एडीसीपी) अनिल कुमार ने बताया, ‘हमने अफसर द्वारा दिए गये शिकायत पत्र के आधार पर एक प्राथमिकी दर्ज की है. इस मामले में हमने तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है और अन्य के खिलाफ भी कार्रवाई का आश्वासन दिया है.’
कुमार के अनुसार, अफसर अपने परिवार और उनके पड़ोस में रहने वाले कुछ और लोगों के बीच चल रहे एक ‘पुराने झगड़े’ का शिकार हो गये है. कथित तौर पर जुलाई में शुरू हुए इस झगड़े के तहत उनके पड़ोसी परिवार – जो हिंदू हैं – ने अफसर के रिश्तेदारों पर धर्मांतरण के प्रयास के साथ-साथ उनकी बेटी से छेड़छाड़ का भी आरोप लगाया है.
एडीसीपी कुमार का कहना है कि ‘अफसर उन तीन युवकों में से एक का रिश्तेदार है, जिन पर हाल ही में अपने पड़ोसी की बेटी के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया गया है. इस संबंध में उनके खिलाफ बर्रा पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी. वह (अफ़सर) अपने दो पड़ोसियों के बीच एक पुराने झगड़े का शिकार बन गया.’
कुमार ने यह भी कहा कि पुलिस शिकायत के मजमून को ध्यान में रखते हुए हीं इस मामले की जांच कर रही है, अफ़सर के अनुरोध पर उनके घर के बाहर सुरक्षा कर्मी भी तैनात कर दिए गये हैं.
एक तरफ जहां अफसर के परिवार ने प्राथमिकी में नामजद सभी आरोपियों की गिरफ्तारी की मांग की है, वहीं बजरंग दल – एक दक्षिणपंथी हिंदू संगठन, जिसके बारे में यह माना जा रहा है कि उसने अफसर के पड़ोसियों के कहने पर इस मामले में हस्तक्षेप किया था, और जिसके लोग/ सदस्य कथित तौर पर इस मारपीट शामिल थे – ने पुलिस पर अनुचित ढंग से जांच करने का आरोप लगाया है.
बजरंग दल के एक सदस्य कृष्णा तिवारी ने मीडिया से बातचीत में बताया कि वे एक हिंदू बेटी को धर्म परिवर्तन से बचाने के लिए आए थे. उन्होंने कहा कि, ‘पुलिस ने करीब एक महीने पुराने मामले में कोई कार्रवाई नहीं की, पर अब उसने मेरे उन साथियों को गिरफ्तार कर लिया है, जिनकी कोई गलती नहीं थी.’
राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने शुक्रवार को मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए कानपुर के पुलिस आयुक्त को एक नोटिस भेजकर कहा है कि इस घटना ने ‘मुस्लिम समुदाय की भावनाओं को आहत किया है…’
आयोग ने इस केस से जुड़े अन्य तथ्यों के साथ- साथ वीडियो में दिख रही बच्ची के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य और इस मामले में अब तक की गई गिरफ्तारी के विवरण की जानकारी मांगी है. आयोग ने एक सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है.
‘मेरी बेटी की क्या ग़लती है?’
हमले के बारे में विस्तार से बताते हुए अफसर ने दिप्रिंट को बताया कि वह इस बुधवार दोपहर करीब 3 बजे अपना ई-रिक्शा चला रहे थे. तभी कुछ लोगों के एक समूह ने उसे गालियां देना और पीटना शुरू कर दिया. अफसर के मुताबिक, वे लगातार कहे जा रहे थे ‘ये मुल्ला चोर है.’
अफसर ने दावा किया कि उन लोगों ने उसे और उसके परिवार को जान से मारने की धमकी दी. अफसर का कहना है कि जब उन लोगों ने मुझसे ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने के लिए लिए कहा, तो मैनें ऐसा हीं किया, लेकिन उनलोगों ने फिर भी मुझे पीटा.
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अपने आंखों से बहते आंसुओं के साथ वे यह कहते हैं कि ‘जब वे मुझे मार रहे थे तो मेरी बेटी भी घायल हो गई. उसकी क्या ग़लती है?’ उसने यह भी बताया कि पुलिस ने उसे बचा लिया.
पुलिस के द्वारा दिए गये विवरण की पुष्टि करते हुए अफसर ने कहा कि इस हमले की जड़ में उसके पड़ोसी के साथ चल रहा पुराना विवाद ही है. उन्होंने अपनी शिकायत में जिन आरोपियों का नाम लिया है उनमें अजय ‘बैंड वाला’, अजय का बेटा डॉन, केशु नेता, रमेश और रानी शामिल हैं.
अफसर का कहना है कि रानी की पिछले महीने उनकी रिश्तेदार कुरैशा बेगम के साथ बहस हुई थी, जिसके बाद दोनों पक्षों ने एक दूसरे के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी.
इस बारे में दिप्रिंट से बात करते हुए, कुरैशा ने कहा कि उनके बेटे का रिक्शा 9 जुलाई को गलती से रानी की गाड़ी से आगे निकल गया, और उसके बाद एक ज़ुबानी झगड़ा शुरू हो गया. उसने कहा, ‘बाद में, रानी ने मुझ पर जबरन धर्म परिवर्तन और मेरे बेटे पर उसकी बेटी को छेड़ने का आरोप लगाया.’
रानी ने आरोप लगाया कि कुरैशा ने बहस के दौरान उससे कहा था कि वह अपनी बेटी का धर्म बदल दे और उसकी शादी उसके बेटे से करवा दे – हालांकि कुरैशा ने इस आरोप से इनकार किया है.
रानी ने कहा कि तब उसने मदद के लिए पुलिस से संपर्क किया था लेकिन उसे किसी तरह की कोई मदद नहीं की गई. उसने यह भी कहा कि इस बुधवार को उसने आसपास रहने वाले बजरंग दल के कुछ लोगों से संपर्क किया.
रानी ने दिप्रिंट को बताया, ‘पुलिस हमारी कोई मदद नहीं कर रही थी इसलिए हमने बजरंग दल को इस बारे में सूचित करने का सोचा क्योंकि वे हिंदुओं पक्ष मे खड़े होते हैं. हमने उन्हें इस घटना के बारे में बताया. वे लोग हमसे मिलने आए थे लेकिन अचानक उन्होंने अफसर को देखा और एक जुबानी जंग शुरू हो गई. उसके बाद का मुझे कुछ नहीं पता. पुलिस हमारा पक्ष नहीं ले रही है.’
अफसर के एक रिश्तेदार सलमान ने कहा कि यह हमला उस चौराहे से 300 मीटर की दूरी पर हुआ जहां बजरंग दल की बैठक हो रही थी. उन्होंने बताया कि हमला इस बैठक के ठीक बाद हुआ.
उन्होंने कहा, ‘चाचा अफसर, जिनकी कोई गलती नहीं थी, जिन्हें कुछ पता नहीं था कि इस मामले में क्या हो रहा है, इसके शिकार बन गए.’
गुरुवार को कानपुर दक्षिण पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) रवीना त्यागी ने एक बयान में कहा कि ‘12 जुलाई को, कुरैशा बेगम नाम की एक महिला ने रमेश और उसकी पत्नी रानी गौतम के खिलाफ मारपीट के आरोप में प्राथमिकी दर्ज कराई थी.’
उन्होनें इस बयान मे आगे कहा, ‘फिर रानी ने सद्दाम, सलमान और मुकुल के खिलाफ आईपीसी की धारा 354 (किसी भी महिला को अपमानित करने का इरादा रखते हुए या इस बात की संभावना को जानते हुए भी कि ऐसा करना उसकी लाज भंग कर सकता है, उस पर हमला करना या आपराधिक रूप से बल का उपयोग करना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की.
इस मामले में हुई गिरफ्तारी के बाद बजरंग दल के कुछ सदस्यों ने इस गुरुवार को डीसीपी कार्यालय के बाहर धरना दिया. पुलिस द्वारा निष्पक्ष जांच का वादा किए जाने के बाद ही वे वहां से गये.
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