अहमदाबाद, सात मार्च (भाषा) गुजरात के मेहसाणा जिले के वडनगर के निवासियों ने शहर में मिले कुछ वास्तुशिल्प संरचनाओं के संरक्षण के लिए ‘बफर जोन’ को लेकर उनकी जमीन अधिगृहित करने के राज्य सरकार के कदम को उच्च न्यायालय में चुनौती दी है। क्षेत्र में बड़े पैमाने पर खुदाई परियोजना चलाई जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहनगर वडनगर के ग्यारह परिवारों ने इस संबंध में उच्च न्यायालय से राज्य सरकार की अधिसूचना को रद्द करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। परिवारों का कहना है कि राज्य सरकार ने इन स्थापत्य संरचनाओं के रखरखाव के मकसद से बनाए जाने वाले ‘बफर जोन’ के लिए सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन (एसईए) अध्ययन किए बिना भूमि अधिग्रहण की अनुमति दी।
निवासियों ने पिछले हफ्ते अधिसूचना के खिलाफ एक याचिका दायर की और सोमवार को मुख्य न्यायाधीश अरविंद कुमार और न्यायमूर्ति आशुतोष शास्त्री की खंडपीठ के समक्ष मामले को उठाया गया। बाद में पीठ ने सुनवाई 11 मार्च तक के लिए स्थगित कर दी।
याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि पुरातात्विक विभाग शहर में खोजे गए वास्तुशिल्प संरचनाओं के संरक्षण के लिए एक ‘‘विशेष परियोजना’’ के तहत ‘बफर जोन’ बनाने के लिए वहां मौजूद 30 परिवारों को उनकी जमीन के बदले अलग स्थान पर जमीन देना चाहता है। वकील ने कहा कि यह एसईए अध्ययन के बिना किया जा रहा है क्योंकि सरकार इसे एक विशेष परियोजना मानती है।
भाषा सुरभि रंजन
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