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Friday, 12 September, 2025
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उत्तराखंड: ‘वैली ऑफ वर्ड्स-शब्दावली’ ने 2025 के लिए पुरस्कारों की घोषणा की

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देहरादून, 12 सितंबर (भाषा) उत्तराखंड के देहरादून में हर वर्ष आयोजित होने वाले साहित्यिक महोत्सव ‘वैली ऑफ वर्ड्स-शब्दावली’ ने शुक्रवार को 2025 के लिए हिंदी और अंग्रेजी साहित्य समेत आठ श्रेणियों में ‘आरईसी-वाओ’ पुरस्कारों की घोषणा की।

महोत्सव निदेशक डॉ. संजीव चोपड़ा ने बताया कि ‘वैली ऑफ वर्ड्स-शब्दावली’ (वाओ) के नौवे संस्करण में अंग्रेजी फिक्शन श्रेणी में लक्ष्मी मूर्देश्वर पुरी को उनकी पुस्तक ‘स्वालोइंग द सन’, अंग्रेजी नॉन-फिक्शन में करण मधोक को ‘आनंदा: एन एक्सप्लोरेशन ऑफ कैनेबिस इन इंडिया’ और अंग्रेजी अनुवाद में बनिब्रत महांता को ‘लावण्यादेवी’ (कुसुम खेमानी की हिंदी कृति) को विजेता घोषित किया।

वहीं हिन्दी अनुवाद में सुलभा कोरे को ‘बहत्तर मील’ (अशोक वटकर की मराठी कृति), हिन्दी कथा में सोनी पाण्डेय को ‘सुनो कबीर’, हिन्दी कथेतर में सुधीर विद्यार्थी को ‘बिदाय दे मां’, यंग ऐडल्ट लिटरेचर में कृपा को ‘आर्ट इज अ वॉयस’ और बाल साहित्य में नील फ्लॉरी को ‘कैक्टस वॉन्ट्स अ हग’ के लिए चुना गया।

चोपड़ा ने बताया कि विजेताओं को ये पुरस्कार 25-26 अक्टूबर को यहां आयोजित होने वाले वाओ के मुख्य महोत्सव में प्रदान किए जाएंगे।

इस पुरस्कार में एक लाख रुपये नकद और एक प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा।

चोपड़ा ने बताया कि पिछले वर्षों की तरह इस बार भी प्रकाशकों की प्रतिक्रिया बहुत सकारात्मक रही और देश भर से 75 प्रकाशकों द्वारा 600 से अधिक पुस्तकों को पुरस्कारों के लिए नामित किया गया।

उन्होंने बताया कि पुस्तकों के चयन के बाद अंतिम रूप से विजेताओं को पिछले वर्ष के पुस्तक पुरस्कार विजेताओं द्वारा चुना गया, जो 2025 के लिए जूरी थे।

जूरी में स्मृति रवींद्र (द वुमन हू क्लाइम्ब्ड ट्रीज़), मनोज मित्ता (कास्ट प्राइड), सुभाष नीरव (अम्बर परियां), उदय प्रकाश (अंतिम नींबू), डॉ. सुरेश पंत (शब्दों के साथ-साथ), शबनम मिनवाला (ज़ेन) एवं विभा बत्रा (दी छाऊ चैम्प) शामिल हैं।

पूर्व नौकरशाह और स्वयं अनेक पुस्तकों का लेखन कर चुके चोपड़ा ने कहा कि इस वर्ष चुनी गई हर एक पुस्तक ऐसे विषय पर आधारित है, जो हमें खुद को तथा हमारे आसपास की दुनिया को बेहतर ढंग से समझने में मदद करती है।

उन्होंने कहा कि अगले माह होने वाले वाओ के मुख्य कार्यक्रम में पाठकों को इन सभी विजेताओं से देहरादून में मिलने का भी मौका मिलेगा और इस दौरान उनकी कृतियों पर चर्चा भी की जाएगी।

भाषा दीप्ति जितेंद्र

जितेंद्र

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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