पिथौरागढ़, दो नवंबर (भाषा) उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में 14,000 फुट की उंचाई पर स्थित पौराणिक और आध्यात्मिक स्थल आदि कैलाश में रविवार को राज्य की पहली हाई एल्टीट्यूड अल्ट्रा रन मैराथन का आयोजन किया गया जिसमें 22 राज्यों के धावकों ने भाग लिया।
साठ किलोमीटर लंबी ‘आदि कैलाश परिक्रमा रन’ का प्रारंभ कड़कड़ाती सर्दी में तड़के पांच बजे केंद्रीय सड़क परिवहन राज्य मंत्री अजय टम्टा ने जोलिंगकोंग से किया। एथलीटों ने ‘जय भोलेनाथ’ के जयकारे लगाते हुए दौड़ शुरू की।
इस अल्ट्रा रन मैराथन का आयोजन उत्तराखंड राज्य स्थापना के 25 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में किया गया है। नौ नवंबर को राज्य का स्थापना दिवस है।
इस मौके पर टम्टा ने कहा, ”यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दृढ़ इच्छाशक्ति से लिए गए निर्णय का परिणाम है जिन्होंने सर्दियों में वीरान पड़े रहने वाले इस आदि कैलाश क्षेत्र को स्थानीय लोगों, साहसिक खेलप्रेमियों और श्रद्धालुओं के लिए साल भर जीवंत बना दिया।”
टम्टा ने कहा कि यह सीमावर्ती गांवों में वर्ष भर जीवंत आर्थिक गतिविधियां चलाने के प्रधानमंत्री के विजन की सफलता है।
उन्होंने कहा, ” इस आयोजन से उच्च हिमालय के इस बर्फीले क्षेत्र में शीतकालीन पर्यटन की शुरुआत होगी और लोग साल भर यहां आएंगे।”
केंद्रीय मंत्री ने भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), सेना, जिला प्रशासन और स्थानीय लोगों का भी आभार जताया जिन्होंने देश भर से अल्ट्रा रन मैराथन में भाग लेने आए एथलीटों के लिए गुंजी में ठहरने सहित अन्य व्यवस्थाएं कीं।
प्रदेश के पर्यटन सचिव धीरज गर्बयाल ने बताया कि शून्य से नौ डिग्री से लेकर 14 डिग्री नीचे तापमान में आयोजित की गयी अल्ट्रा रन में 15 से 60 साल की उम्र के 580 से अधिक धावकों ने भाग लिया।
उन्होंने बताया कि 20 से अधिक एथलीटों को चिकित्सकों ने उच्च हिमालयी क्षेत्र में दौड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया ।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आदि कैलाश में पहली हाई एल्टीट्यूड अल्ट्रा रन मैराथन के सफल आयोजन पर सभी धावकों, आयोजनकर्ताओं और स्थानीय नागरिकों को बधाई देते हुए कहा कि यह आयोजन सीमांत क्षेत्रों में साहसिक पर्यटन और खेल संस्कृति को नयी दिशा प्रदान करेगा।
उन्होंने कहा, ”यह आयोजन उत्तराखंड के लिए गर्व का क्षण है। आदि कैलाश जैसे पवित्र व आध्यात्मिक धाम में आयोजित यह ऐतिहासिक अल्ट्रा रन न केवल साहस और समर्पण की मिसाल है, बल्कि यह सीमांत क्षेत्रों में साहसिक पर्यटन और खेल संस्कृति को नई दिशा देगा।”
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के विजन और उनके द्वारा आदि कैलाश के भ्रमण से संपूर्ण क्षेत्र में पर्यटन और आध्यात्मिक गतिविधियों को अभूतपूर्व प्रोत्साहन मिला है।
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सं, दीप्ति
रवि कांत
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