देहरादून: सोनप्रयाग और केदारपुरी के बीच पैदल पथ के किनारे-किनारे 15 हाई रेजोल्यूशन कैमरे लगाए गए हैं जो जाहिर तौर पर वैसे तो तीर्थयात्रियों की आवाजाही पर नजर रखने के लिए हैं, मगर इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारनाथ तीर्थ क्षेत्र के पुनर्निर्माण के अपने ‘ड्रीम प्रोजेक्ट’ की प्रगति की भी खोज- खबर रख सकेंगे. उत्तराखंड में 2013 में आई भयंकर बाढ़ से यह मंदिर तबाह हो गया था.
केदारनाथ मंदिर तक की 20 किलोमीटर की दूरी में इन नए कैमरों को लगाया जाना और साथ ही स्थानीय इंट्रानेट निगरानी प्रणाली (लोकल इंटरनेट सर्विलांस सिस्टम-एलआईएस) का तकनीकी उन्नयन आगामी चार धाम तीर्थयात्रा के मौसम – जो मई के पहले सप्ताह में शुरू हो रहा है- के लिए की गयी तैयारी के एक हिस्से के रूप में आता है.
सभी मौसम में काम करने वाले ये कैमरे उत्तराखंड स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क (यूकेएसडब्ल्यूएएन या यूकेस्वान) द्वारा लगाए गए हैं, जो राज्य सरकार का एक नेटवर्किंग सपोर्ट सिस्टम है और सरकारी प्रतिष्ठानों के भीतर ‘कम्युनिकेशन डेटा ट्रांसफर’ की जिम्मेदारी उठाता है.
एलआईएस प्रणाली से जुड़े अधिकारियों ने दिप्रिंट को बताया कि हालांकि प्रधान मंत्री कार्यालय की तरफ से चौबीसों घंटें निगरानी का अनुरोध करने के लिए कोई औपचारिक संवाद प्राप्त नहीं हुआ है, मगर यह सुनिश्चित करने के लिए यह सारी तैयारी की गई है कि जब भी पीएम मोदी केदारनाथ में किये जा रहे पुनर्निर्माण कार्य की प्रगति और इसके साथ लगे पैदल पथ की गतिविधियों की समीक्षा करना चाहें तो ऐसा किया जा सके.
उत्तराखंड के पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने और अधिक जानकारी दिए बिना कहा, ‘प्रधानमंत्री जी की ओर से ऐसी कोई मांग नहीं की गई है, लेकिन हमने अपने नेटवर्क सिस्टम को हाई रिज़ॉल्यूशन कैमरों के साथ अपग्रेड (उन्नत) किया है. हमसे कभी भी मांग किये जाने पर पीएमओ हेतु केदारनाथ धाम को देखने के लिए लाइव सुविधाएं उपलब्ध हैं यह पहले भी किया जा चुका है.’
अतिरिक्त सुविधाएं जोड़े जाने के बारे में बात करते हुए, रुद्रप्रयाग जिले के नव नियुक्त जिला मजिस्ट्रेट मयूर दीक्षित ने कहा, ‘ केदारनाथ में पहले से मौजूद कैमरों के अलावा तीर्थयात्रा मार्ग पर नए कैमरे भी लगाए गए हैं तथा आने वाले दिनों में और कैमरे लगाए जायेंगे.’
दीक्षित ने दिप्रिंट को बताया, ‘मुझे अभी पूरी व्यवस्था का जायजा लेना बाकी है, (जैसे कि) क्या पीएमओ द्वारा तीर्थ क्षेत्र के कार्यों की निगरानी करने की कोई योजना है. ठोस शब्दों में कुछ भी कहने से पहले मुझे पूरी प्रणाली का अध्ययन करना होगा.’
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‘यह कहना मुश्किल है कि क्या इसका कोई और मकसद है’
यूकेस्वान के एक इंजीनियर ने उनका नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट को जानकारी दी कि प्रधानमंत्री ने पूर्व में भी ड्रोन द्वारा लिए गए ‘लाइव फुटेज’ की मदद से केदारनाथ में चल रहे पुनर्निर्माण से संबंधित कार्य की प्रगति की पड़ताल की थी, लेकिन यह बहुत ही कम समय के लिए था, और इसके दौरान तीर्थयात्रा मार्ग के क्षेत्र को भी कवर (शामिल) नहीं किया गया था.‘
इस इंजीनियर ने विस्तार से बताया, ‘सोनप्रयाग और केदारपुरी के बीच के पैदल मार्ग में छह अलग-अलग स्थानों पर 15 से अधिक हाई रिज़ॉल्यूशन, इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) कैमरे लगाए गए हैं. ये मंदिर क्षेत्र के विभिन्न स्थानों और हेलीपैड तथा निर्माण स्थलों पर पहले से लगाए गए कैमरों के अतिरिक्त हैं.’
उन्होंने कहा, ‘यूकेस्वान के तहत विकसित स्थानीय इंट्रानेट निगरानी प्रणाली को इस उद्देश्य से अपग्रेड किया गया है कि पीएम जब चाहें यहां के काम-काज की स्थिति की निगरानी कर सकें. वह यहां के फुटेज को अपने लैपटॉप पर भी एक्सेस कर सकते हैं. ‘
इस इंजीनियर ने बताया कि केदारनाथ पुनर्निर्माण योजना पीएम की पसंदीदा परियोजनाओं में से एक है और नए कैमरे अत्यधिक विषम जलवायु परिस्थितियों – जैसे कि शून्य से नीचे तापमान, बर्फ़ीले तूफ़ान आदि – का सामना कर सकते हैं और यहां तक कि भारी वस्तुओं की चपेट में आने पर भी बच सकते हैं जब सर्दियों के दौरान मंदिर बंद रहता है तब यह व्यवस्था इस क्षेत्र की निगरानी में भी मदद करेगी.
अभी तक, केवल मुख्यमंत्री कार्यालय और साथ ही रुद्रप्रयाग के जिला मजिस्ट्रेट, मुख्य सचिव और राज्य पर्यटन सचिव (जो केदारनाथ मंदिर के काम के लिए नोडल अधिकारी भी हैं) के पास ही इस क्षेत्र की 24 घंटे की सीधी निगरानी का एक्सेस (पहुंच) है. हालांकि, यूकेस्वान प्रणाली को राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) नेटवर्क के साथ एकीकृत किए जाने पर प्रधानमंत्री और उनके कार्यालय को भी यह सुविधा मिल सकती है.
रुद्रप्रयाग जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार ने कहा, ‘नए लगाए गए कैमरों का उद्देश्य सोनप्रयाग और केदारनाथ तीर्थ क्षेत्र के बीच पैदल मार्ग पर तीर्थयात्रियों की गतिविधियों की निगरानी करना है. हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि इसमें कोई अन्य उद्देश्य है अथवा नहीं.‘
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