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Monday, 11 August, 2025
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उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने 30 साल से लंबित रामपुर तिराहा मामलों में उप्र सरकार से जवाब मांगा

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नैनीताल, चार अगस्त (भाषा) उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने 90 के दशक में उत्तराखंड पृथक राज्य आंदोलन के दौरान हुए बहुचर्चित रामपुर तिराहा कांड से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार को दो सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है।

सुनवाई के दौरान, उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से घटना के संबंध में दर्ज किए गए छह मामलों की स्थिति और उनके अधिकारक्षेत्र के बारे में पूछा।

याचिकाकर्ता ने अदालत को सूचित किया कि इन मामलों के दर्ज होने के बाद से उनमें कोई प्रगति नहीं हुई है और 30 साल गुजरने के बावजूद, उनकी वर्तमान स्थिति के बारे में कोई स्पष्टता नहीं है।

यह भी कहा गया कि उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल के एक पत्र के आधार पर इन छह मामलों को सुनवाई के लिए मुजफ्फरनगर अदालत में स्थानांतरित कर दिया गया था।

हालांकि, तब से उसमें कोई सुनवाई नहीं हुई है। याचिका में इसलिए इन मामलों में शीघ्र सुनवाई के निर्देश देने की प्रार्थना की गयी है।

मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकल पीठ द्वारा की गयी।

मामले के अनुसार, घटना के दौरान कथित तौर पर सात महिलाओं के साथ दुष्कर्म हुआ था तथा 17 अन्य के साथ छेड़छाड़ हुई।

इस मामले में मुख्य आरोपियों में सात अन्य अधिकारियों के साथ मुजफ्फरनगर के तत्कालीन जिलाधिकारी अनंत कुमार सिंह भी शामिल हैं ।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने इन मामलों को मुजफ्फरनगर अदालत में स्थानांतरित कर दिया था जहां वे लंबित हैं ।

राज्य आंदोलनकारियों द्वारा उच्चतम न्यायालय में की गयी एक अपील के बाद मामलों को उत्तराखंड उच्च न्यायालय में स्थानांतरित किया गया ।

याचिका में कहा गया कि पृथक राज्य की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली जाते समय दो अक्टूबर 1994 को मुजफफारनगर के रामपुर तिराहा में आंदोलनकारियों के साथ पुलिस ने बर्बर व्यवहार किया था।

याचिका में कहा गया है कि इस दौरान महिला प्रदर्शनकारियों के साथ कथित तौर पर दुष्कर्म किया गया जबकि सात आंदोलनकारियों ने अपने प्राण गंवा दिए ।

मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए गए थे। हालांकि, राज्यपाल द्वारा अभियोजन की मंजूरी देने से इनकार करने के कारण अनंत कुमार सिंह के खिलाफ मुकदमा आगे नहीं बढ़ सका।

सीबीआई ने हत्या, घातक हथियारों से गंभीर चोट पहुंचाने और गोलीबारी से संबंधित धाराओं में मामले दर्ज किए थे। इसके बावजूद विभिन्न कारणों से सुनवाई रुकी हुई है ।

भाषा सं दीप्ति संतोष

संतोष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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