अहमदाबाद, 21 जनवरी (भाषा) गुजरात के भावनगर के पास स्थित वल्लभीपुर को मातृका वंश की प्राचीन प्रशासनिक राजधानी माना जाता है तथा पांचवीं से आठवीं शताब्दी के बीच सौराष्ट्र क्षेत्र के सांस्कृतिक भूगोल में प्राचीन वल्लभी शहर महत्वपूर्ण स्थान रखता था। यह जानकारी बेंगलुरु स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज (एनआईएएस) के आर्य एस. प्रदीप और एम.बी. रजनी के अध्ययन से सामने आई है।
उपग्रह आंकड़ों और भू-स्थानिक विश्लेषण के आधार पर इस शोध को जर्नल ऑफ द इंडियन सोसाइटी ऑफ रिमोट सेंसिंग में प्रकाशित किया गया है। अध्ययन में वल्लभी के प्रशासनिक केंद्र और बौद्ध मठों की पहचान की गई है।
शोधकर्ताओं ने ऐतिहासिक साक्ष्यों और जनवरी 2023 में की गई क्षेत्रीय यात्रा के अवलोकनों के साथ इन निष्कर्षों का आपसी संबंध होना स्थापित किया। अध्ययन में बताया गया कि मातृका राजवंश के शासकों द्वारा जारी ताम्रपत्रों से सुझाव मिलता है कि वल्लभी व्यापार और बौद्ध धर्म का प्रमुख केंद्र था।
शोध के अनुसार, वल्लभी एक दुर्ग वाली राजधानी थी, जिसके भीतर और आसपास कई बौद्ध मठ स्थित थे। सातवीं शताब्दी में भारत आये चीनी यात्री ह्वेनसांग और इत्सिंग ने वल्लभी और नालंदा को चीन के तत्कालीन शैक्षणिक संस्थानों के समान प्रमुख शिक्षण संस्थान थे।
लेखकों ने कहा कि वलभी के टीलों की संरचना नालंदा, विक्रमशिला (दोनों बिहार, भारत) और सोमपुरा (बांग्लादेश) के बौद्ध मठों से मिलती-जुलती है।
शोध में यह भी पाया गया कि वल्लभी का स्थल समुद्र तट के निकट था, जिससे यह संभावना जताई गई कि यह एक बंदरगाह शहर हो सकता है। हालांकि इसकी पुष्टि करने के लिए विस्तृत पुरातत्व अध्ययन कराये जाने की आवश्यकता है।
शोधकर्ताओं ने कहा कि वल्लभी की संरचनाओं की जांच से इसके ऐतिहासिक महत्व को और स्पष्ट किया जा सकता है।
भाषा राखी सिम्मी माधव
माधव
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