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Thursday, 19 December, 2024
होमदेशUS-स्थित सॉफ्टवेयर उद्यमी अनंत यार्डी ने अपनी मातृ संस्था IIT दिल्ली को दान किए 1 करोड़ डॉलर

US-स्थित सॉफ्टवेयर उद्यमी अनंत यार्डी ने अपनी मातृ संस्था IIT दिल्ली को दान किए 1 करोड़ डॉलर

IIT दिल्ली के निदेशक रामगोपाल राव कह कहना है, कि ये दान पिछले वर्ष स्थापित AI स्कूल के लिए है. उन्होंने इसे एक ‘उदार उपहार’ बताया, जिससे बेहतर समाधान तैयार करने में सहायता मिलेगी.

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नई दिल्ली: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली को किसी छात्र की ओर से अपना एक सबसे बड़ा दान, क़रीब 75 करोड़ रुपए मिला है, जिसे अमेरिका स्थित यार्डी सिस्टम्स के प्रेज़िडेंट अनंत यार्डी ने भेजा है.

आईआईटी दिल्ली के डायरेक्टर रामगोपाल राव ने शुक्रवार को मीडिया को बताया, कि ये दान राशि आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस स्कूल के लिए है, जिसे आईआईटी दिल्ली ने पिछले साल स्थापित किया था. संस्थान की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ‘श्री यार्डी के उपहार से आईआईटी दिल्ली, अति आधुनिक लैबोरेटरीज़ तैयार कर सकेगा और प्रतिभावान छात्रों तथा शोधकर्ताओं को, अपने नव-स्थापित स्कूल ऑफ आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस की ओर आकर्षित कर सकेगा.

राव ने दान को एक ‘उदार उपहार’ बताया और कहा कि इससे प्रमुख संस्थान को ‘समाज, पर्यावरण और राष्ट्र के लिए, बेहतर समाधान तैयार करने में सहायता मिलेगी’.

1982 में स्थापित यार्डी सिस्टम्स एक ऐसी कंपनी है, जो रियल एस्टेट क्षेत्र के लिए सॉफ्टवेयर सॉल्यूशंस मुहैया कराती है.

आईआईटी दिल्ली पूर्व छात्रों और संस्थान के बीच संवाद पर बहुत ज़ोर देता है, और पिछले कुछ सालों में पूर्व छात्रों ने उदारता से योगदान दिया है. संस्थान के अधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2018-19 से 2020-21 के बीच छात्रों से दान के रूप में 109 करोड़ से अधिक प्राप्त हुए हैं. यार्डी का ताज़ा दान उस राशि के अतिरिक्त है.

राव ने मीडिया को ये भी बताया कि संस्थान ने ‘एंडाउमेंट मेरिट स्कॉलरशिप’ शुरू की है, जो 15 छात्रों और 15 छात्राओं को उस राशि से दी जाएगी, जो उसे पूर्व छात्रों के दान से हासिल हुई है. ये अपनी तरह का पहला पूर्व-छात्र वज़ीफा है, जो संस्थान ने पिछले साल शुरू किया था.


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महामारी के दौरान छात्रों की सहायता

राव और दूसरे फैकल्टी सदस्यों ने, जो आईआईटी दिल्ली के 52वें दीक्षांत समारोह की पूर्व संध्या पर मीडिया को संबोधित कर रहे थे, बताया कि किस तरह संस्थान ने कोविड-19 संकट के दौरान छात्रों की सहायता की.

डीन ऑफ स्टूडेंट्स अफेयर्स अरविंद कुमार नीमा ने कहा कि संस्थान ने ऐसे 10 छात्रों की पूरी फीस माफ कर दी, जिन्होंने महामारी के दौरान अपने पैरेंट्स को गंवा दिया था. उन्होंने ये भी कहा कि 400 छात्र, जिनके पास ऑनलाइन क्लासेज़ में शामिल होने के लिए संसाधन नहीं थे, उन्हें लैपटॉप्स और टैब्लेट्स दिए गए, और जिनके पास घर से क्लासेज़ में शामिल होने की सुविधा नहीं थी, उन्हें लॉकडाउन के दौरान कैंपस में रहने की अनुमति दे दी गई.

अधिकारियों ने कहा कि संस्थान को अपेक्षा है कि जनवरी 2022 तक वो फिर से खुलकर वैयक्तिक क्लासेज़ चलाने लगेगा. डायरेक्टर राव ने कहा, ‘नवंबर तक हमारे पहले वर्ष के छात्र, वैयक्तिक क्लासेज़ में आना शुरू कर देंगे और जनवरी 2022 तक हम अपेक्षा कर रहे हैं कि हम शिक्षण के सामान्य तरीक़े पर वापस आ जाएंगे, जिसके लिए ज़ाहिर है कि तमाम सावधानियां बरतीं जाएंगी’.

उन्होंने आगे कहा कि कोविड-19 के लिए निगेटिव टेस्ट आने के बाद छात्रों को कैंपस में आने की अनुमति दी जाएगी- लेकिन रिपोर्ट 48 घंटे से ज़्यादा पुरानी नहीं होनी चाहिए. संस्थान सभी छात्रों और फैकल्टी सदस्यों के दोहरे टीकाकरण पर भी ज़ोर दे रहा है और छात्रों के लिए परिसर में ही टीकाकरण का बंदोबस्त किया गया है.

दिप्रिंट ने पहले ख़बर दी थी कि किस तरह कालेज, छात्रों के वैयक्तिक क्लासेज़ में लौटने से पहले उन्हें टीका लगवाने के लिए ठेल रहे हैं. आईआईटी दिल्ली के एक अधिकारी ने उस समय कहा था कि अगर छात्र अभी तक टीका नहीं लगवा पाए हैं, तो संस्थान टीके की पहली और दूसरी ख़ुराक लगवाने में छात्रों की सहायता करेगा.

(इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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