मुंबई: कांग्रेस समर्थित संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के तहत पहली बार प्रस्तावित किए गए गोवा के मोपा अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा के दो दशक से अधिक समय तक किए गए इंतजार और कई राजनीतिक उतार-चढ़ाव झेलने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आखिरकार रविवार को इसका उद्घाटन करेंगे.
राज्य की राजधानी पणजी से 33 किलोमीटर दूर उत्तरी गोवा के पेरनेम तालुका में स्थित, मोपा हवाई अड्डे का आधिकारिक तौर पर परिचालन अगले साल पांच जनवरी से शुरू होगा. दक्षिण गोवा स्थित पुराना डाबोलिम हवाई अड्डा भी काम करता रहेगा. इंडिगो और गो फर्स्ट जैसी एयरलाइंस कंपनी ने पहले ही मोपा से अपनी फ्लाइट शेडूयल करने की घोषणा कर दी है और ओमान एयर ने यह भी एलान किया है कि उसकी उड़ानें केवल इस नए हवाई अड्डे से ही संचालित होगी.
हालांकि, बहुत समय तक विलंबित रही 2,870 करोड़ रुपये की लागत वाली यह परियोजना कई उतार-चढ़ाव से गुज़री है. कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार ने केंद्रीय सत्ता में अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान इसका समर्थन किया था, लेकिन गोवा कांग्रेस ने इस पर आपत्ति जताते हुए दावा किया था कि राज्य को दो हवाई अड्डों की आवश्यकता नहीं है.
इसके अलावा, इस परियोजना को भूमि अधिग्रहण से जुड़ी बाधाओं का भी सामना करना पड़ा था और 3,702 वर्ग किमी के आकार वाले इस राज्य में उत्तर-दक्षिण (गोवा) की दरार भी पैदा हुई थी. बाद वाला विवाद काफी हद तक इस वजह से है क्योंकि दक्षिण गोवा के होटल और टैक्सी मालिक इस बात से चिंतित हैं कि इस नए हवाई अड्डे से राज्य के उनके हिस्से में आने वाले पर्यटकों की भीड़ कम हो जाएगी.
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क्यों प्रस्तावित किया गया था मोपा एयरपोर्ट
मोपा हवाई अड्डा परियोजना पहली बार 1997 में इस वजह से प्रस्तावित की गई थी क्योंकि डाबोलिम हवाई अड्डा, जो नौसेना के बेस के रूप में भी दोहरी भूमिका निभाता है, पूरी तरह से संतृप्त हो सकता है.
डाबोलिम हवाई अड्डे के इस्तेमाल के समय पर भी कुछ प्रतिबंध लगे थे क्योंकि यह नौसेना की सेवा में भी कार्यरत है. इसे सालाना 40 लाख यात्रियों की जरूरतों की पूर्ति के लिए ही बनाया गया था. हालांकि, यह प्रति वर्ष 75 लाख यात्रियों की सेवा कर रहा है और वर्तमान में इसकी क्षमता को बढ़ाकर 1 करोड़ 30 लाख प्रति वर्ष करने के वास्ते विस्तारित करने की परियोजना पर काम चल रहा है.
दिप्रिंट द्वारा देखे गए इस हवाई अड्डे मास्टरप्लान के अनुसार, मोपा में बनाया गया ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट 2,093 एकड़ में फैला हुआ है और इसे चार चरणों में बनाने का प्रस्ताव है. पहले चरण में प्रति वर्ष 44 लाख यात्रियों के यातायात संबंधित आवश्यकताओं की पूर्ति होगी और चौथे चरण के पूरा होने के साथ इसमें सालाना 1 करोड़ 31 लाख यात्रियों की सेवा करने की क्षमता होगी.
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राजनीति और विरोध प्रदर्शनों ने परियोजना को रोका
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने औपचारिक रूप से साल 2000 में मोपा हवाई अड्डे को मंजूरी दे दी थी, लेकिन इसके साथ जुड़ी एक शर्त यह थी कि डाबोलिम स्थित मौजूदा हवाई अड्डे को बंद कर दिया जाएगा. मगर, दक्षिण गोवा के पर्यटन उद्योग के सदस्यों ने इसका जबरदस्त विरोध किया और फिर यह परियोजना ठंडे बस्ते में चली गई.
आखिरकार, 2010 में संप्रग सरकार ने मोपा हवाईअड्डा परियोजना को मंजूरी दे दी और साथ ही घोषणा की कि डाबोलिम हवाई अड्डा भी चालू रहेगा.
इसके बावजूद, मोपा के किसानों द्वारा भूमि अधिग्रहण अभियान के शुरुआती विरोध के कारण यह परियोजना तुरंत शुरू नहीं हो सकी.
इस बीच, प्रस्तावित मोपा हवाईअड्डे को लेकर गोवा कांग्रेस के भीतर के मतभेद साल 2013 में सामने आने लगे. गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री चर्चिल अलेमाओ, जो उस समय कांग्रेस के साथ थे, खुले तौर पर इस दूसरे हवाई अड्डे की आलोचना करते हुए अपनी पार्टी के खिलाफ चले गए थे और उनका कहना था कि इससे केवल पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र को ही फायदा होगा और इसकी वजह से डाबोलिम हवाई अड्डे को बंद किया जा सकता है.
फिर साल 2014 में, जब राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार थी, गोवा कांग्रेस ने यह कहते हुए आधिकारिक तौर पर मोपा हवाई अड्डे की परियोजना से हाथ खींच लिए थे कि डाबोलिम स्थित मौजूदा हवाई अड्डा अगले 70-80 वर्षों के लिए पर्याप्त होगा और नए हवाईअड्डा वाली परियोजना को ठंडे बस्ते में ही रखा जाए.
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परियोजना ने देर से भरी उड़ान
यह 2016 में हुआ जब गोवा सरकार ने निविदा प्रक्रिया के बाद सार्वजनिक-निजी भागीदारी वाले मॉडल पर मोपा हवाई अड्डे के निर्माण के लिए जीएमआर समूह को चुना. पीएम मोदी ने नवंबर 2016 में हवाई अड्डे के लिए आधारशिला रखी, लेकिन अगले छह साल भी इसका काम कोई सुचारू ढंग से नहीं चला.
जीएमआर समूह के साथ हस्ताक्षरित कन्सेशन एग्रीमेंट के अनुसार, इस हवाई अड्डे को सितंबर 2020 तक चालू किया जाना था, लेकिन अभी इसकी राह में एक और बाधा थी.
जनवरी 2019 में, सुप्रीम कोर्ट ने गोवा के पर्यावरण कार्यकर्ताओं द्वारा दायर दो अपीलों, जिनमें इस परियोजना के लिए मिली नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की मंजूरी को चुनौती दी गई थी, पर सुनवाई करते हुए इस हवाई अड्डे के निर्माण को रोक दिया.
शीर्ष अदालत ने केवल एक साल बाद, जनवरी 2020 में इस रोक को हटा लिया था, मगर उसके बाद कोविड-19 महामारी ने काम को काफी धीमा कर दिया.
अब, जब मोदी हवाईअड्डे का उद्घाटन करने जा रहे हैं और कई एयरलाइंस ने अपनी उड़ान कार्यक्रम की घोषणा कर दी है, यह परियोजना आधिकारिक तौर पर ज़मीन से उड़ान भर चुकी है, लेकिन इसके मुखर विरोधक अभी भी बने हुए हैं.
गोवा स्मॉल एंड मीडियम होटल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सेराफिनो कोटा ने दिप्रिंट को बताया कि मोपा हवाईअड्डे की वजह से दक्षिण गोवा के होटल बड़े पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों को खो देंगे.
कोटा ने कहा, ‘अंतर्राष्ट्रीय चार्टर पर्यटन की मांग है कि होटल हवाई अड्डे से 45 मिनट की दूरी पर होना चाहिए. मोपा में उतरने वाले चार्टर प्लेन दक्षिण गोवा के होटलों के साथ समझौता नहीं करना चाहेंगे क्योंकि नए हवाई अड्डे से दक्षिण गोवा तक जाने में तीन घंटे लगेंगे.’
हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि विरोध करने के लिए अब बहुत देर हो चुकी है. उन्होंने कहा, ‘हम अब सरकार के खिलाफ अपनी लड़ाई हार चुके हैं. हमें बस अब अपनी स्थिति बदलनी है और घरेलू पर्यटकों पर अधिक ध्यान केंद्रित करना है जो एक फैमिली-ओरिएंटेड डेस्टिनेशन की तलाश कर रहे हैं.’
(अनुवाद: रामलाल खन्ना | संपादन: फाल्गुनी शर्मा)
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