लखनऊ, 21 अप्रैल (भाषा) समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा उत्तर प्रदेश पुलिस में जाति आधारित तैनाती का आरोप लगाने के एक दिन बाद, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) प्रशांत कुमार ने सोमवार को पूर्व मुख्यमंत्री के दावों को खारिज करते हुए उन्हें ‘पूरी तरह से झूठा और भ्रामक’ करार दिया।
लखनऊ से जारी बयान में डीजीपी कुमार ने कहा,” जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को ऐसी भ्रामक टिप्पणियों से बचना चाहिये।”
उन्होंने कहा,” सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही ऐसी सूचनाएं निराधार हैं और इनका खंडन करने के लिए संबंधित जिलों की पुलिस पहले ही आंकड़े जारी कर चुकी है।’’
डीजीपी कुमार ने स्पष्ट किया, “यदि भविष्य में ऐसी कोई गलत सूचना फैलाई जाती है, तो हम उसकी सच्चाई सामने लाएंगे। जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों को ऐसी टिप्पणियां करने से बचना चाहिए।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि पुलिसकर्मियों की तैनाती प्रदेश के सभी जिलों में निर्धारित मानकों के अनुरूप की गई हैं।
अखिलेश यादव के दावों के जवाब में आगरा पुलिस कमिश्नरेट ने आंकड़े जारी कर बताया कि उनके यहां 39 प्रतिशत ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग ) और 18 फीसदी एससी (अनुसूचित जाति ) वर्ग के पुलिसकर्मी तैनात हैं, जबकि ओबीसी के लिए मानक केवल 27 प्रतिशत है।
इसी तरह मैनपुरी पुलिस ने भी बताया है कि उनके जिले में 31 फीसदी ओबीसी और 19 प्रतिशत एससी वर्ग के पुलिसकर्मी कार्यरत हैं।
वहीं, चित्रकूट पुलिस ने बताया कि उनके 12 थानों में से तीन में ओबीसी, दो में एससी/एसटी और सात में अन्य वर्ग के थानाध्यक्ष तैनात हैं।
ऐसे ही प्रयागराज पुलिस ने भी अखिलेश यादव के पोस्ट पर जवाब देते हुए उसे असत्य बताया है।
प्रयागराज पुलिस की ओर से बताया गया कि थाना प्रभारी की नियुक्ति के लिए कर्तव्यनिष्ठा, सत्यनिष्ठा, सामाजिक सद्भाव व जन शिकायतों के प्रति संवेदनशीलता के आधार पर योग्य कर्मचारियों का चयन किया जाता है।
प्रयागराज में तैनात लगभग 40 प्रतिशत थाना प्रभारी ओबीसी और एससी/एसटी वर्ग से हैं। इन पदों पर नियुक्ति एक निष्पक्ष प्रक्रिया द्वारा की जाती है।
डीजीपी ने कहा कि उप्र पुलिस का कर्तव्य है कि गलत सूचनाओं का खंडन कर सच्चाई जनता के सामने लाई जाए।
उन्होंने सभी से अपील की कि भ्रामक जानकारी फैलाने से बचें और पुलिस व्यवस्था पर अनावश्यक सवाल न उठाएं।
यह विवाद तब शुरू हुआ जब अखिलेश यादव ने पुलिस में तैनाती में जातिगत भेदभाव का आरोप लगाया था, जिसके जवाब में उप्र पुलिस ने तथ्यों के साथ उनकी गलतबयानी को उजागर किया।
हालांकि, यादव ने सोमवार को सोशल मीडिया पर प्रयागराज पुलिस के कुछ आंकड़े साझा किए और अपने दावों पर जोर दिया।
उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ’90 प्रतिशत पीडीए का प्रयागराज पुलिस में केवल 25 प्रतिशत प्रतिनिधित्व है। यह पीडीए के साथ ‘आनुपातिक अन्याय’ है।’
सपा प्रमुख रविवार को प्रयागराज में पत्रकारों से कहा था “आगरा में, पुलिस थानों में कुल 48 एसएचओ (थानेदार) तैनात हैं जिनमें पीडीए (पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक) 15 हैं बाकी सब ‘सिंह भाई लोग’ (ठाकुर समुदाय के लोग) हैं। वहीं, मैनपुरी में कुल 15 थानाध्यक्षों में पीडीए तीन और ‘सिंह भाई लोग’ 10 हैं। इसी तरह, चित्रकूट में कुल 10 थानेदारों में पीडीए के दो और ‘सिंह भाई लोग’ पांच हैं। महोबा में 11 (थानाध्यक्षों) में, पीडीए के तीन और ‘सिंह भाई लोग’ छह हैं।”
भाषा जफर पारुल नोमान
नोमान
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