नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उन्नाव बलात्कार पीड़िता की याचिका को उत्तर प्रदेश से दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग को अनुमति दे दी है.
उन्नाव पीड़िता ने उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में अदालत में लंबित एक मामले को दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग की है. मामले में एक आरोपी शुभम सिंह के पिता ने यह मामला दर्ज कराया है और आरोप लगाया है कि पीड़िता द्वारा पुलिस को दिए गए उम्र के दस्तावेज जाली थे.
सुप्रीम कोर्ट में दायर ट्रांसफर याचिका में आरोप लगाया गया है कि यौन उत्पीड़न मामले से बचने के मकसद से उन्नाव की अदालत में पीड़िता के खिलाफ ‘जवाबी न्यायिक कार्यवाही’ शुरू की गई है.
याचिका के मुताबिक, पीड़िता के खिलाफ उन्नाव की एसीजेएम कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया था.
उन्नाव पीड़िता की तरफ से एडवोकेट वृंदा ग्रोवर और सौतिक बनर्जी कोर्ट के सामने हाजिर हुए.
1 अगस्त 2019 को, सुप्रीम कोर्ट ने मामले को उत्तर प्रदेश की एक ट्रायल कोर्ट से दिल्ली ट्रांसफर किया गया. दिसंबर 2019 में, सेंगर को 2017 में उन्नाव में महिला से बलात्कार के लिए एक अलग मामले में दोषी ठहराया गया और उम्रकैद की सजा सुनाई गई. उस समय वो नाबालिग थी.
इससे पहले दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को 2019 में उन्नाव रेप पीड़िता के एक्सीडेंट मामले में बरी कर दिया था.
क्या है मामला
दिल्ली की एक अदालत ने दिसंबर 2019 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को 2017 में उत्तर प्रदेश के उन्नाव में पीड़िता को अगवा कर उसके साथ दुष्कर्म करने के जुर्म में ताउम्र जेल में रहने की सजा सुनाई थी. वारदात के समय पीड़िता नाबालिग थी. अदालत ने सेंगर पर 25 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था.
दोषसिद्धि और उम्रकैद की सजा के खिलाफ सेंगर की अपील दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित है. हाई कोर्ट ने हाल ही में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से इस पर जवाब मांगा था.
निचली अदालत ने सेंगर को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया था, जिसमें धारा-376(2) भी शामिल है. यह धारा एक लोक सेवक से निपटने के सबंध में है, जो ‘अपनी आधिकारिक स्थिति का लाभ उठाता है और अपनी या अपने अधीनस्थ लोक सेवक की देखरेख में मौजूद एक महिला के साथ बलात्कार करता है.’
पांच अगस्त 2019 को दुष्कर्म मामले में शुरू हुई सुनवाई को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर उन्नाव से दिल्ली से स्थानांतरित करते हुए इस पर दैनिक आधार पर सुनवाई की की गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने तब भारत के तत्कालीन चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को दुष्कर्म पीड़िता द्वारा लिखे गए पत्र का संज्ञान लिया था.
एक अगस्त 2019 को अदालत ने उन्नाव दुष्कर्म कांड में दर्ज सभी पांच मामलों को लखनऊ की एक अदालत से दिल्ली की अदालत में स्थानांतरित कर दिया था. उसने पांचों मुकदमों की दैनिक सुनवाई करने और 45 दिनों के भीतर बहस पूरी करने का निर्देश भी जारी किया था.
यह भी पढ़ें: भारतीय नौसेना को मिलेगा नया निशान, PM Modi ने कहा- औपनिवेशिक इतिहास की छाप खत्म करेंगे