नयी दिल्ली, सात मार्च (भाषा) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से बात की तथा युद्धग्रस्त देश के सूमी शहर में फंसे भारतीय छात्रों की सुरक्षित एवं त्वरित निकासी पर उनसे मदद मांगी। इसके साथ ही उन्होंने हिंसा को तत्काल समाप्त करने के अपने आह्वान को दोहराया।
यह उल्लेख करते हुए कि भारत हमेशा मुद्दों के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करता रहा है, मोदी ने पुतिन और जेलेंस्की के साथ अपनी अलग-अलग बातचीत के दौरान उनके बीच सीधी बातचीत का सुझाव दिया और कहा कि यह शांति के प्रयासों में ‘बहुत मदद’ कर सकता है।
इस बीच, एक अधिकारी ने कहा, ”ऑपरेशन गंगा के तहत अब तक 83 उड़ानों के जरिए 17,100 भारतीयों को स्वदेश वापस लाया गया है।” उन्होंने कहा कि अगले 24 घंटों में तीन और उड़ानों का संचालन किया जाना है।
पिछले कुछ दिनों में, भारत विशेष रूप से सूमी से लगभग 700 भारतीय छात्रों को निकालने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है और इस क्षेत्र से उनकी सुरक्षित निकासी के लिए क्षेत्र में तत्काल संघर्षविराम के वास्ते कई माध्यमों से रूस और यूक्रेन दोनों देशों की सरकारों पर दबाव डाला है।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पुतिन के साथ 50 मिनट तक फोन पर हुई बातचीत के दौरान मोदी ने सूमी से भारतीय नागरिकों को जल्द से जल्द सुरक्षित निकालने के महत्व पर जोर दिया और रूसी राष्ट्रपति ने इस कार्य में हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया।
इस बीच, यूक्रेन की राजधानी कीव में कुछ दिन पहले गोली लगने से घायल हुए भारतीय छात्र हरजोत सिंह को लेकर भारतीय वायुसेना का एक विमान सोमवार शाम यहां हिंडन एअरबेस पर उतरा। इस छात्र को तुरंत हवाईअड्डे से एक एंबुलेंस की मदद से सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल स्थानांतरित कर दिया गया।
नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री वी के सिंह ने कहा कि 205 भारतीय छात्र उस विमान से भारत लौटे जो पोलैंड के रेज़ज़ो से सुबह 10.30 बजे रवाना हुआ और शाम सवा छह बजे यहां उतरा।
भारतीय छात्रों की वापसी में मदद के लिए वी के सिंह पोलैंड में थे।
सिंह ने संवाददाताओं से कहा, “यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने हरजोत को भेजा है और उसकी हालत स्थिर है। उसे सेना अस्पताल (रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल) भेजा गया है क्योंकि गोली लगने से आए घावों का उपचार करने में सेना से बेहतर कोई नहीं है।”
हरजोत सिंह (31) कीव से निकलने की कोशिश के तहत 27 फरवरी को अपने दो दोस्तों के साथ पश्चिमी लवीव शहर के लिए एक कैब (टैक्सी) में सवार हुआ था। इस दौरान उसे चार गोलियां लगी थीं।
इस बीच, 700 भारतीय छात्र ठंडे मौसम में अपने छात्रावासों के नीरस और सुनसान तहखाने में फंसे हैं जहां उन्हें भोजन-पानी या बिजली की आपूर्ति के बिना रहना पड़ रहा है क्योंकि एटीएम में पैसा नहीं है और दुकानों पर कार्ड स्वीकार नहीं किए जा रहे।
यूक्रेन के पूर्वोत्तर शहर में फंसे एक भारतीय मेडिकल छात्र ने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘10 दिन हो गए हैं (तब से) हम यहां इंतजार कर रहे हैं, लेकिन उम्मीद की कोई किरण नहीं है कि हमें कब निकाला जाएगा।’’
सूमी स्टेट यूनिवर्सिटी के छात्र ने कहा, ‘‘हम भोजन और आवश्यक सामान भी नहीं खरीद पा रहे हैं।’’
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने कहा कि यूक्रेन के पड़ोसी देशों से सात उड़ानों में सोमवार को कुल 1,314 भारतीयों को एयरलिफ्ट किया गया।
इसने एक बयान में कहा कि 400 से अधिक भारतीयों को वापस लाने के लिए कल दो विशेष उड़ान सुसेवा, रोमानिया से संचालित होने की उम्मीद है।
मोदी और पुतिन के बीच हुई वार्ता के बारे में रूस की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि रूसी राष्ट्रपति ने भारतीय नेता को बिगड़ती मानवीय स्थिति के बीच आज संघर्षविराम करने और मानवीय गलियारे खोलने के अपने सशस्त्र बलों के निर्णय से अवगत कराया।
इसमें कहा गया कि रूसी सेना सूमी से भारतीय नागरिकों की निकासी सुनिश्चित करने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है और मोदी ने संघर्ष क्षेत्र से लोगों को बाहर निकालने के लिए किए गए उपायों पर रूसी पक्ष का आभार व्यक्त किया।
प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी ने सूमी में रह रहे भारतीय छात्रों की सुरक्षा को लेकर अपनी गहरी चिंता व्यक्त की। राष्ट्रपति पुतिन ने प्रधानमंत्री को भारतीय छात्रों सहित नागरिकों को निकालने की सुविधा के लिए मानवीय गलियारों से संबंधित चल रहे उपायों के बारे में जानकारी दी।’’
रूस और यूक्रेन के बीच चल रही वार्ता का स्वागत करते हुए प्रधानमंत्री ने आशा व्यक्त की कि वे संघर्ष को समाप्त करेंगे।
पीएमओ ने कहा, ‘‘उन्होंने (मोदी) सुझाव दिया कि जारी शांति प्रयासों में राष्ट्रपति पुतिन और राष्ट्रपति जेलेंस्की के बीच सीधी बातचीत से बहुत मदद मिल सकती है।’’
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मोदी ने पहले करीब 35 मिनट तक जेंलेंस्की से बात की और इस दौरान उन्होंने वहां फंसे भारतीयों को निकालने के लिए यूक्रेन के राष्ट्रपति से ‘समर्थन’ मांगा।
पीएमओ ने कहा कि प्रधानमंत्री ने यूक्रेन में अब भी फंसे भारतीय छात्रों की सुरक्षा पर चिंता जताई और उनकी जल्द तथा सुरक्षित निकासी की आवश्यकता पर जोर दिया।
इसने एक बयान में कहा कि वार्ता के दौरान जेलेंस्की ने मोदी को युद्ध की स्थिति और यूक्रेन तथा रूस के बीच जारी बातचीत के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
पीएमओ के मुताबिक, प्रधानमंत्री ने तत्काल हिंसा समाप्त करने के अपने आह्वान को दोहराया और इस बात को रेखांकित किया कि भारत हमेशा ही दोनों पक्षों के बीच सीधी वार्ता और मुद्दों के शांतिपूर्ण समाधान का पक्षधर रहा है।
इसने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने यूक्रेन से 20,000 से अधिक भारतीय नागरिकों को निकालने में सुविधा प्रदान करने के लिए यूक्रेनी अधिकारियों को धन्यवाद दिया।’’
पीएमओ ने कहा कि प्रधानमंत्री ने यूक्रेन में जारी युद्ध और इसके परिणामस्वरूप पैदा हुए मानवीय संकट पर चिंता जताई।
इस बीच, जेलेंस्की ने कहा कि उन्होंने अपने देश के खिलाफ ‘रूस के हमलों’ का जवाब देने की जरूरत के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सूचित किया है।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘रूस के हमलों का यूक्रेन के जवाब देने की जरूरत के बारे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सूचित किया। भारत युद्ध के दौरान अपने नागरिकों की सहायता और उच्चतम स्तर पर सीधी शांतिपूर्ण वार्ता की यूक्रेन की प्रतिबद्धता की सराहना करता है।’’
जेंलेंस्की ने कहा, ‘‘यूक्रेन के लोगों का समर्थन करने के लिए आभारी हूं।’’
पुतिन और जेलेंस्की के साथ मोदी की वार्ता उस दिन हुई जब रूसी अधिकारियों ने कहा कि वे संघर्षविराम शुरू करेंगे और कीव, खारकीव तथा सूमी सहित यूक्रेन के प्रमुख शहरों में ‘मानवीय गलियारे’ खोलेंगे।
मोदी-पुतिन वार्ता पर पीएमओ के बयान में कहा गया कि दोनों नेताओं ने यूक्रेन में उभरती स्थिति पर चर्चा की और पुतिन ने मोदी को यूक्रेन तथा रूसी प्रतिनिधिमंडलों के बीच वार्ता की स्थिति से अवगत कराया।
रूस के बयान के अनुसार, पुतिन ने रेखांकित किया कि ‘खारकोव (खारकीव) में कट्टरपंथियों द्वारा बंधक बनाए गए भारतीय छात्र कीव के अधिकारियों पर भारी अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद ही शहर छोड़ने में कामयाब हो पाए।’
पिछले हफ्ते रूसी राष्ट्रपति ने दावा किया था कि खारकीव में बड़ी संख्या में भारतीय नागरिकों को बंधक बना लिया गया है, लेकिन भारत ने इस दावे को खारिज किया था।
रूस सरकार के बयान में कहा गया, ‘‘मोदी ने संघर्ष के जल्द से जल्द समाधान में हरसंभव मदद देने के लिए तैयार होने का संकेत दिया।’’
पिछले कुछ दिनों में, भारत सूमी से अपने छात्रों को निकालने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है जहां भारी गोलाबारी हुई है।
शनिवार की सुबह, भारतीय छात्रों ने एक वीडियो पोस्ट करते हुए कहा कि उन्होंने सूमी से रूस की सीमा के लिए रवाना होने का फैसला किया है और अगर उन्हें कुछ भी होता है तो भारत सरकार तथा यूक्रेन में भारतीय दूतावास जिम्मेदार होगा।
वीडियो के बाद, यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने उनसे अपने जीवन को खतरे में नहीं डालने का अनुरोध किया और कहा कि वह उन्हें सुरक्षित निकालने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगा।
यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने रविवार को कहा कि सूमी में फंसे भारतीय छात्रों को पोल्तावा के माध्यम से पश्चिमी सीमाओं पर ले जाने के लिए भारतीय मिशन की एक टीम पोल्तावा शहर में तैनात की गई है।
हालाँकि, भारत की छात्र बिरादरी तब एक बार फिर निराश हुई जब घोषणा के अनुरूप संघर्षविराम नहीं और शत्रुता बढ़ गई।
सूमी में फंसे एक अन्य भारतीय छात्र आशिक हुसैन सरकार ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘हमारी इच्छा शक्ति कम हो रही है। हम निराश महसूस कर रहे हैं। हम अभी भी एक अपडेट की प्रतीक्षा कर रहे हैं।’’
चौथे वर्ष के मेडिकल छात्र अजीत गंगाधरन ने कहा, ‘‘हम पैदल जाने के लिए लगभग तैयार थे। सरकार ने हमें रुकने और कोई जोखिम न लेने के लिए कहा, इसलिए हम रुके रहे। लेकिन कब तक?’’
भाषा शफीक रंजन
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