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Monday, 23 December, 2024
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यूके के वैज्ञानिकों ने बच्चों में ढूंढ़ी कोविड से जुड़ी एक नई बीमारी, इम्यूनिटी को करती है प्रभावित

पीडियाट्रिक इनफ्लेमेटरी मल्टी-सिस्टम सिंड्रोम (पीआईएमएस-टीएस) कही जाने वाली ये नई बीमारी, कोविड-प्रभावित बच्चों में देखी गई है.

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नई दिल्ली: यूके में कुछ रिसर्चर्स दावा कर रहे हैं कि उन्होंने बच्चों में कोविड-19 से जुड़ी एक नई बीमारी का पता लगाया है, जो उनकी रोग प्रतिरोधक शक्ति पर ‘गहरा’ असर डालती है. लेखकों के अनुसार कावासाकी रोग जैसी दिखने वाली ये नई बीमारी बच्चों में एक दुर्लभ इनफ्लेमेटरी कंडीशन है, जिसमें महामारी फैलने के बाद से ज़बर्दस्त उछाल आया है, लेकिन ये बिल्कुल अलग तरह की बीमारी है.

पीडियाट्रिक इनफ्लेमेटरी मल्टी-सिस्टम सिंड्रोम (पीआईएमएस-टीएस) और मल्टीसिस्टम इनफ्लेमेटरी सिंड्रोम इन चिल्ड्रन (एमआईएस-सी), नाम की ये नई बीमारी कोविड प्रभावित बच्चों में देखी गई है. इस बीमारी में कई अंग काम करना बंद कर देते हैं. शरीर के अंदर सूजन पैदा हो जाती है और दिल को भी नुक़सान पहुंच सकता है.

इस नई स्टडी की अगुवाई किंग्स कॉलेज लंदन और एवलीना लंदन चिल्ड्रंस हॉस्पिटल ने की, और इसे मंगलवार को नेचर मेडिसिन में प्रकाशित किया गया.

शोधकर्ताओं के मुताबिक़, ये बीमारी इम्यून सिस्टम के काम करने के तरीक़े को बदल देती है.

स्टडी में कहा गया है कि एमआईएस-सी की तीव्र अवस्था में बच्चों में साइटोकीन्स नाम के मॉलीक्यूल्स बढ़े हुए देखे गए, जबकि लिम्फोसाइट्स कहे जाने वाले, सफेद ब्लड सेल्स कम पाए गए. लेकिन, इसमें आगे कहा गया कि जब तक बच्चे ठीक होते हैं, उनका इम्यून सिस्टम फिर से सामान्य हो जाता है.

ये निष्कर्ष बहुत अहम हैं क्योंकि इनसे बच्चों में कोविड-19 के प्रति, मेडिकल रेस्पॉन्स में सहायता मिल सकती है.

इस स्टडी में 25 बच्चों को लिया गया, जिनकी मध्य आयु 12.5 साल थी और जो पहले ही गंभीर कोविड-19 से ठीक हो चुके थे. बच्चों की पेट की आंतों और कोरोनरी धमनी में जो दिल की मांसपेशी को ख़ून पहुंचाने वाली नस होती है समस्याएं देखीं गईं.

दूसरे फैक्टर्स के अलावा, शोधकर्ताओं ने अपने छोटे से जत्थे का हवाला देते हुए इस क्षेत्र में आगे की शोध का आह्वान किया है.

एक नई बीमारी

पीआईएमएस-टीएस एक नई बीमारी है, जो कोविड-19 के विकसित होने और फैलने के बाद ही देखी गई है.

पीआईएमएस-टीएस पर इस मई में जारी निर्देश दस्तावेज़ों में यूके में बाल रोग विशेषज्ञों का प्रतिनिधित्व करने वाली एक पेशेवर इकाई, रॉयल कॉलेज ऑफ पीडियाट्रिक्स एंड चाइल्ड हेल्थ ने कहा कि हालांकि कोविड-19 से प्रभावित बच्चे ग़ैर-लक्षण या हल्के लक्षण वाले होते हैं, लेकिन उनमें बहुतों के अंदर काफी सूजन हो जाती है.


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सूजन शरीर की एक प्रतिक्रिया होती है, जो किसी आघात या इनफेक्शन से, टिश्यू के घायल होने पर होती है. निर्देश दस्तावेज़ में कहा गया कि ऐसे बच्चों को पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर में रखना पड़ सकता है और अन्य के अलावा उन्हें ह्रदय और गठिया रोग विशेषज्ञों की ज़रूरत पड़ सकती है.

रिसर्चर्स के अनुसार, पीआईएमएस-टीएस के शुरूआती मामलों का अप्रैल 2020 के मध्य में एवलीना अस्पताल में इलाज किया गया था.

यूके के गाइज़ एंड सेंट थॉमस हॉस्पिटल्स में, इंटेंसिव केयर मेडिसिन के कंसल्टेंट डॉ मनु शंकर हरि ने जो किंग्स कॉलेज लंदन के साथ भी जुड़े हैं कहा कि रिसर्च की वजह से ‘वो इस नई बीमारी के गंभीर हालत के बच्चों में इम्यून सिस्टम में होने वाले गहन बदलावों को पहली बार बयान कर पाए.’

उन्होंने आगे कहा, ‘ये इम्यून परिवर्तन बहुत जटिल होते हैं. इसमें जन्मजात इम्यून सेल्स सक्रिय हो जाते हैं. जिन्हें अन्यथा तेज़ प्रतिक्रिया के लिए जाना जाता है. लिम्फोसाइट्स नाम के विशेष सफेद सेल जो विशिष्ट सुरक्षात्मक प्रतिरक्षा में शामिल होते हैं, कम हो जाते हैं लेकिन सक्रियता के साथ संक्रमण से लड़ते दिखाई पड़ते हैं.’

पीआईएमएस-टीएस और कावासाकी बीमारी में अंतर समझाते हुए शोधकर्ताओं ने कहा कि पीआईएमएस-टीएस बड़ी उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है, जबकि कावासाकी में ‘सबसे ज़्यादा मामले 1 से 3 साल की उम्र में होते हैं.’ उन्होंने ये भी कहा कि इनके इम्यूनॉलॉजिकल मार्कर्स भी अलग होते हैं.

डॉ शंकर हरि ने कहा, ‘क्लीनिकल रूप से इन बच्चों पर ऐसे इलाज का असर होता है, जो इनके इम्यून सिस्टम को शांत करते हैं, जैसे कॉर्टीकॉस्टेरॉयड और इम्यूनोग्लोबुलिन्स. हालांकि इनमें कावासाकी बीमारी जैसी मौजूदा कंडीशंस के साथ समानताएं हैं, लेकिन ये क्लीनिकल और इम्यूनॉलॉजिकल परिवर्तन जो हम देखते हैं, इनका मतलब है कि पीआईएमएस-टीएस एक अलग बीमारी है, जिसका ताल्लुक़ सार्स-सीओवी-2 इनफेक्शंस से है.’

अपनी स्टडी में रिसर्चर्स ने लिखा, ‘इम्यूनॉलजी के हिसाब से एमआईएस-सी कावासाकी बीमारी से अलग प्रतीत होती है, क्योंकि हमें न्यूट्रोफीलिया और मोनोसाइट्स का बढ़ा हुआ स्तर नहीं दिखा जोकि कावासाकी बीमारी की विशेषताएं हैं.’

न्यूट्रोफिल्स और मोनोसाइट्स दोनों व्हाइट ब्लड सेल्स होते हैं जो इम्यूनिटी में एक अहम भूमिका निभाते हैं.

भारत में कुछ ख़बरें

भारत में डॉक्टरों ने दिप्रिंट से कहा, कि उन्होंने भी देश में पीआईएमएस-टीएस दर्ज होते हुए देखे हैं.

एम्स में पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटरॉलजी हेपाटॉलजी और न्यूट्रीशन के पूर्व प्रोफेसर डॉ एनके अरोड़ा ने कहा ‘हां, (पीआईएमएस-टीएस के) कुछ मामले हैं. मेरे ख़याल में वो अभी छपे नहीं हैं लेकिन दूसरे डॉक्टरों के साथ निजी बातचीत में, हम इस बारे में सुन रहे हैं.’

आमतौर से, ये लक्षण तब ज़ाहिर होते हैं, जब बच्चे का टेस्ट नेगेटिव आ चुका होता है. शुरू में लोगों को लगा कि ये कावासाकी बीमारी है, लेकिन फिर उन्हें पता चला, कि ये बिल्कुल वही नहीं थी.’

ये पूछे जाने पर कि क्या इन लक्षणों को पलटाया जा सकता है, उन्होंने कहा, ‘कोविड बहुत नई बीमारी है. इसलिए फिलहाल ये एक काल्पनिक सवाल है.’

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें )

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