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Thursday, 25 April, 2024
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टीचर्स की नियुक्तियों और PhDs की डिग्री देने की मॉनीटरिंग के लिए UGC बनाएगी एकेडमिक्स की कमेटी

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने पाया है कि नियुक्ति मानदंडों का उल्लंघन किया जा रहा है और नियामक निकायों को शिकायतें मिल रही हैं. उल्लंघन के मामले में समिति कार्रवाई की सिफारिश करेगी.

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नई दिल्ली: विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने नियमों के उल्लंघन की जांच के लिए एक समिति गठित करने का फैसला किया है जो समय-समय पर फैकल्टी नियुक्तियों और उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआई) में पीएचडी प्रदान करने का आकलन करेगी.

यूजीसी के चेयरपर्सन एम. जगदीश कुमार ने बुधवार को फोन पर दिप्रिंट को बताया कि शीर्ष शिक्षाविदों वाली समिति ‘नियमित अंतराल पर बैठक करेगी, कुछ संस्थानों का चयन करेगी, फैकल्टी नियुक्तियों और पीएचडी डिग्री प्रदान करने के बारे में जानकारी एकत्र करेगी.’

उन्होंने कहा कि समिति यह पता लगाने के लिए दस्तावेजों की जांच करेगी कि प्रक्रिया यूजीसी के नियमों के अनुरूप थी या नहीं और उल्लंघन के मामले में उचित कार्रवाई की सिफारिश करेगी.

यूजीसी ने 24 अप्रैल को अपनी 568वीं बैठक में यह फैसला किया. कुमार के अनुसार, बैठक में इस बात पर गौर किया गया कि पिछले कुछ वर्षों में नियुक्ति नियमों के उल्लंघन की कई घटनाएं हुई हैं, नियामक निकायों को कई शिकायतें मिली हैं.

उदाहरण के लिए, पिछले महीने, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) – भारत में तकनीकी शिक्षा के लिए शीर्ष सलाहकार निकाय – ने कथित तौर पर तमिलनाडु में सभी तकनीकी शिक्षण संस्थानों को फैकल्टी नियुक्तियों में आरक्षण मानदंडों का सख्ती से पालन करने के लिए नोटिस जारी किया. मीडिया में आई खबरों के मुताबिक राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने सभी तकनीकी उच्च शिक्षा संस्थानों से विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी.

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अभी तक, एचईआई में फैकल्टी की नियुक्ति और पीएचडी प्रदान करने के नियम दो सेटों द्वारा शासित होते हैं: विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों और अन्य शैक्षणिक कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता पर यूजीसी रेग्युलेशन और उच्च शिक्षा में मानकों के रखरखाव के उपाय, 2018; और यूजीसी (पीएचडी डिग्री प्रदान करने के लिए न्यूनतम मानक और प्रक्रियाएं) रेग्युलेशन, 2022.

उल्लंघन करने वालों के लिए दंड

नियमों के अनुसार, यूजीसी के पास पीएचडी डिग्री प्रदान करने के लिए अनिवार्य प्रक्रिया का उल्लंघन करने वाले संस्थान को प्रतिबंधित करने, फंडिंग बंद करने या यहां तक कि मान्यता रद्द करने का अधिकार है.

यूजीसी के अध्यक्ष कुमार ने कहा कि नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी. “यूजीसी गलत संस्थानों के खिलाफ कई कदम उठा सकता है. उदाहरण के लिए, यदि उचित प्रक्रिया के बाद यह पाया जाता है कि पीएचडी प्रवेश और पीएचडी डिग्री प्रदान करना यूजीसी के नियमों के अनुसार नहीं है, तो संस्थान को नए पीएचडी छात्रों को प्रवेश देने से रोका जा सकता है.

“हम यूजीसी अधिनियम के 12 (बी) (एक संस्थान को अनुदान) और 2 (एफ) (कॉलेज मान्यता) को वापस ले सकते हैं. उन्हें यूजीसी से किसी भी फंडिंग के लिए अपात्र बनाया जा सकता है. अंततः, उन्हें एक विश्वविद्यालय के रूप में भी मान्यता दी जा सकती है.

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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