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Monday, 7 October, 2024
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यूडीएफ ने राज्यपाल के संक्षिप्त अभिभाषण को लोकतंत्र का मखौल करार दिया

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तिरुवनंतपुरम, 25 जनवरी (भाषा) केरल में कांग्रेस नीत विपक्षी दल यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) ने राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान की ओर से बृहस्पतिवार को विधानसभा में दिए गए बेहद संक्षिप्त अभिभाषण को ‘‘लोकतंत्र का मखौल’’ और ‘‘सदन का अपमान’’ करार दिया वहीं भारतीय जनता पार्टी ने इसे केन्द्र पर दोषारोपण करने के वाम मोर्चे के प्रयास को गहरा झटका बताया।

वाम मोर्चा सरकार ने स्थिति को संभालने की कोशिश करते हुए कहा कि राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने अपने संवैधानिक कर्तव्य का सही ढंग से निर्वाह किया और यदि उन्हें कुछ समस्या हो रही हो तो नीतिगत संबोधन इस तरीके से समाप्त किया जा सकता है।

भाजपा ने कहा कि राज्यपाल ने राज्य के वित्तीय संकट सहित सभी समस्याओं के लिए केंद्र को दोषी ठहराने की वामपंथी सरकार की कोशिश को झटका दिया है।

वहीं विपक्षी यूडीएफ के कहा कि नीतिगत भाषण का केवल अंतिम पैराग्राफ पढ़ना विधानसभा की ‘‘अवमानना’’ के समान है।

विधानसभा में विपक्ष के नेता वी डी सतीशन ने कहा, ‘‘यह विधानसभा के नियमों और संवैधानिक निर्देशों के प्रति अवमानना और उपेक्षा भी है। हम इसके खिलाफ अपना कड़ा विरोध व्यक्त करते हैं। यह राज्य सरकार और राज्यपाल के राजनीतिक नाटक का दुखद पटाक्षेप है।’’

सतीशन ने कहा कि कुछ वित्तीय मुद्दों के जिक्र के अलावा नीतिगत भाषण में केन्द्र सरकार की कोई स्पष्ट आलोचना नहीं थी।

उन्होंने मुख्यमंत्री पिनराई विजयन पर हमला बोलते हुए कहा कि दिल्ली में केंद्र सरकार के खिलाफ वाम मोर्चा द्वारा नियोजित विरोध प्रदर्शन को केंद्रीय एजेंसियों और उनकी जांच के डर से मार्क्सवादी नेता ने एक सम्मेलन में बदल दिया।

उन्होंने कहा,‘‘वे इस दयनीय हालात में हैं।’’

विधानसभा में विपक्ष के उपनेता पी के कुन्हालिकुट्टी तथा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टी राधाकृष्णन ने भी संवाददाताओं के साथ बातचीत में इसी प्रकार के विचार व्यक्त किए।

दोनों नेताओं ने कहा कि सदन में जो कुछ हुआ, वह विधानसभा और लोकतंत्र का मजाक है।

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के राष्ट्रीय महासचिव कुन्हालिकुट्टी ने कहा कि सभी इस बात से ‘अचरज’ में थे कि पांच मिनट के भीतर पूरी प्रक्रिया हो गई।

उन्होंने यह भी कहा कि पंजाब, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना जैसे राज्यों में भी राज्यपाल इसी तरह का व्यवहार कर रहे हैं।

भाजपा की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष के सुरेंद्रन ने एक प्रकार से राज्यपाल का पक्ष लिया और कहा कि खान का रुख केरल की समस्याओं के लिए केंद्र को दोषी ठहराने के राज्य सरकार के कदम के लिए एक झटका है।

उन्होंने दावा किया कि राज्य सरकार की अक्षमता को छिपाने और केंद्र को दोषी ठहराने के लिए नीतिगत संबोधन में आधारहीन बयान शामिल किए गए।

सुरेंद्रन ने कहा, ‘‘राज्य के रूख पर राज्यपाल ने नाखुशी जाहिर की। केरल के इतिहास में किसी सरकार को इतनी शर्मिंदगी नहीं झेलनी पड़ी।’’

उन्होंने सतीशन के इस दावे को भी खारिज कर दिया कि नीतिगत दस्तावेज में केंद्र के खिलाफ कोई उचित आलोचना नहीं थी। सुरेंद्रन ने कहा, ‘‘इसमें केंद्र के खिलाफ आलोचना भरी पड़ी हैं।’’

इस बीच राज्य के कानून और उद्योग मंत्री पी राजीव ने कहा कि राज्यपाल ने ‘‘अपने संवैधानिक कर्तव्य का निर्वाह किया है।’’

राजीव ने कहा,‘‘ उन्होंने मंत्रिमंडल द्वारा तैयार किए गए नीतिगत संबोधन को मंजूरी दी। अभिभाषण का पहला और आखिरी पैराग्राफ पढ़ने से भी यह सदन के रिकॉर्ड का हिस्सा बन जाता है। इसे ऐसे भी पढ़ा जा सकता है। यह पूरा अभिभाषण पढ़ने के समान है।’’

केरल में सत्तारूढ़ वाम मोर्चा सरकार और राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान के बीच जारी तनाव के मध्य राज्यपाल ने एक अप्रत्याशित कदम उठाते हुए बृहस्पतिवार को विधानसभा में अपना अभिभाषण केवल अंतिम पैराग्राफ पढ़कर समाप्त कर दिया और इस तरह उन्होंने एक प्रकार से सरकार से अपनी नाराजगी के भी संकेत दिए।

राज्यपाल खान सुबह नौ बजे विधानसभा पहुंचे और उन्होंने अपना अभिभाषण नौ बजकर दो मिनट से भी पहले समाप्त कर दिया और वह नौ बजकर चार मिनट पर सदन से रवाना हो गए।

खान और माकपा नीत केरल सरकार के बीच कई मुद्दों पर मतभेद हैं जिनमें राज्य में विश्वविद्यालयों के कामकाज का मुद्दा और विधानसभा द्वारा पारित कुछ विधेयकों पर उनके द्वारा हस्ताक्षर नहीं करना प्रमुख हैं।

इसके परिणामस्वरूप उन्हें मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), इसकी युवा शाखा – डेमोक्रेटिक यूथ फेडरेशन ऑफ इंडिया (डीवाईएफआई) – और इसके छात्र संगठन – स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) के व्यापक विरोध का सामना करना पड़ा है।

भाषा शोभना मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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