नयी दिल्ली, 20 जुलाई (भाषा) शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय में कहा कि महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को नयी सरकार को शपथ नहीं दिलानी चाहिए थी क्योंकि यह मामला शीर्ष अदालत में लंबित था।
उद्धव ठाकरे गुट ने अपने खिलाफ शुरू की गई अयोग्यता कार्यवाही को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है।
उद्धव ठाकरे गुट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि ‘‘पार्टी द्वारा नामित आधिकारिक सचेतक के अलावा किसी अन्य सचेतक को विधानसभाध्यक्ष द्वारा मान्यता दिया जाना दुर्भावनापूर्ण है।’
उन्होंने कहा, ‘लोगों के फैसले (जनादेश) का क्या होगा। 10वीं अनुसूची को उलट-पुलट कर दिया गया है और इसका इस्तेमाल दलबदल को बढ़ावा देने के लिए किया गया है।’ पीठ में न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली भी शामिल हैं।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि लोकतंत्र में लोग एकजुट हो सकते हैं और प्रधानमंत्री से कह सकते हैं कि ‘माफ करें, आप पद पर नहीं रह सकते।’’ उन्होंने कहा कि यदि कोई नेता पार्टी के भीतर ही समर्थन (बहुमत) जुटाता है और बिना पार्टी छोड़े (नेतृत्व से) प्रश्न करता है तो यह यह दलबदल नहीं है।
न्यायालय ने मामले के विभिन्न पक्षों को बड़ी पीठ द्वारा विचार के लिए 27 जुलाई तक मुद्दों को तैयार करने के लिए कहा। मामले की सुनवाई एक अगस्त को होगी।
प्रधान न्यायाधीश की अगुवाई वाली पीठ ने 11 जुलाई को उद्धव ठाकरे गुट के विधायकों को अंतरिम राहत प्रदान करते हुए महाराष्ट्र के विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से कहा था कि वे उनकी अयोग्यता के अनुरोध वाली याचिका पर आगे कार्रवाई नहीं करें।
भाषा
अविनाश माधव
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