देहरादून, तीन मई (भाषा) उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को युवाओं से उत्तराखंड समान नागरिक संहिता अधिनियम के बारे में फैलाये जा रहे ‘‘झूठ’’ का आगे बढ़कर मुकाबला करने का आग्रह किया। उन्होंने इसे जाति, धर्म और लैंगिक आधार पर भेदभाव मिटाने के लिए एक ‘‘संवैधानिक माध्यक’’ करार दिया।
धामी ने संहिता के तहत ‘सह-जीवन (लिव-इन)’ रिश्तों के अनिवार्य पंजीकरण का बचाव करने का प्रयास किया, जिसे अदालतों में कई चुनौतियां दी गई हैं। उन्होंने कहा कि यह अवधारणा एक समकालीन वास्तविकता है और सदियों पुरानी भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि ‘सह-जीवन’ जोड़ों के लिए यह प्रावधान केवल उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए है। उन्होंने 2022 में दिल्ली में श्रद्धा वाकर की उसके ‘सह-जीवन साथी’ द्वारा की गई नृशंस हत्या का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे संबंध बदसूरत मोड़ ले सकते हैं।
हरिद्वार में देव संस्कृति विश्वविद्यालय में यूसीसी अधिनियम पर एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए धामी ने कहा कि सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार और जिम्मेदारियां सुनिश्चित करते हुए समाज में एकरूपता लाने के उद्देश्य से कानून को लागू करना जनसंघ के दिनों से ही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की वैचारिक प्रतिबद्धता रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘यह एक आवश्यक सुधार है, जिससे पूरे समाज को लाभ होगा। यह किसी धर्म या संप्रदाय के खिलाफ नहीं है और न ही किसी को निशाना बनाता है।’’
उन्होंने कहा कि यह कानून महिलाओं के संपत्ति उत्तराधिकार अधिकारों की रक्षा करता है और ‘सह-जीवन’ संबंध से पैदा हुए बच्चों के अपने पिता की संपत्ति पर अधिकारों की भी रक्षा करता है।
धामी ने कहा कि यह ‘हलाला’, ‘इद्दत’, बहुविवाह और बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं को समाप्त करके महिलाओं को सशक्त बनाता है।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन कुछ लोग तरह-तरह के झूठ फैला रहे हैं, जिनमें से एक यह है कि यूसीसी वेबसाइट पर पंजीकरण से बाहरी लोगों को निवास प्रमाण पत्र प्राप्त करने में मदद मिलेगी। यह सरासर झूठ है, कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।’’
धामी ने निजी विश्वविद्यालय देव संस्कृति विश्वविद्यालय में कार्यशाला में उपस्थित युवाओं से कानून के बारे में फैलायी जा रही ‘गलत धारणाओं’ को खत्म करने में सरकार का समर्थन करने का आग्रह किया। मुख्यमंत्री धामी ने कहा, ‘‘जैसे उत्तराखंड से गंगा निकलती है और देश को जीवन देती है, वैसे ही इस राज्य में निकली यूसीसी की गंगोत्री से पूरा भारत लाभान्वित होगा।’’
उत्तराखंड ने 27 जनवरी को यूसीसी अधिनियम को लागू किया और ऐसा करने वाला वह देश का पहला राज्य बन गया।
यूसीसी कई वर्षों से राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा के एजेंडे में रहा है। हालांकि पिछले साल लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उत्तराखंड में पार्टी की सरकार इसे लागू करने की दिशा में ठोस कदम उठाने वाली पहली सरकार बन गई। अब उत्तराखंड का यूसीसी अधिनियम अन्य भाजपा शासित राज्यों के लिए इसी तरह का कानून बनाने के लिए एक आदर्श के रूप में काम कर सकता है।
उत्तराखंड के शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत ने कहा कि राज्य के सभी विश्वविद्यालयों में इस कानून पर संगोष्ठी आयोजित की जाएंगी और तीन महीने में पांच लाख छात्रों को इसके लाभों के बारे में जानकारी देने का लक्ष्य रखा गया है।
भाषा अमित माधव
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