नई दिल्ली: भारत में अभी किसी भी तरह के सामाजिक सुरक्षा लाभ से वंचित लाखों गिग और प्लेटफॉर्म कर्मचारी जल्द ही ईएसआईसी (कर्मचारी राज्य बीमा निगम) योजना के तहत चिकित्सा सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे.
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों के लिए स्वास्थ्य योजना तैयार कर रहा है, जिसे सितंबर में संसद से मंजूर सामाजिक सुरक्षा संहिता के तहत ईएसआईसी योजना से जोड़ा जाएगा. इस संहिता के तहत पहली बार गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों को इसके दायरे में लाया गया है.
गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों को मुख्यत: डिजिटल मीडिया का उपयोग करने वालों के रूप में परिभाषित किया गया है. यानी ऐसे श्रमिक जो ऑनलाइन प्लेटफॉर्म का उपयोग करके विभिन्न संस्थानों से संपर्क साधते हैं, जैसे जोमैटो जैसे फूड एग्रीगेटर के साथ काम करने वाले डिलीवरी बॉय और उबर और ओला जैसे टैक्सी एग्रीगेटर्स के जरिये काम करने वाले कैब ड्राइवर.
केवल कुछ चुनींदा बड़ी गिग और प्लेटफॉर्म कंपनियां ही अपने कर्मचारियों को कोई स्वास्थ्य सुरक्षा कवर देती हैं. जबकि ऐसे अधिकांश श्रमिक स्वास्थ्य आपातकाल या किसी हादसे की स्थिति में किसी भी तरह के लाभ से वंचित होते हैं.
केंद्रीय श्रम सचिव अपूर्व चंद्र ने दिप्रिंट को बताया, ‘मंत्रालय सामाजिक सुरक्षा संहिता के तहत गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों के लिए एक स्वास्थ्य योजना पर काम कर रहा है.’
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस संबंध में श्रम सचिव पहले ही सभी प्रमुख कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर चुके हैं. इन सभी ने प्रस्तावित स्वास्थ्य योजना पर सहमति जताई है.
हालांकि, कोई आधिकारिक सर्वेक्षण तो नहीं किया गया है लेकिन बाजार विशेषज्ञों ने भारत में गिग और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म श्रमिकों की संख्या 50 लाख से 1 करोड़ के बीच होने का अनुमान जताया है.
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कंपनियों को सालाना टर्नओवर का 1-2% देना होगा
प्रस्तावित स्वास्थ्य योजना को सामाजिक सुरक्षा कोष से वित्त पोषित किया जाएगा. सामाजिक सुरक्षा संहिता के तहत ऐसे श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा और कल्याणकारी जरूरतों को पूरा करने के लिए गिग और प्लेटफॉर्म श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा कोष की स्थापना की जानी है.
गिग कंपनियों को अपने श्रमिकों के बनने वाले सामाजिक सुरक्षा कोष में अपने वार्षिक कारोबार का 1-2 प्रतिशत अलग रखना होगा. किसी एग्रीगेटर की तरफ से किया जाने वाला योगदान 5 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा.
इस कोष का प्रबंधन केंद्र द्वारा किया जाएगा और इसमें योगदान मुख्यत: एग्रीगेटर्स की तरफ से आएगा. ऊपर उद्धृत अधिकारी ने कहा, ‘हम मसौदा नियमों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं. एक बार नियम निर्धारित हो जाएं तो तो सामाजिक सुरक्षा कोष के संचालन की समयसीमा भी तय हो जाएगी.’
जब तक नियम अधिसूचित नहीं होते, तब तक सामाजिक सुरक्षा संहिता का संचालन नहीं किया जा सकता.
इसके अलावा, महिला श्रमिकों को भी योजना के तहत मातृत्व लाभ की सुविधा मिल सकेगी. सामाजिक सुरक्षा संहिता के तहत प्रत्येक महिला इसकी हकदार होगी और नियोक्ता को अपनी कर्मचारी की अनुपस्थिति वाली कुल अवधि के लिए औसत दैनिक मजदूरी की दर पर मातृत्व लाभ का भुगतान करना होगा. यह डिलीवरी के ठीक पहले या उसके तुरंत बाद की कोई भी अवधि हो सकती है.
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