scorecardresearch
Thursday, 25 April, 2024
होमदेशमोदी सरकार ने एप- आधारित कैब सर्विस की मनमाना किराया वसूली पर लगाई लगाम, लाइसेंस भी किया जरूरी

मोदी सरकार ने एप- आधारित कैब सर्विस की मनमाना किराया वसूली पर लगाई लगाम, लाइसेंस भी किया जरूरी

सड़क परिवहन मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार, अगर कोई ड्राइवर राइड स्वीकारने के बाद बिना किसी वैध कारण के बुकिंग रद्द करता है तो 10% जुर्माना लगाया जाएगा.

Text Size:

नई दिल्ली: अब उबर और ओला जैसे एप-आधारित टैक्सी एग्रीगेटर्स मांग बढ़ने पर मनमाने तरीके से किराया नहीं वसूल पाएंगे, जिस प्रक्रिया को आम तौर पर सर्ज प्राइसिंग कहा जाता है और इसे लेकर यात्री काफी आलोचना करते रहे हैं.

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय ने गुरुवार को मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइन 2020 जारी की है, जिसमें कहा गया है कि एग्रीगेटर संबंधित राज्य सरकारों द्वारा सिटी टैक्सी के लिए निर्धारित बेस फेयर से 1.5 गुना ज्यादा ही अधिकतम किराया वसूल पाएंगे.

नॉन-पीक ऑवर में एग्रीगेटर्स को बेस फेयर से 50 फीसदी कम किराया वसूलने की अनुमति होगी. जिन राज्यों में सिटी टैक्सी का किराया निर्धारित नहीं है, उनमें 25 से 30 रुपये की राशि को बेस फेयर माना जाएगा.

एप-आधारित यात्रा सुविधा देने वाली सेवाएं बिना किसी सरकारी नियंत्रण के चल रही हैं. हालांकि, इन्हें पिछले साल ही मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम, 2019 के दायरे में लाया गया था लेकिन मंत्रालय ने इस संबंध में दिशानिर्देशों को अब तक अधिसूचित नहीं किया था.

एग्रीगेटर्स को बिना लाइसेंस सेवाएं देने की अनुमति नहीं होगी

मंत्रालय की तरफ से जारी दिशानिर्देशों में यह भी कहा गया है कि कोई भी एग्रीगेटर तब तक कारोबार नहीं कर पाएगा जब तक कि राज्य सरकार से इसका लाइसेंस नहीं मिल जाता है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

यह एप-आधारित कैब बुकिंग सेवाओं के नियमन की रूपरेखा भी तैयार करता है जिसका राज्यों को पालन करना होगा. इसमें यात्रियों और महिला कर्मचारियों की सुरक्षा संबंधी प्रोटोकॉल भी शामिल हैं.

लाइसेंसिंग मानदंडों का उल्लंघन करने पर 1 लाख रुपये तक जुर्माने होगा और लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है.

लाइसेंस की पात्रता के लिए आवेदनकर्ता के लिए कंपनी अधिनियम, 1956 या 2013 अथवा सहकारी समिति अधिनियम, 1912 के तहत चालक या मोटर वाहन मालिकों के संघ द्वारा गठित सहकारी समिति के तहत पंजीकृत होना जरूरी होगा.

इसके अलावा, एग्रीगेटर के पास भारत में एक पंजीकृत कार्यालय होना चाहिए. लाइसेंस शुल्क 5 लाख रुपये तय किया गया है और यह पांच साल के लिए वैध होगा.

लाइसेंस पाने के लिए एग्रीगेटर को ड्राइवरों के मामले में भी कुछ शर्तों का अनुपालन करना होगा, जिसमें पहचान का वैध प्रमाण, ड्राइविंग लाइसेंस, कम से कम दो साल ड्राइविंग का अनुभव और पुलिस सत्यापन शामिल है. ऐसा कोई ड्राइवर भी नहीं होना चाहिए जिसे पिछले तीन वर्षों के दौरान शराब पीकर वाहन चलाने का दोषी पाया गया हो.

एग्रीगेटर को सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन करना होगा जैसे यह सुनिश्चित करना कि वाहन में लगा जीपीएस ठीक ढंग से कामकर रहा है, चालक वाहन को एप पर दर्शाए मार्ग पर ही चला रहा है और अन्य लोगों के अलावा महिला कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित होनी चाहिए.

राइड कैंसिल करने के नियम

यदि कोई ड्राइवर बिना किसी वैध कारण के एप पर राइड स्वीकार करने के बाद बुकिंग रद्द करता है, तो 10 फीसदी जुर्माना लगाया जाएगा जो 100 रुपये से अधिक नहीं होगा. यदि सवारी बुकिंग रद्द कर देती है तो उस पर भी उतना ही जुर्माना लगाया जाएगा.

नियमों में यह भी कहा गया है कि एग्रीगेटर के साथ जुड़े वाहन चालकों को प्रत्येक सवारी पर कम से कम 80 प्रतिशत किराया प्राप्त होगा और बाकी राशि एग्रीगेटर को मिलेगी.

राज्य सरकारें अधिसूचना के माध्यम से किराये के ऊपर सीधे तौर पर 2 फीसदी राशि को एग्रीगेटर संचालित वाहनों के लिए सुविधाओं और कल्याण कार्यक्रमों के लिए वसूल सकती हैं.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: महाराष्ट्र में ओला-उबर की तर्ज़ पर एप आधारित एम्बुलेंस सेवा चलाने की योजना


 

share & View comments