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Saturday, 4 May, 2024
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महाराष्ट्र में ओला-उबर की तर्ज़ पर एप आधारित एम्बुलेंस सेवा चलाने की योजना

महाराष्ट्र सरकार जीपीएस, जीपीआरएस तकनीक की खरीद से लेकर उन्हें एम्बुलेंस में लगाने और उनकी देखरेख करने तक की सारी प्रक्रिया को आउटसोर्स करना चाहती है.

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मुंबई: महाराष्ट्र के लोग जल्द ही उबर और ओला जैसी एप-आधारित टैक्सी सेवाओं की तर्ज पर एम्बुलेंस भी एप के जरिए बुक करा सकेंगे.

महाराष्ट्र सरकार राज्य में सभी एम्बुलेंस, मोबाइल मेडिकल यूनिट, विभिन्न परियोजनाओं के तहत चिकित्सा सेवा मुहैया करा रहे स्वास्थ्य विभाग के अन्य वाहनों में अपडेटेड ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस) और जनरल पैकेट रेडियो सर्विस (जीपीआरएस) लगाने और एक फ्री मोबाइल एप्लीकेशन लांच करने की योजना बना रही है जिसका इस्तेमाल करके लोग एम्बुलेंस या मोबाइल मेडिकल यूनिट बुला सकें.

मोबाइल एप्लीकेशन को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के तहत एम्बुलेंस के लिए मौजूदा टोल फ्री नंबर ‘102’ के साथ-साथ राज्य सरकार की परियोजना महाराष्ट्र आपातकालीन चिकित्सा सेवा के तहत संचालित नंबर ‘108’ से भी जोड़ा जाएगा.

नाम न बताने की शर्त पर स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि राज्य का सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग इस परियोजना के लिए निविदा जारी करने की प्रक्रिया में है, जिसे राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के रेफरल ट्रांसपोर्ट प्रोग्राम के तौर पर चलाया जाना है.

अधिकारी ने बताया, ‘इनमें से अधिकांश एम्बुलेंस में जीपीएस और जीपीआरएस प्रणाली थी, लेकिन इन्हें 2013 में लगाया गया था. इनकी वारंटी केवल तीन साल की थी. अब सात साल हो चुके हैं, इसलिए कई वाहनों में जीपीएस और जीपीआरएस ने ठीक से काम करना बंद कर दिया है. इससे एम्बुलेंस के लिए टोल-फ्री हेल्पलाइन ठीक से काम करने में बाधा आ रही थी. हमें हाल ही में परियोजना के लिए निविदा जारी करने की मंजूरी मिल गई है.’

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इस परियोजना में कुल मिलाकर 4,821 वाहन शामिल किए जाएंगे. इनमें 2,647 सरकारी एम्बुलेंस, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 1,195 मेडिकल वाहन, स्वास्थ्य विभाग के 889 अन्य चिकित्सा वाहन और 90 मोबाइल मेडिकल यूनिट शामिल हैं.


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लगभग 6 करोड़ रुपये की परियोजना आउटसोर्स की जाएगी

राज्य सरकार पूरी प्रक्रिया को आउटसोर्स करने की योजना बना रही है- जीपीएस, जीपीआरएस तकनीक की खरीद से लेकर उन्हें एम्बुलेंस में लगाने और उनकी देखरेख करने तक. 102 टोल-फ्री हेल्पलाइन के संचालन की जिम्मेदारी भी कांट्रैक्टर की होगी.

इसके अलावा, परियोजना को चलाने वाली कंपनी को एंड्रॉइड और आईओएस दोनों प्लेटफार्मों के लिए मोबाइल एप्लीकेशन विकसित करना होगा. यह एक फ्री एप भी होगा.

स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ने कहा, ‘हम तकनीकी खरीद से पहले और फिर इसे लगाए जाने के बाद आकस्मिक नमूना निरीक्षण करेंगे, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सिस्टम आवश्यक तकनीकी विशिष्टताओं पर खरा उतरता है.’

सार्वजनिक जन स्वास्थ्य विभाग के पास रेफरल ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट के तहत 30 करोड़ रुपये उपलब्ध हैं.

अधिकारी ने कहा, ‘इसका अधिकांश हिस्सा जिला प्रशासन को लोगों को मुफ्त एम्बुलेंस सेवाएं देने के लिए मुहैया कराया जाना है. बाकी के करीब 6 करोड़ रुपये इस परियोजना में इस्तेमाल किए जाएंगे.’


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(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)

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