नयी दिल्ली, 11 जुलाई (भाषा) वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों से जुड़े उत्तरी दिल्ली के पुल बंगश गुरुद्वारा मामले में एक प्रत्यक्षदर्शी ने शुक्रवार को दिल्ली की एक अदालत में गवाही देते हुए कहा कि उसने कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर को भीड़ को उकसाते और उन्हें ‘सिखों को लूटने और जान से मारने’ के लिए कहते देखा था।
सत्तर वर्षीय महिला प्रत्यक्षदर्शी ने यह भी दावा किया कि अपने इकलौते बेटे की जान जाने के डर से वह चुप रही और अपने बेटे की मौत के बाद 2016 में पहली बार केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को टाइटलर का नाम बताया।
विशेष न्यायाधीश जितेंद्र सिंह ने दंगों के दौरान गुरुद्वारे में आग लगाने वाली भीड़ द्वारा तीन लोगों की हत्या की प्रत्यक्षदर्शी हरपाल कौर बेदी का बयान दर्ज किया।
बेदी ने कहा, ‘‘जब मैं (एक नवंबर, 1984 को) गुरुद्वारा पुल बंगश के सामने फुटपाथ पर खड़ी थी, तो मैंने देखा कि आरोपी जगदीश टाइटलर एक सफेद रंग की एम्बेसडर कार में गोल चक्कर से घूमकर गुरुद्वारा पुल बंगश के सामने रुका। आरोपी जगदीश टाइटलर और तीन अन्य व्यक्ति कार से बाहर आए। आरोपी ने वहां खड़ी भीड़ को संबोधित करते हुए कहा कि सिखों को लूटो और जान से मार डालो, गुरुद्वारा लूटो, क्योंकि उन्होंने हमारी मां को मार डाला है।’’
सीबीआई ने 20 मई, 2023 को इस मामले में टाइटलर के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था, जिसमें कहा गया था कि उन्होंने एक नवंबर, 1984 को पुल बंगश गुरुद्वारा आजाद मार्केट में एकत्रित भीड़ को ‘उकसाया और भड़काया’, जिसके परिणामस्वरूप गुरुद्वारा जला दिया गया और तीन सिखों – ठाकुर सिंह, बादल सिंह और गुरचरण सिंह की हत्या कर दी गई।
घटना के बारे में बेदी ने कहा कि अंधेरा होने के बाद हथियारों से लैस भीड़ ने उनके पड़ोसी तिलक राज का दरवाज़ा तोड़ दिया।
बेदी ने कहा, ‘‘तिलक राज के घर में घुसने के बाद भीड़ ने हमारे कर्मचारी गुरचरण सिंह चन्नी और सरदार बादल सिंह (रागी) को ढूंढ़ निकाला और उन्हें अपने हथियारों से काट डाला। भीड़ ने दोनों को छत से जमीन पर फेंक दिया और उसके बाद, उन्हें रेहड़ी में डालकर उन पर टायर रख दिए, उन्हें पुल बंगश गुरुद्वारा के अंदर फेंककर जला दिया।’’
उन्होंने कहा कि जब भीड़ उनके पति (अमरजीत सिंह बेदी) की दुकान लूट रही थी, तो उन्होंने उनके पति और उनके देवर सुरजीत सिंह को मारने की बात कही, क्योंकि चन्नी ने उनके पति के कपड़े पहने हुए थे।
बेदी ने कहा कि उनका बयान दो-तीन बार दर्ज किया गया है और जांच के दौरान वह सीबीआई टीम के साथ घटनास्थल पर भी गई थीं।
उनके बयान के बाद, टाइटलर के वकील ने उनसे जिरह शुरू की, जहां सवालों के जवाब में बेदी ने दावा किया कि अपने इकलौते बेटे की जान जाने के डर से उन्होंने मार्च 2016 से पहले टाइटलर का नाम नहीं लिया था।
बेदी ने कहा, ‘‘यह सही है कि न तो मैंने और न ही मेरे पति ने 2008 तक आरोपी जगदीश टाइटलर की संलिप्तता का ज़िक्र किया था। यह सही है कि 2016 से पहले, मैंने इस मामले में आरोपी जगदीश टाइटलर का नाम नहीं लिया था। मैंने पहली बार एक मार्च, 2016 को दिए गए एक बयान में उनका नाम लिया था।’’
बेदी ने कहा, ‘‘आरोपी जगदीश टाइटलर के लोगों ने मेरे बेटे को उनके खिलाफ कुछ भी नहीं कहने के लिए कहा और ऐसा नहीं करने पर जान से मारने की धमकी दी थी, चूँकि मेरा एक ही बेटा था, इसलिए उसकी जान की खातिर मैं चुप रही। अब मेरे इकलौते बेटे की 2015 में मौत हो चुकी है, और तब से मुझे कोई डर नहीं लगा और इसलिए मैंने सीबीआई और अदालत को सारी सच्चाई बताई। मैंने 2015 तक या उसके बाद आज तक अपने बेटे को किसी भी तरह की धमकी मिलने की कोई शिकायत नहीं की।’’
बेदी ने कहा कि मार्च 2016 में सीबीआई को दिए अपने बयान में उन्होंने कहा था कि गुरुद्वारे की तरफ से एक सफेद एम्बेसडर गाड़ी आ रही थी और जगदीश टाइटलर अंदर बैठे थे।
उन्होंने कहा, ‘‘कार धीमी गति से चल रही थी और जगदीश टाइटलर ने कार के अंदर बैठे-बैठे हिंसा कर रहे लोगों को इशारा किया। इशारा करते हुए उन्होंने ‘मारो मारो’ कहा और तेजी से वहां से चला गया। यह कहना गलत है कि मैंने सीबीआई और सिख समुदाय के नेताओं के कहने पर 2016 में पहली बार आरोपी जगदीश टाइटलर का नाम लिया था।’’
बेदी ने इस बात से इनकार किया कि सीबीआई अधिकारियों ने उन्हें बयान बदलने का सुझाव दिया था, क्योंकि कार में बैठे व्यक्ति की बात कोई सुन नहीं सकता था।
जब टाइटलर के वकील ने बेदी से ‘बयान बदलने’ के बारे में सवाल किया तो बेदी ने कहा, ‘‘सीबीआई की पूछताछ से मैं भ्रमित हो गई थी। कार से आरोपी के बाहर आने और भीड़ को उकसाने के बारे में मेरा बाद का बयान ही सही बयान है।’’
अपराह्न लगभग चार बजे न्यायाधीश ने जिरह शनिवार तक के लिए स्थगित कर दी, क्योंकि उन्होंने कहा कि लंबी कार्यवाही के बाद गवाह थकी हुई लग रही थी।
भाषा संतोष दिलीप
दिलीप
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.