scorecardresearch
Sunday, 24 November, 2024
होमदेशआतंकी संगठनों से संबंध होने के शक में असम में दो संदिग्ध गिरफ्तार

आतंकी संगठनों से संबंध होने के शक में असम में दो संदिग्ध गिरफ्तार

असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि बेहतर सर्विलांस के लिए असम में आने वाले इस्लामिक टीचर्स की बारीकी से निगरानी की जाएगी. इसके लिए राज्य एक पोर्टल विकसित कर रहा है जिस पर सारी की सारी डिटेल्स को डाला जाएगा.

Text Size:

मोरीगांवः सोमवार को असम पुलिस ने मोरीगांव जिले से प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन अंसारुल्लाह बंग्ला टीम (एबीटी) से संबंध होने के संदेह में दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया. इन दोनों की पहचान मुसादिक हुसैन और इकरामुल इस्लाम के तौर पर की गई है. इकरामुल एक इमाम हैं और उसे नवगांव जिले मे गिरफ्तार किया गया था.

वहीं दूसरी तरफ, राज्य पुलिस ने हुसैन को मोरीगावं जिले के मोइराबारी एरिया से गिरफ्तार किया. मोरीगांव की पुलिस अधीक्षक अपर्णा एन ने कहा कि दोनों गिरफ्तार व्यक्तियों के प्रतिबंधित संगठनों से संबंध हैं.

पिछले महीने मोरीगांव जिला प्रशासन द्वारा मोइराबारी एरिया के एक मदरसे के परिसर में टेरर मॉड्यूल के पता लगाया गया था, जिसके बाद इस मदरसे को ढहा दिया गया था. अब तक जिला प्रशासन ने पूरे राज्य में तीन मदरसों को ढहाया है और अंसारुल्लाह बांग्ला टीम व अल कायदा से संबंधित होने के कारण इमाम और मदरसा टीचर्स सहित 40 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ मिलेटैंट्स धार्मिक टीचर्स के रूप में घुस आए और धीरे-धीरे राज्य विरोधी एक्टिविटीज़ करने लगे. मुख्यमंत्री हिमंत विस्व सरमा ने कहा कि मदरसा मैनेजमेंट संस्थान नहीं चला रहा था बल्कि आतंकी हब चला रहा था.

सरमा ने आगे कहा कि, ‘मैं इसे सामान्यीकृत नहीं करना चाहता लेकिन जब भी अतिवादी घटनाओं की कोई शिकायत आती है तो हम इसकी जांच करके उचित कार्रवाई करते हैं.’

हाल ही में मुख्यमंत्री सरमा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि, ‘छह बांग्लादेशी नागरिक जो कि अंसारुल्लाह बांग्ला/ अल-कायदा ग्रुप के सदस्य हैं, वे 2016-17 में असम में घुसे. असम पुलिस ने इनमें से एक को गिरफ्तार कर लिया है और बाकी के पांच अभी भागे हुए हैं.’

असम के मुख्यमंत्री ने कहा कि बेहतर सर्विलांस के लिए असम में आने वाले इस्लामिक टीचर्स की बारीकी से निगरानी की जाएगी. इसके लिए राज्य एक पोर्टल विकसित कर रहा है जिस पर सारी की सारी डिटेल्स को डाला जाएगा.

सरमा ने रिपोर्टर्स से कहा, ‘हमने इसके लिए एसओपी विकसित किया है. जिसके तहत अगर कोई धार्मिक टीचर (इमाम) बाहर से राज्य में आता है और स्थानीय लोग उसे नहीं जानते तो उन्हें पुलिस को बताना होगा.’

उन्होंने कहा, ‘असम के मुसलमान इस प्रक्रिया में सरकार की मदद कर रहे हैं. पुलिस इन लोगों को वेरीफाई करेगी और इसके बाद ही वे लोग मदरसे में धार्मिक शिक्षा दे पाएंगे.’

बता दें कि असम में अभी कोई भी सरकार द्वारा संचालित मदरसा नहीं है क्योंकि हाल ही में उन्हें रेग्युलर स्कूलों में परिवर्तित कर दिया गया है. हालांकि, व्यक्तिगत और निजी मदरसे अभी भी चल रहे हैं.


यह भी पढ़ेंः ईरान की भारत को सलाह- US की पाबंदियों को नजरअंदाज करें, फिर से शुरू करें तेल की खरीद


 

share & View comments