scorecardresearch
Thursday, 25 April, 2024
होमदेशसरकार ने निजी चैनलों को दिया निर्देश , नापतोल और सेंसोडाइन के 'भ्रामक' विज्ञापनों को दिखाना बंद करें

सरकार ने निजी चैनलों को दिया निर्देश , नापतोल और सेंसोडाइन के ‘भ्रामक’ विज्ञापनों को दिखाना बंद करें

कंज्यूमर के हितों की रक्षा करने वाली वैधानिक संस्था, केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण की अध्यक्ष निधि खरे का कहना है कि दोनों कंपनियों ने अभी तक अपने दावों को प्रमाणित करने के लिए दस्तावेज जमा नहीं किए हैं.

Text Size:

नई दिल्ली: केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय (आई एंड बी) ने भारत के सभी निजी टीवी चैनलों को नापतोल शॉपिंग ऑनलाइन प्राइवेट लिमिटेड और ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन के टूथपेस्ट ब्रांड सेंसोडाइन के ‘भ्रामक’ विज्ञापनों का प्रसारण बंद करने का निर्देश दिया है.

मंत्रालय ने केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) के फरवरी में पारित उस आदेश के पालन करने की मांग की है, जिसमें कहा गया था कि टेलीशॉपिंग और ऑनलाइन शॉपिंग प्लेटफॉर्म चलाने वाली कंपनी नापतोल और टूथपेस्ट ब्रांड सेंसोडाइन को अपने उत्पादों के बारे में झूठे दावे करने वाले ‘भ्रामक’ विज्ञापनों को बंद करना होगा.

मंगलवार को जारी एक नोटिस में सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने कहा, ‘सीसीपीए के आदेशों का पालन न करना केबल टेलीविजन नेटवर्क (विनियमन) अधिनियम, 1995 और नियम 1994 के तहत विज्ञापन संहिता का उल्लंघन है.’

सीसीपीए कंज्यूमर्स के हितों की रक्षा करने वाली यह एक  वैधानिक संस्था है जिसका मकसद ‘उपभोक्ताओं के अधिकारों को बढ़ावा देना, उनकी रक्षा करना और उन्हें लागू करना’ है. इसका गठन उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम-2019 तहत, 2020 में किया गया था. उस समय दिवंगत रामविलास पासवान केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्री थे.

उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव निधि खरे सीसीपीए की अध्यक्ष हैं. संस्था का काम  कंपनियों द्वारा भ्रामक विज्ञापनों और जनता को बेचे जा रहे उत्पादों पर किसी भी गलत जानकारी की पहचान करना है. यह उपभोक्ता अधिकारों के उल्लंघन और अनुचित व्यापार प्रथाओं पर नज़र रखने के लिए भी जिम्मेदार है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें


यह भी पढ़े: ‘UP में नहीं है तू-तू मैं-मैं की जगह, दंगा फसाद दूर की बात,’ योगी बोले- रामनवमी पर 800 जगह निकले जुलूस


खरे ने दिप्रिंट से कहा, ‘दोनों कंपनियों को सुनवाई का मौका दिया गया था. लेकिन हमें अभी तक उनकी तरफ से किसी तरह के कोई दस्तावेज नहीं मिले हैं, जो उनके दावों को सही साबित कर सके. नापतोल ने आदेश का पालन किया है और जुर्माना भी भरा है. मगर सेंसोडाइन ने आदेश के खिलाफ अपील की है.’

संपर्क करने पर  ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘मामला विचाराधीन है. हम एक जिम्मेदार और नियमों को मानने वाली कंपनी हैं. हम अपने उपभोक्ताओं की भलाई के लिए प्रतिबद्ध हैं और हमारे उत्पाद उच्चतम गुणवत्ता मानकों के अनुरूप हैं.’

दिप्रिंट ने ईमेल के जरिए नापतोल से भी इस बारे में प्रतिक्रिया मांगी थी, लेकिन अभी तक वहां से कोई जवाब नहीं मिला है.

सीसीपीए का आदेश

फरवरी में सीसीपीए ने टेलीविज़न, यू-ट्यूब,  फेसबुक और ट्विटर सहित कई प्लेटफार्मों पर आने वाले सेसोंडाइन विज्ञापनों का स्वतः संज्ञान लेते हुए कार्रवाई शुरू की थी. और इसके ‘भ्रामक’ विज्ञापनों को रोकने का आदेश पारित किया था.

इसी साल मार्च में संस्था ने ब्रांड पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था और सात दिनों के अंदर ‘दुनिया भर के डेंटिस्ट इसे अपनाने की सलाह देते हैं’ और ‘दुनिया का नंबर 1 सेंसटिविटी टूथपेस्ट’ जैसे दावे करने वाले सेंसोडाइन विज्ञापनों को बंद करने का भी आदेश दिया था. विज्ञापनों में ब्रिटेन के डेंटिस्ट दांतों में ठंडा-गर्म लगने पर सेंसोडाइन टूथपेस्ट को अपनाने की सलाह देते हुए दिखाए गए हैं.

सीसीपीए के अधिकारियों के अनुसार, ये कार्रवाई इसलिए की गई क्योंकि सेंसोडाइन ने अपने दावों को प्रमाणित करने के लिए किसी भी तरह के अध्ययन या आंकड़ों को प्रस्तुत नहीं किया है.

उत्पादों को बेचते समय ‘भ्रामक’ दावे करने के लिए नापतोल पर फरवरी में 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया था.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़े: करौली जाने से रोकी गई बीजेपी की ‘न्याय यात्रा’, तेजस्वी सूर्य प्रकाश बोले-‘नहीं जाने दिया तो उग्र आंदोलन करेंगे’


share & View comments