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Sunday, 22 December, 2024
होमदेशजायरा वसीम को ट्रोल करने वाले अब लिख रहे हैं- दीदी, तुम प्रेरणा हो

जायरा वसीम को ट्रोल करने वाले अब लिख रहे हैं- दीदी, तुम प्रेरणा हो

जायरा वसीम को दंगल फिल्म में बाल छोटे करवाने पर जान से मारने की धमकियां भी दी गईं. बाद में महबूबा मुफ्ती को उनके समर्थन में आना पड़ा था.

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नई दिल्ली: दंगल गर्ल जायरा वसीम जब बॉलीवुड में आई थीं. तब उन्हें सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा था. लोगों ने लिखा था कि एक्टिंग इस्लाम में हराम है. दंगल फिल्म में बाल छोटे करवाने पर उन्हें जान से मारने की धमकियां भी दी गईं. बाद में महबूबा मुफ्ती को उनके समर्थन में आना पड़ा. उस वक्त जायरा बमुश्किल 14-15 साल की थीं.

लेकिन, जैसे ही उन्होंने कुरान और अल्लाह का हवाला देते हुए एक्टिंग छोड़ने के फैसले के बारे में सोशल मीडिया पर लिखा तो लोगों ने उत्सव मनाना शुरू कर दिया. उत्सव मनाने वाले लोग वहीं हैं, जो अक्सर जायरा की पोस्ट्स पर भद्दे कमेंट्स करते रहे हैं.

उनमें से एक ने तो खुद इस बात को स्वीकारा है. सबज़ार हामिद लिखते हैं, ‘मैं पहला शख्स था जिसने आपके एक्टिंग के फैसले के दौरान आपकी आलोचना की थी. लेकिन आज मुझे गर्व है. आप हमारी रोल मॉडल हुईं.’

एक अन्य शख्स मोहम्मद युसुफ लिखते हैं ‘अल्लाह आपको बरकत दें. बहुत सही समय पर सही फैसला.’

वहीं, हसन महफूज़ कहते हैं, ‘दीदी, कूडोज टू यू फॉर दिस बोल्ड स्टेप.’

सीरत मुश्ताक़ लिखते हैं, ये लेटर पढ़ते हुए मेरे आंसू आ गए. सच में आज की जनरेशन ने अल्लाह से सच्चा रिश्ता कायम नहीं हुआ है. सबमें जायरा जितनी हिम्मत नहीं होती कि ऐशो आराम की जिंदगी छोड़कर अल्लाह के रास्ते पर चले.’

आपको याद होगा कि पश्चिम बंगाल की सांसद नुसरत जहां को पिछले दिनों सिंदूर, चूड़ी पहनने पर ट्रोलिंग का सामना करना पड़ा. नुसरत को आखिरी में एक पोस्ट लिखकर अपना स्टैंड क्लियर करना पड़ा. नुसरत जहां ने लिखा, ‘मैं समग्र भारत का प्रतिनिधित्व करती हूं. मेरे पहनावे को लेकर किसी को भी कुछ भी करने का अधिकार नहीं है. मजहब पहनावे से परे होता है.’ नुसरत का साथ देने तृणमूल की ही सांसद मिमी चक्रवर्ती को भी आगे आना पड़ा.

गौरतलब है कि नुसरत जहां ने बंगाल के ही एक व्यापारी निखिल जैन से शादी की है. जायरा के फैसले को जायज मानने वाले लोग लिख रहे हैं कि जब नुसरत के फैसले का सम्मान कर सकते हैं तो जायरा के फैसले का क्यों नहीं.

वहीं, मेन्स राइट्स एक्टिविस्ट दीपिका नारायण भारद्वाज लिखती हैं, जायरा का लेटर पढ़ने के बाद मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि ये जायरा ने ही लिखा है. ये किसी 18 साल की लड़की की लिखी हुई बातें नहीं. बल्कि किसी कट्टरपंथी का लिखा हुआ लग रहा है.’

वहीं, जानी मानी पत्रकार अतिका फारूकी ने जायरा के इस लेटर को लेकर ट्वीट किया है, ‘ये पढ़कर मुझे हंसी आ रही है. निजी कारणों का धार्मिक कारण बताया जा रहा है. इसलिए मैं कहा करती हूं- खूब घूमों, लोगों से मिलो और बहुत सारी किताबें पढ़ो. हमारी प्रतिभाशाली बच्ची अनपढ़ लोगों की संगत में रह रही है.’

तारिक फतेह ने तो ये तक पूछ लिया है, ‘अब आगे क्या जायरा? बुर्का या नकाब?’

बॉलीवुड जर्नलिस्ट फरीदून शहरयार ने भी लिखा है कि वो जायरा के दिए तर्कों से सहमत नहीं हैं.

इस सबके इतर, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो कह रहे हैं कि जायरा वसीम ये सब पब्लिसिटी पाने के लिए कर रही हैं.
लेकिन, एक बात तो है. जायरा का ये निजी फैसला भी है तो इसमें उत्सव या जश्न मनाने की बात समझ नहीं आई.
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